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बतौर हीरोइन करियर शुरू करने वाली फरीदा जलाल को जब मां, बहन और दादी के रोल्स करने पड़े

DDLJ और 'कुछ कुछ होता है' वाली फरीदा जलाल आज कल कहां हैं?

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अपने करियर की शुरुआत में फरीदा. दूसरी तस्वीर फिल्म 'कुछ कुछ होता है' से, इसमें फरीदा ने शाहरुख की मां का रोल किया था.

इंडियन सिनेमा में फैमिली का भारी महत्व रहा है. जब तक निरुपा राय पर्दे पर रो नहीं देतीं, पिक्चर का इमोशनल कोशंट पूरा नहीं होता था. जब तक राखी ने अपने करण-अर्जुन को पुकारा नहीं, तब तक सलमान-शाहरुख का स्टारडम अधूरा था. मगर उसी दौर में कुछ एक्टर्स ऐसे रहे, जिन्होंने 'मेलोड्रा-मा' में से 'मां' बचा लिया. उन्होंने फिल्मी मांओं को रियलिस्टिक तो नहीं मगर विश्वासजनक ज़रूर बनाया. ऐसा ही एक नाम हैं- फरीदा जलाल. 90 के दशक की तमाम फिल्मों में हमने उन्हें मां से लेकर दादी के रोल्स में देखा है. नाम गिनाने पर आएं, तो उस लिस्ट में 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' से लेकर 'राजा हिंदुस्तानी', 'दिल तो पागल है', 'कुछ कुछ होता है' और 'कहो ना प्यार है' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में शामिल हैं. इंट्रेस्टिंग बात ये कि इन फिल्मों में कैरेक्टर रोल्स करने से पहले फरीदा प्रॉपर हिंदी फिल्म हीरोइन रह चुकी थीं. मगर फरीदा के एक फैसले ने फिल्म इंडस्ट्री में उनकी इमेज बदलकर रख दी. वो कैसे हीरोइन से हीरो की बहन बन गईं, उन्हें भी रियलाइज़ नहीं हुआ. मगर उन्हें इसका मलाल भी नहीं रहा. फरीदा जलाल के फिल्मों में आने से लेकर अब उनके गायब होने तक की पूरी कहानी हम आज जानेंगे.


# राजेश खन्ना के साथ कंपटीशन जीतकर फिल्मों में आईं फरीदा जलाल 1965 में यूनाइटेड फिल्म प्रोड्यूर्स और फिल्मफेयर ने मिलकर एक टैलेंट हंट आयोजित किया था. इसमें देशभर से कुल 10 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया. इस टैलेंट हंट को बिमल रॉय, बी.आर. चोपड़ा, नासिर हुसैन, जी.पी. सिप्पी, ओम प्रकाश मेहरा और शक्ति सामंत जैसे उस वक्त के दिग्गज फिल्ममेकर्स जज कर रहे थे. इस हंट के लास्ट राउंड में आठ लोग सेलेक्ट हुए. इन आठ लोगों में सुभाष घई, धीरज कुमार, राजेश खन्ना, विनोद मेहरा और फरीदा जलाल जैसे लोग शामिल थे. उस इवेंट के दो फाइनलिस्ट बने राजेश खन्ना और फरीदा जलाल. इस टैलेंट हंट के विजेता की घोषणा फिल्मफेयर के एक इवेंट में होनी थी, जहां तकरीबन पूरी फिल्म इंडस्ट्री मौजूद रहने वाली थी. मगर उससे पहले दोनों फाइनलिस्ट को वहां बैठे दर्शकों के लिए परफॉर्म करना था.
इवेंट वाले दिन राजेश खन्ना और फरीदा जलाल की परफॉरमेंस तालियों की गड़गड़ाहट के साथ खत्म हुई. ठीक इसी वक्त वहां ऑडियंस में बैठे राजश्री प्रोडक्शंस के ताराचंद बड़जात्या उनसे मिलने चल दिए. उन्होंने बैकस्टेज जाकर फरीदा को अपनी अगली फिल्म 'तक़दीर' में कास्ट करने की बात कही. फरीदा ने फिल्मों में काम पाने के लिए ही इस टैलेंट हंट में हिस्सा लिया था. मगर उन्हें ये नहीं पता था कि इस टैलेंट हंट का नतीजा आने से पहले ही उन्हें इंडिया की एक बड़ी प्रोडक्शन कंपनी अपनी फिल्म में काम दे देगी. इस घटना के कुछ ही घंटे बाद टैलेंट हंट का रिज़ल्ट आया. इसमें राजेश खन्ना के साथ फरीदा जलाल को संयुक्त रूप से विजेता चुना गया. हालांकि ये डिबेटेबल फैक्ट है. तमाम जगहों पर इस टैलेंट हंट के सोलो विनर राजेश खन्ना बताए जाते हैं.
एक इवेंट के दौरान हिंदी सिनेमा के तमाम दिग्गज फिल्ममेकर्स के साथ राजेश खन्ना. हालांकि ये साफ नहीं हो पाया कि ये उस टैलेंट हंट की फोटो है या नहीं.
एक इवेंट के दौरान हिंदी सिनेमा के तमाम दिग्गज फिल्ममेकर्स के साथ राजेश खन्ना. हालांकि ये साफ नहीं हो पाया कि ये उस टैलेंट हंट की फोटो है या नहीं.


