ये सुनते ही आपके दिमाग में अकबर के नवरत्न आ गए होंगे, हैं न? ये उस वक्त के 9 जीनियस लोगों का ग्रुप था, जिसे बादशाह अकबर ने दरबार में ख़ास जगह दे रखी थी.
1) बीरबल
बीरबल यानी महेश दास. ये एक कवि होने के साथ-साथ अकबर के दरबार में सलाहकार भी थे. लेकिन हम बीरबल को ऐसे कहां जानते हैं. हम लोगों ने तो अकबर-बीरबल के किस्से पढ़े हैं. वही जिसमें बीरबल हर बार अपने स्मार्ट जवाब या कमेन्टबाज़ी से अकबर का दिल जीत लेते हैं. लेकिन आजकल तो क्लास के सबसे स्मार्ट कमेंट करने वाले बच्चे को क्लास से ही निकाल दिया जाता है. कहां से कोई 'रत्न' मिलेगा! वैसे ये किस्से कितने सच्चे हैं, कहा नहीं जा सकता. बीरबल यूं तो हंसोड़ मिजाज आदमी थे, पर मारे गए युद्ध के मैदान में.2) अबुल फ़ज़ल
ये बड़े कमाल के स्कॉलर थे. अकबरनामा इन्होंने ही लिखा था. वही अकबरनामा जिसमें उस वक्त के भारत की ढेरों जानकारियां मिलती हैं. खेती, ज़मीन से लेकर टैक्स वसूली और बादशाह के कुनबे की पूरी कहानी. सब कुछ है इस किताब में. ये किताब तीन हिस्सों में है, जिसका अंतिम हिस्सा सबसे ज्यादा फ़ेमस है. इस अंतिम हिस्से को आइन-ए-अकबरी कहते हैं. अपने बड़े भइया के साथ ये भी सूफिज्म में बड़ी दिलचस्पी रखते थे.3) फैज़ी
फैज़ी भी बड़े गज़ब के स्कॉलर और कवि थे. आखिर अबुल फ़ज़ल के बड़े भइया जो थे. इनके दीवान, यानी कविता के संग्रह में ग़ज़ल, कसीदे और रुबाई, सब कुछ थे.4) टोडरमल
टोडरमल उस ज़माने के फाइनेंस मिनिस्टर थे. मतलब उनके हाथ में ही बजट वगैरह रहते होंगे. बड़े काबिल आदमी थे. ज़मीन को नापने और उस पर टैक्स की कैलकुलेशन करने के बिलकुल शानदार तरीके ये जनाब ही ले कर आए थे. आज भी गांवों में पटवारी और उनकी पूरी टीम जो ज़मीन-जायदाद के काम देखती है, वो टोडरमल के ही इस आइडिया की देन है. टैक्स वसूलने के भी एक से एक आइडिया थे इनके पास. हमने तो सुना है इनके ऊपर कुछ वीडियो गेम भी बनाए गए हैं.5) मान सिंह
पहले तो ये राजपूताना के एक राजा थे. और इनके राज्य का नाम बड़ा खूबसूरत था, आमेर. जिसे अम्बर भी बोला जाता था. इनकी बुआ की शादी अकबर के यहां हो गई थी. फिर ये अकबर के साथ हो लिए. महाराणा प्रताप से अकबर की जो लड़ाई हुई थी, उसमे मान सिंह ही आर्मी की कमान संभाल रहे थे. इसी चक्कर में फंस भी गए थे. क्योंकि अकबर को एक टाइम पे ये लगा कि अंदर ही अंदर मान सिंह महाराणा प्रताप से मिले हुए हैं. हालांकि ऐसा साबित नहीं हुआ था.6) रहीम
इनको तो सभी जानते हैं. बचपन से ही कितने दोहे पढ़े होंगे जो 'कहे रहिमन...' से शुरू होते थे. ये दोहे के अलावा ज्योतिष विद्या पर भी लिखा करते थे. अच्छा आपको पता है इनका पूरा नाम क्या था? इनके खुद के नाम के अलावा दरबार से मिले टाइटल वगैरह भी थे. और सब कुछ मिलाजुला के अब्दुर रहीम खानेखानान नाम पड़ता था इनका.7) फ़क़ीर आज़ाओ-दिन
जैसा कि इनके नाम से पता चलता है, ये फ़क़ीर थे. फिर ये अकबर के दरबार में क्या कर रहे थे? ये वहां धार्मिक और आध्यात्मिक मामलों में सलाह देते थे.8) तानसेन
मियां तानसेन को कौन नहीं जानता! संगीत का कोई ऐसा घराना नहीं है भारत में, जो खुद को तानसेन से न जोड़ता हो. गाना गा कर आग लगा देने और बारिश कर देने के किस्से मशहूर हैं इनके. सच्ची में आग-बारिश हुई थी या नहीं, हमें नहीं पता. कुछ म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स भी हैं, जिन्हें तानसेन ने ही बनाया था, ऐसा लोग कहते हैं.9) मुल्ला दो प्याज़ा
इनके बारे में कोई ख़ास ऐतिहासिक जानकारी नहीं मिलती है. लेकिन लोगों का मानना था कि ये दिमाग लगाने और स्मार्ट जवाब देने में बीरबल के कॉम्पिटिटर थे.एक और 9 जीनियस लोगों का ग्रुप था. जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. इन्हें भी नवरत्न ही कहा जाता था. ये नवरत्न थे गुप्त वंश के चन्द्रगुप्त द्वितीय यानी चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के दरबार में. ये भी 9 धाकड़ किस्म के लोग थे.
