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मूवी रिव्यू: एक विलेन रिटर्न्स

फिल्म देखने के बाद मैंने अपनी खोपड़ी को टटोला. चेक किया कि भेजा बचा है या नहीं. अगर बचा है तो क्यों? अब तक फ्राई क्यों नहीं हुआ!

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2014 में आई 'एक विलेन' का सीक्वल है ये फिल्म.

आज का रिव्यू कुछ खास लोगों के लिए है. मतलब आप लोगों के लिए तो है ही. लेकिन उन चुनिंदा लोगों के लिए भी है, जो कहते हैं, यमन तेरी जॉब मस्त है यार. हर फ्राइडे फिल्में देखो और उसके पैसे मिलते हैं. यमन की नौकरी की तारीफ हो गई, पर ये कोई नहीं पूछने आता कि कैसी फिल्में देखी. आज जो फिल्म देखी, उसके बाद बार-बार दोस्तों की कही ये बात याद आती है. मोहित सूरी की फिल्म ‘एक विलेन रिटर्न्स’ रिलीज़ हुई और हमने देख ली. ये फिल्म 2014 में आई ‘एक विलेन’ का सीक्वल है. फिल्म कैसी है, ये मैं आपको नहीं बताऊंगा. क्या है, ये समझने की कोशिश करेंगे. 

दो कपल हैं. एक है अर्जुन कपूर और तारा सुतारिया का, जिन्होंने गौतम और आरवी नाम के किरदार निभाए हैं. गौतम पैसेवाली फैमिली से आता है. बेपरवाह किस्म की ज़िंदगी जीता है. ऐसा क्यों करता है, ये जानने में न उसकी रुचि है न फिल्म की. आरवी एक स्ट्रगलिंग सिंगर है. दूसरा कपल है जॉन अब्राहम और दिशा पाटनी का. इनके किरदारों के नाम हैं भैरव और रसिका. भैरव कैब चलाता है और रसिका एक स्टोर में काम करती है. ये चारों लोग मुंबई शहर में अपनी ज़िंदगी जी रहे हैं. दूसरी तरफ शहर में मर्डर हो रहे हैं. वो भी सिर्फ लड़कियों के. कौन है ये सीरियल किलर और ऐसा क्यों कर रहा है. ऐसे सवालों के लिए ही ‘तनु वेड्स मनु’ के पप्पी जी कह गए हैं,

यू आर ए गुड क्वेशन. बट योर क्वेशन हर्ट मी. 

हर्ट. यही करती है ‘एक विलेन रिटर्न्स’ आपके साथ. आपके दिमाग की नसों के साथ. फिल्म लिखते वक्त राइटर्स ने एक बार विलेन शब्द लिखा होगा. फिर सोचा होगा कि एक बार और लिखते हैं, मज़ा आ रहा है. फिर एक बार और. ऐसा करते-करते बेचारे गिनती भूल गए. यहां हर किसी में होड है, स्वघोषित विलेन बनने की. मैं हीरो नहीं, विलेन हूं. हां, समझ गए भाई, ठंड पाओ यार. पानी-वानी पियो. चारों प्रमुख किरदारों की हरकतें उन्हें हीरो नहीं बनाती. ट्विस्टेड से लोग हैं. ऐसे क्यों हैं, इससे फिल्म को सरोकार नहीं. ऐसा लगता है कि फिल्म ने साइकोलॉजिकल थ्रिलर फ़िल्मों से एलिमेंट्स उठाए, और बिना सोचे चिपका दिए. 

ek villain returns movie
एक सीरियल किलर है जो बस लड़कियों को मारता जा रहा है. 