जब फरीदा ने अपनी पहली फिल्म 'तक़दीर' साइन की, तब उनकी उम्र कुछ 15-16 साल रही होगी. वो पंचगनी के सेंट जॉसफ कॉन्वेंट नाम के स्कूल में पढ़ाई कर रही थीं. मगर फिल्मों में आने की वजह से फरीदा को पढ़ाई छोड़नी पड़ी. 'बहारों की मंज़िल' और 'महल' जैसी फिल्मों में काम करने के बाद फरीदा को राजेश खन्ना के साथ फिल्म 'अराधना' में कास्ट किया गया. वैसे तो इस फिल्म की लीडिंग लेडी शर्मिला टैगोर थीं. मगर फरीदा को भी राजेश खन्ना के अपोज़िट ही कास्ट किया गया था. फिल्म के एक गाने 'बागों में बहार है' में राजेश और फरीदा साथ नज़र आए. जब आप इस गाने को यूट्यूब पर चलाकर देखेंगे, तो ऐसा लगेगा मानों फरीदा ने शर्माने की क्या जबरदस्त एक्टिंग की है. मगर वो उनका एक्चुअल रिएक्शन था. अपने एक इंटरव्यू में फरीदा जलाल बताती हैं कि 'अराधना' में काम करने के दौरान वो बहुत यंग थीं. आम तौर पर हीरोइनें गाने या रोमैंटिक सीन्स बड़ी आसानी से कर जाती हैं. मगर एक्सपीरियंस नहीं होने की वजह से फरीदा को राजेश खन्ना की ओर देखने में लाज आ रही थी. गाने के एक भी फ्रेम में वो राजेश खन्ना की आंखों में देखती नज़र नहीं आएंगी. जब इस गाने की शूटिंग शुरू हुई, तब डायरेक्टर और फिल्म यूनिट से जुड़े तमाम लोग इस चीज़ को लेकर चिंतित थे. मगर फिर उन्हें अहसास हुआ कि फरीदा की अति-शर्मिली अदा फिल्म और गाने के फेवर में काम करेगी. ऐसे में उस गाने को बिना किसी बदलाव या री-शूट किए, जस का तस फिल्म में बनाए रखा गया. # हीरोइन की जगह, हीरो की बहन, मां और दादी कैसे बन गईं फरीदा जलाल? 1969 में आई 'आराधना' के बाद फरीदा 'पुरस्कार' नाम की फिल्म में जॉय मुखर्जी के साथ बतौर लीडिंग लेडी नज़र आईं. फिल्म नहीं चली. तब दिलीप कुमार बहुत बड़े नाम थे. उस दौर का हर एक्टर अपने करियर में कम से कम एक फिल्म उनके साथ ज़रूर करना चाहता था. मगर दिक्कत ये थी कि दिलीप साहब बड़ी गिनी-चुनी फिल्में करते थे. उन्होंने पांच दशक लंबे करियर में मात्र 65 फिल्मों में काम किया. खैर, इसी समय फरीदा को दिलीप कुमार की 1970 में आई फिल्म 'गोपी' में काम करने का मौका मिला. इस फिल्म में उनका रोल दिलीप साहब की बहन का था. अपने करियर के शुरुआती दौर में किसी सुपरस्टार की बहन का रोल करना, किसी भी एक्ट्रेस के लिए घातक हो सकता है. मगर फरीदा ने ये सब बिल्कुल नहीं सोचा. जब उन्हें 'गोपी' ऑफर हुई, तो सुनिए उनका रिएक्शन क्या था. अपने एक इंटरव्यू में फरीदा बताती हैं-
''इस फिल्म के लिए मना करने की बात छोड़िए, मैंने दोनों हाथों से उस मौके को लपका. मुझे ग्रेटेस्ट दिलीप कुमार की बहन का रोल ऑफर हुआ था. अगर मुझे फिल्म के सेट पर जाकर सिर्फ उन्हें ऑब्ज़र्व करने का मौका मिलता, तब भी मैं वो फिल्म साइन कर लेती.''
फिल्म 'गोपी' के एक सीन में दिलीप कुमार के साथ फरीदा जलाल. 'गोपी' दिलीप कुमार और सायरा बानू की एक साथ पहली फिल्म थी.
फिल्म 'गोपी' के एक सीन में दिलीप कुमार के साथ फरीदा जलाल. 'गोपी' दिलीप कुमार और सायरा बानो की एक साथ पहली फिल्म थी.