1) अमरसिंह
ये संस्कृत के बहुत बड़े ज्ञानी थे. साथ ही कविताएं भी लिखते थे. इनके 'अमरकोश' में संस्कृत शब्दों की पूरी जांच-पड़ताल की गई थी.2) धन्वंतरि
कभी घर में कोई एक्सपर्ट बनकर दवाएं बताए, या किसी चीज़ के पच्चीसों इलाज बताए, तो उसे कहा जाता है- 'ज्यादा धन्वंतरि मत बनो.' धन्वंतरि थे ही ऐसे कमाल के मेडिकल एक्सपर्ट.3) हरिसेन
हरिसेन चन्द्रगुप्त के 'कोर्ट पोएट' कहे जा सकते हैं. पुराने ज़माने में आज की तरह फेसबुक और ट्विटर तो होता नहीं था. इसलिए राजा लोग पत्थरों पर अपने और अपनी पालिसी वगैरह के बारे में लिखवाते थे. ऐसी ही एक बड़ी सी कविता इलाहाबाद में मिली थी. हरिसेन ने ही इलाहाबाद के उस 'प्रयाग प्रशस्ति' में राजा चन्द्रगुप्त के बारे में कविता लिखी थी.4) कालिदास
ये वही फ़ेमस नाटककार हैं जिन्हें सब जानते हैं. अक्सर इन्हें 'भारत का शेक्सपियर' कह दिया जाता है. शायद इसलिए कि शेक्सपियर ने जो नाटक लिखे, वो अंग्रेजी साहित्य में 'क्लासिक' माने जाते हैं और कालिदास ने जो नाटक लिखे, वो संस्कृत के 'क्लासिक' माने जाते हैं. लेकिन कालिदास को 'भारत का शेक्सपियर' कहना कहां तक सही है जब कालिदास शेक्सपियर से सैकड़ों साल पहले अपने नाटक लिख गए थे. और जिस तरह एक नाटककार को 'क्लासिक' डिफाइन करने का पैमाना मान लिया जाता है, ये भी सवाल उठाने लायक है. 'मेघदूतम', 'रघुवंशम', 'ऋतुसंहारम' और 'अभिज्ञानशाकुंतालम' जैसी कालजयी चीज़ें यही भाईसाहब लिख गए थे.5) कहापनाका
इनके बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं मिलती है. हां, इतना पता है कि ये ज्योतिष विद्या के एक्सपर्ट थे. ग्रह-नक्षत्र के दांव-पेंच, उसकी दशा-दिशा में माहिर थे ये.6) संकू
संकू आर्किटेक्ट थे. ये भाईसाहब उस ज़माने के 'रेबेल' रहे होंगे. हां, आर्किटेक्चर जैसा 'हटके' करियर ऑप्शन चुनने के लिए बड़ा दिल चाहिए होता है.7) वराहमिहिर
ये कमाल के साइंटिस्ट थे. मैथ्स, एस्ट्रोनॉमी और ज्योतिष विद्या, तीनों के एक्सपर्ट थे. तीन किताबें लिख डाली थी इन्होंने. 'पंचसिद्धान्तिका' नाम की किताब में इन्होने मैथ्स और एस्ट्रोनॉमी के 5 बड़े सिद्धांत दिए थे. इनमें से सबसे फ़ेमस था सूर्य सिद्धांत. दूसरी किताब थी 'बृहतसंहिता'. जिसमें साइंस से जुड़ी ढेरों रोचक जानकारियां थीं. तीसरी किताब थी 'सांख्यसिद्धांत'. वराहमिहिर ने ग्रीक ज्योतिष विद्या पर भी लिखा था.8) वारारुचि
ये संस्कृत के स्कॉलर थे. ये भी संस्कृत भाषा, और ख़ासकर व्याकरण के गज्ज़ब के जानकार थे.9) वेतालभट्ट
ये जादूगर थे. हमें नहीं पता क्या-क्या गायब किया होगा इन्होंने. लेकिन रहे होंगे ये कमाल के जादूगर ही. तभी तो नवरत्न में शामिल हुए थे.इन दोनों नवरत्नों के ग्रुप से पहले भी एक 9 जीनियस लोगों का ग्रुप बनाया गया था. इन लोगों को चुना था सम्राट अशोक ने. लेकिन इन्हें नवरत्न नहीं कहा जाता था. फिर क्या कहा जाता था? हमें क्या पता? हां, सच्ची. हमें क्या पता. क्योंकि ये एक सीक्रेट ग्रुप था. साइंटिफिक और तकनीकी से जुड़ी नई खोज गलत लोगों के हाथों में न पड़े, ये बहुत ज़रूरी होता है. अंदाज़ा लगाया जाता है कि इसी काम के लिए इन 9 जीनियस लोगों का सीक्रेट ग्रुप बनाया गया था. इनके बारे में कोई ख़ास जानकारी नहीं मिलती है. बस ये बताया जाता है कि इन लोगों की ये सीक्रेट पहचान कोई नहीं जानता था. और इन सब के पास एक किताब थी. जिसमें शायद खुफिया साइंटिफिक जानकारियां दर्ज थीं. अब एक बार जो 'नवरत्न' शब्द पॉपुलर कल्चर में आया, फिर तो चल ही पड़ा. वैसे तो भारत के 9 PSU यानी पब्लिक सेक्टर यूनिट हैं, इनके ग्रुप को भी नवरत्न कहते हैं. लेकिन आज के समय में जो सबसे भारी-भरकम और असरदार इस्तेमाल है इस शब्द का, वो तो नवरत्न तेल की शीशी पर ही है.
(ये स्टोरी पारुल ने लिखी है.)