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'जवान' में एटली ने ये 5 आज़माए हुए मसाले डालकर करोड़ों पीटने का जुगाड़ कर लिया

'जवान' में कुछ ऐसी बाते हैं, जो फिल्मों में न जाने कितनी बार यूज हो चुकी हैं. इन्हीं में से एक है, डबल रोल. बाक़ी के नुस्खे स्टोरी में पढ़ें.

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'जवान' के मसालेदार नुस्खे

Shahrukh Khan की Jawan एक मासी और खालिस कमर्शियल फिल्म है. मासी फिल्मों के बीते दिनों में कुछ मसाले रहे हैं. ऐसे ही कुछ मसाले 'जवान' में इसके डायरेक्टर एटली ने ऐड किए हैं. कुछ ऐसे आजमाए हुए नुस्खे जो घिसे-पिटे तो हैं, लेकिन जनता इन्हें पसंद भी करती है. तो आइए इन्हीं मसालों पर बात करते हैं. यदि आपने 'जवान' नहीं देखी है, तो थोड़े बहुत स्पॉइलर आपको इसमें मिल सकते हैं.

1. डबल रोल/ मल्टीपल लुक्स

हमने बॉलीवुड में बहुत सारी डबल रोल वाली फ़िल्में देखी हैं. ये एक घिसापिटा फ़ॉर्मूला है. लेकिन जो भी चलता है, मेकर्स उसे बार-बार इस्तेमाल करते हैं. शाहरुख ने ही 8 फिल्मों में डबल रोल किए हैं. 1996 में फिल्म आई 'इंग्लिश बाबू देसी मेम'. इसमें शाहरुख के डबल रोल नहीं बल्कि ट्रिपल रोल में थे. बाक़ी SRK के डबल रोल्स के बारे में आप यहां विस्तार से पढ़ सकते हैं. 'जवान' के डायरेक्टर एटली का भी डबल रोल एक आजमाया फ़ॉर्मूला है. उनकी फिल्म 'बिगिल' में भी थलपति विजय का ट्रिपल रोल था. शाहरुख के 'जवान' में मल्टीपल लुक्स हैं. इससे पहले भी हमने ये वाला मसाला फिल्मों में ऐड होते देखा है. कमल हासन तो 'दशावतार' में दस अलग-अलग लुक्स में थे.

2. हाईजैक/किडनैप

'जवान' में शाहरुख का किरदार विक्रम राठौड़ अपनी गर्ल गैंग के साथ मेट्रो हाईजैक करता है. और अपनी मांगे मनवाता है. ये फ़ॉर्मूला भी फ़िल्मों में ट्राइड एंड टेस्टेड है. पिछले दिनों थलपति विजय की 'बीस्ट' में हमें ये देखने को मिला था. 'नीरजा', 'ये दिल आशिकाना' और 'जमीन' भी कुछ ऐसी ही फ़िल्में हैं. कहानी में कॉनफ्लिक्ट लाओ, किडनैप करो और अपनी मांगे मंनवाओ. ये बॉलीवुड का बहुत ही घिसापिटा तरीका है. लेकिन ये लगभग हर बार काम करता है. 'जवान' के केस में भी ये काम करता हुआ नज़र आ रहा है.

ये भी पढ़ें: शाहरुख खान की 'जवान' देखने की 4 बड़ी वजहें3. चोर पुलिस का प्यार

'जवान' में शाहरुख के कैरेक्टर से नयनतारा के किरदार को प्रेम हो जाता है. तकनीकी तौर से शाहरुख का किरदार चोर होता है. लेकिन जब वो अपनी कहानी सुनाता है, तो उसके खिलाफ खड़ी पुलिस नयनतारा उसके साथ हो जाती हैं. ऐसा ही कुछ हमने ‘चोर मचाए शोर’ में देखा. 'मनी हाइस्ट' से तगड़ा उदाहरण कुछ हो नहीं सकता. प्रोफेसर और रकेल की प्रेम कहानी तो हम सबको पता ही है. बाक़ी बॉलीवुड और साउथ ने चोर-पुलिस प्रेम प्रसंग को बहुत अच्छे से भुनाया है. कुछ ऐसे उदाहरण आप भी कमेंट बॉक्स में हमें बताइए.

4. देशद्रोह का दाग/बदला

'जवान' में टिपिकल एटीज और नाइंटीज के बॉलीवुड की झलक है. जहां बाप का बदला बेटा लेता है. यहां कीवर्ड है 'बदला'. जवान की कहानी ही इसी धुरी पर टिकी हुई है. देशद्रोह का दाग मिटाने वाली बात भी इसमें है. बचपन में ही बाप को दोषी या चोर करार दिया जाता है. जैसे 'दीवार' में अमिताभ बच्चन की कलाई पर लिखा होता है, मेरा बाप चोर है. ऐसे ही 'चक दे इंडिया' में कबीर के घर के बाहर गद्दार लिख दिया जाता है. आगे चलकर वो इस दाग को मिटाता है. ऐसा ही कुछ 'जवान' में विक्रम राठोड़ के लिए दिखाया गया है.

5. रॉबिनहुड

पैसा लूटो और जनता में बांट दो. ऐसे कई प्लॉट्स आपको फिल्मों में मिलेंगे. इमरान हाशमी की 'राजा नटवरलाल' ही ले लीजिए. 'नाउ यू सी मी' भी इसी कड़ी की फिल्म है. ऐसी बहुत-सी साउथ की भी फ़िल्में हैं, जिनमें ये कॉन्सेप्ट इस्तेमाल किया गया है. रजनीकांत की 'शिवाजी : द बॉस' में एक तरह से ऐसा ही कुछ है.

तो ऐसे मसालों से बनी हुई डिश है ‘जवान’, जिसने टिकट खिड़की पर सुनामी ला दी है. बहरहाल, आप भी कुछ ऐसे मसाले या फिर इन्हें आप ट्रोप्स भी कह सकते हैं, कमेंट में बताइए.