'गोपी' के बाद हिंदी फिल्म का हर हीरो फरीदा को फिल्म में अपनी बहन के रोल में चाहता था. इसके बाद फरीदा को 1971 में आई फिल्म 'पारस' में संजीव कुमार की बहन के रोल में कास्ट किया गया. ये वो फिल्म थी, जिसमें काम के लिए फरीदा को अपने करियर का पहला अवॉर्ड मिला. फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस अवॉर्ड. अपने इस फैसले को बिना किसी मलाल सही ठहराते हुए फरीदा कहती हैं-
''अच्छे कपड़े पहनकर सुंदर दिखने और पेड़ों के आसपास नाचने में ऐसी क्या खास बात है? मुझे फिल्म में हीरोइन से ज़्यादा काम करने का मौका मिलता है. फिल्म की हीरोइन सिर्फ गाने गाती रहती और सारे ड्रमैटिक सीन्स मेरे खाते में आ जाते थे. फिल्म 'पारस' में मुझे संजीव कुमार की बहन का रोल मिला. मगर मुझे उस फिल्म में राखी दी से ज़्यादा काम करने को मिला, जो कि फिल्म की ऑफिशियल हीरोइन थीं. तिस पर मुझे इन किरदारों को निभाने की वजह से पहचान और अवॉर्ड्स भी मिल जाते थे. मैं हीरोइन क्यों बनना चाहूंगी, जब मुझे बहन के किरदार में उससे ज़्यादा और बेहतर काम करने का मौका मिल रहा था?''
फरीदा का ये कहना एक तरह से सही भी था. क्योंकि अगली बार वो सलीम-जावेद की लिखी फिल्म 'मजबूर' में नज़र आईं. इसमें वो अमिताभ बच्चन की बहन के रोल में दिखाई दीं. इस फिल्म के लिए फरीदा को उनके करियर का दूसरा बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर अवॉर्ड मिला. वो टाइपकास्ट नहीं हुईं. उन्होंने आपदा को अवसर में तब्दील कर दिया.
अपने पहले फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के अवॉर्ड के साथ यंग फरीदा जलाल.
अपने पहले फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के अवॉर्ड के साथ यंग फरीदा जलाल.