राइटिंग के स्तर पर तार जुडते नहीं दिखते. न ही कैरेक्टर आर्क्स के, और न ही लॉजिक के. मतलब लॉजिक के स्तर पर तो इतने संगीन पाप हुए कि नास्तिक को भी ईश्वर याद आ जाएं. आप खुलेआम मेट्रो प्लेटफॉर्म पर मर्डर कर रहे हैं और कोई देखने वाला नहीं. ऊपर से मेट्रो चली जा रही है. कोई रोककर देखना नहीं चाहता कि अंदर दो मुश्टंडे नुकसान किए जा रहे हैं. भाई मेट्रो सरकारी थोड़े ही है. इस एक्शन सीन में यकीन लायक सिर्फ एक चीज़ लगती है, मुंबई मेट्रो की खाली सीटें. 

मोहित सूरी की फिल्म ‘एक विलेन’ कोरियन फिल्म ‘आई सॉ द डेविल’ से इंस्पायर्ड थी. वो अक्सर कोरियन सिनेमा के एलिमेंट्स को अपनी फ़िल्मों में उतारने की कोशिश करते रहते हैं. यहां भी आपको ये देखने को मिलेगा. अर्जुन कपूर का किरदार गौतम लगभग पूरी फिल्म में लेदर जैकेट पहनकर घूमता है. ये उसे कूल बनाने के प्रयोजन से किया गया होगा. पर जनाब क्या आप मुंबई के मौसम से वाकिफ नहीं? अपनी यही शिकायत ‘राधे’ में रणदीप हुडा के कैरेक्टर से भी थी. 

john abraham
फिल्म में जॉन की दुश्मन है एक्सप्रेशन वाली एक्टिंग.    

जब किसी फिल्म की राइटिंग और डायरेक्शन आपको निराश कर दें तो आप मुड़ते हैं एक्टिंग परफॉरमेंसेज़ की ओर. गोल्ड नहीं मिला तो सांत्वना पुरस्कार ही सही. ताकि घर लौटने पर ये नहीं खले कि पैसा बर्बाद. ‘एक विलेन रिटर्न्स’ आपको उस खुशी से भी वंचित रखना चाहती है. अर्जुन कपूर बस फिल्म में हैं. उनको एक सीन से निकालकर दूसरे में डालेंगे तो लगेगा नहीं कि कुछ बदला है. सब कुछ सेम है. तारा सुतारिया वही करती हैं, जो वो इतनी फ़िल्मों से करती आ रही हैं, बिना इमोशन की एक्टिंग. माफ कीजिएगा पर उनके काम को यहां एक्टिंग भी नहीं कहा जा सकता. 

फिर आते हैं जॉन अब्राहम. अगर मुमकिन हो तो किसी कोरे कागज़ पर नज़र दौड़ाइए. बस यही जॉन पूरी फिल्म में थे. बिल्कुल ब्लैंक, कोई एक्सप्रेशन या इमोशन नहीं. उनकी पार्टनर रही दिशा पाटनी की ब्रीफ भी कुछ ऐसी रही होगी. आपको हंसना है. ऐसा कि लगे कोई साइको हंस रहा है. आग रेफ्रेंस चाहिए तो हार्ले क्वीन को देख लीजिएगा. और हां, आपको सुंदर भी दिखना होगा. आखिर हमें फिल्म की सेक्स अपील भी तो बढ़ानी है. बस यही सब दिशा पाटनी करती हैं. उन्हें सच में ऐसे किरदार चुनने की ज़रूरत है, जहां सब्सटेंस हो. ऐसे किरदार नहीं, जहां वो सिर्फ ग्लैमर ऐड करने के लिए हों. 

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बस यही रिएक्शन होन चाहिए फिल्म देखने के बाद. 

जिस ‘एक विलेन रिटर्न्स’ में इतनी खामियां निकाली हैं, उसका पहला पार्ट भी कोई महान नहीं था. ‘एक विलेन’ के चलने की मेजर वजह थी उसका साउंडट्रैक. तमाम गानों को पसंद किया गया था. सीक्वल इस मामले में भी निराश करता है. कुल मिलाकर फिल्म देखने के बाद मैंने अपनी खोपड़ी को टटोला. चेक किया कि भेजा बचा है या नहीं. अगर बचा है तो क्यों? अब तक फ्राई क्यों नहीं हुआ!