# शादी के बाद फिल्में छोड़ने वाली फरीदा जलाल को राज कपूर ने दोबारा लॉन्च कर दिया 'अमर प्रेम', 'बॉबी', 'धर्मात्मा' और शतरंज के 'खिलाड़ी' जैसी हिट फिल्मों में काम करने के बाद फरीदा सीन से गायब होने लगीं थीं. पिछले वाक्य में हमने आपको जितनी फिल्में गिनाईं, उनमें से सिर्फ 'बॉबी' में उनका रोल चैलेंजिंग था. उस फिल्म में उन्होंने ऋषि कपूर की मंगेतर का रोल किया था, जो मानसिक रूप से बीमार थी. मगर बीतते समय के साथ उन्हें काम मिलना कम हो गया था. इसके पीछे की वजह ये थी कि तब तक मल्टी-स्टारर फिल्मों का चलन शुरू हो गया था. फिल्म के तमाम प्राइमरी रोल्स पॉपुलर एक्टर्स करने लगे. 1975 में 'शोले' आ चुकी थी. 'कभी कभी', 'हेरा फेरी' और 'अमर अकबर एंथनी' जैसी मल्टी-स्टारर फिल्में सफलता के नए पैमाने गढ़ रही थीं. फरीदा के पास फिल्म ऑफर्स तो आ रहे थे. मगर वो हल्के और छोटे-मोटे कॉमिक रोल्स होते थे.
इसी समय फरीदा को 'जीवन रेखा' नाम की फिल्म ऑफर हुई. वो इस फिल्म की हीरोइन थीं. और उनके हीरो थे तबरेज़ बर्मावर. तबरेज़ ने 'प्यारे मदीना' समेत कुछ सोशल मुस्लिम सिनेमा में काम किया हुआ था. 'जीवन रेखा' पर साथ काम करने के दौरान फरीदा और तबरेज़ के बीच कुछ पकने लगा. दोनों प्रेम में पड़े और नवंबर 1978 में इन्होंने शादी कर ली. शादी के बाद फरीदा के फिल्म ऑफर्स सूखने लगे. ऐसे में एकाध साल बंबई में गुज़ारने के बाद वो अपने पति के साथ बैंगलोर शिफ्ट हो गईं. बैंगलोर में तबरेज़ की साबुन फैक्ट्री थी. कुछ समय बाद दोनों को एक बेटा पैदा हुआ. फरीदा उसमें व्यस्त हो गईं. फिल्मों से वास्ता खत्म सा हो गया.
फिल्म 'जीवन रेखा' के एक सीन में फिल्म के हीरो और अपने होने वाले पति तबरेज़ बर्मावर के साथ फरीदा.
फिल्म 'जीवन रेखा' के एक सीन में फिल्म के हीरो और अपने होने वाले पति तबरेज़ बर्मावर के साथ फरीदा.


7-8 साल फिल्मों से दूर फरीदा अपनी लाइफ में बिज़ी थीं. हालांकि उन्होंने वहां रहने के दौरान ही 'घर जमाई' नाम के एक टीवी शो में काम किया. फरीदा को दोबारा से एक्टिंग में एक्टिव होता देख, कई फिल्ममेकर्स के कान खड़े हो गए. एक दिन अचानक से एस.एस. ओबेरॉय नाम के प्रोड्यूसर फरीदा के बैंगलोर वाले आवास पर पहुंचे. वो उन दिनों 'ये जो है ज़िंदगी' नाम का शो बना रहे थे. उन्हें शफी ईनामदार के साथ एक जाना-पहचाना चेहरा चाहिए था. उन्होंने फरीदा से पूछा कि क्या वो उनके सीरीयल में काम करना चाहेंगी. पति से चर्चा के बाद फरीदा वो शो करने को तैयार हो गईं. वो मुंबई आईं और शो काम शुरू हो गया. मगर ये उनका ऑफिशियल कमबैक नहीं था.
अब समय में थोड़ा पीछे यानी फ्लैशबैक में चलते हैं. फिल्म 'बॉबी' की शूटिंग का आखिर दिन था. शूटिंग खत्म होने के बाद फरीदा राज कपूर से गुड बाय बोलकर वहां से निकल रही थीं. राज कपूर ने फरीदा के गुड बाय के जवाब में कहा-
''तुम्हारे और मेरे बीच में कोई गुड बाय नहीं होगी. क्योंकि आर.के. बैनकर फिल्में बनाएगा और तुम हमेशा उन फिल्मों का हिस्सा होगी.''
फरीदा को लगा राज कपूर सबको खुश रखने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने ऐसे ही ये बात कह दी होगी. उसके बाद फरीदा की शादी हो गई. वो बैंगलोर शिफ्ट हो गईं. जब 1988 में राज कपूर की डेथ हो गई, तो फरीदा को लगा कि राज कपूर का वादा रह गया.
80 के दशक के आखिर में 'ये जो है ज़िंदगी' की शूटिंग के लिए फरीदा मुंबई आने की तैयारी कर रही थीं. तभी उन्हें राज कपूर की आखिरी फिल्म माने जाने वाली 'हिना' का ऑफर आया. कहा जाता है कि 'हिना' की सारी तैयारी राज कपूर ने खुद की थी. फिल्म की शूटिंग पूरी होने से पहले वो गुज़र गए. मगर मरने से पहले उन्होंने फरीदा जलाल से किया अपना वादा पूरा कर दिया था. 'हिना' फरीदा जलाल की कमबैक फिल्म बनी. इसके लिए उन्हें एक बार फिर बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला. अपने एक इंटरव्यू में फरीदा बताती हैं कि वो 'हिना' को अपनी आखिरी फिल्म की तरह देख रही थीं. बकौल फरीदा, वो चाहती थीं कि 'हिना' में काम करने के बाद पूरी तरह से फिल्में छोड़कर फैमिली पर फोकस किया जाए. 'हिना' की सफलता का जश्न मनाने के लिए मुंबई के ताज होटल में एक पार्टी रखी गई थी. यहां फिल्म की पूरी स्टारकास्ट के साथ फरीदा भी मौजूद थीं. इस पार्टी में कई फिल्ममेकर्स उनसे मिलने आए. और वो सब लोग चाहते थे कि फरीदा उनकी फिल्म में काम करें. यहां से फरीदा की इमेज एक हीरोइन या सेकंड लीड से बदलकर मां और दादी की हो गई. 90 के दशक की कई हिट फिल्मों में उन्होंने इस तरह के रोल्स निभाए. और इन किरदारों में उन्हें खूब पसंद किया गया.
अपनी कमबैक फिल्म 'हिना' के एक सीन ऋषि कपूर के साथ फरीदा जलाल.
अपनी कमबैक फिल्म 'हिना' के एक सीन ऋषि कपूर के साथ फरीदा जलाल.

# आज कल कहां हैं फरीदा जलाल? 1997 में आई 'दिल तो पागल है' और 2001 में आई फिल्म 'कभी खुशी कभी ग़म' के बाद यशराज फिल्म्स और धर्मा प्रोडक्शन ने फरीदा जलाल को अपनी फिल्मों में लेना बंद कर दिया. फरीदा के करियर की सेकंड इनिंग्स में इन्हीं दो प्रोडक्शन हाउस से निकली फिल्मों ने उन्हें नई पीढ़ी से रूबरू करवाया था. यशराज और धर्मा की फिल्मों में फरीदा को न लिए जाने की वजह किरण खेर को माना गया. क्योंकि अनुपम और किरण खेर की इन दोनों ही प्रोडक्शन कंपनियों के सर्वेसर्वा लोगों से काफी करीबी संबंध थे. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया कि शाहरुख के साथ हुई एक खटपट ने फरीदा को इंडिया के दो चर्चित प्रोडक्शन कंपनियों से दूर कर दिया. मगर ये बहुत पुष्ट खबरें नहीं हैं. हालांकि 2012 में करण जौहर के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'स्टुडेंट ऑफ द ईयर' में फरीदा नज़र आई थीं. 2016 में यशराज फिल्म्स ने भी उन्हें अपनी शॉर्ट फिल्म 'लव शॉट्स' में कास्ट किया. मगर पहले वाली बात नहीं रही.
फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' के एक सीन शाहरुख और काजोल के साथ फरीदा. फिल्म में उन्होंने काजोल की मां का रोल किया था.
फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' के एक सीन शाहरुख और काजोल के साथ फरीदा. फिल्म में उन्होंने काजोल की मां का रोल किया था.


फिल्मों से बचे समय में फरीदा ने 'बालिका वधू' और 'जीनी और जूजू' समेत तमाम टीवी शोज़ में काम किया. 2014 से 2016 तक ज़ी टीवी पर आने वाला शो 'सतरंगी ससुराल', टीवी पर फरीदा का आखिरी काम था. हालांकि फिल्मों में फरीदा हमें यदा-कदा ही देखने को मिलती हैं. 2018 में 'बत्ती गुल मीटर चालू' और 2020 में 'जवानी जानेमन' के अलावा वो किसी फिल्म में नज़र नहीं आई हैं. इस इंडस्ट्री के प्रति आभार का भाव रखने के साथ फरीदा को एक बड़ी शिकायत भी है. वो ये कि इस इंडस्ट्री में उनके समकालीन मेल एक्टर्स की तरह महिलाओं के लिए सशक्त रोल्स नहीं लिखे जा रहे हैं.
अपने बेटे यासीन के साथ विनोद खन्ना को आखिरी विदाई देने जातीं फरीदा जलाल.
अपने बेटे यासीन के साथ विनोद खन्ना को आखिरी विदाई देने जातीं फरीदा जलाल.


ये तो हो गई फिल्मों और टीवी की बात. मगर फरीदा ने डिजिटल वर्ल्ड में भी अपनी मौजूदगी दर्ज करवा ली है. वो ज़ी5 पर आए दो शोज़ 'मेहरम' और 'परछाईं' का हिस्सा रह चुकी हैं. फरीदा अपने बेटे यासीन जलाल के साथ रहती हैं. मुंबई के साथ-साथ उनका बैंगलोर आना जाना भी लगा रहता है.