वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल 16 मई को आज तक के ई-एजेंडा कार्यक्रम में शामिल हुए. वीडियो कॉल के ज़रिये. उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के कारण पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए सरकार पांच किश्तों में राहत पैकेज का ऐलान क्यों कर रही है? सान्याल ने कहा कि 20 लाख करोड़ खर्च करना आसान नहीं है. ये पैसा टैक्सपेयर्स का है. इसलिए हम काफी सोच-समझ कर कदम उठा रहे हैं. एक—एक कदम को लोगों को समझाकर आगे बढ़ रहे हैं. इसीलिए पांच किश्तों में पैकेज सामने लाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 1991 की तरह एक बार फिर देश के आर्थिक ढांचे में सुधार लाकर उसे सक्षम बनाएंगे. उन्होंने कहा कि उस वक्त बाकियों को तो आजादी दे दी गई, लेकिन किसान पर शर्त रखी गई कि वो अपना अनाज कहां बेचेंगे, कैसे बेचेंगे. अब उन्हें इससे आजादी मिलेगी. किस बात पर ख़िलजी का ज़िक्र उठा? इसी बीच एक ऐसी बात भी हुई, जिस पर अलाउद्दीन ख़िलजी का ज़िक्र उठ गया. पूरी बात ऐसी थी – “पहले ये व्यवस्था थी कि हम अपने किसानों को कहते थे कि आज अपना अनाज यहां बेच सकते हैं. इसी मंडी में ले जा सकते हैं. और आप अपने मन से किसी को नहीं बेच सकते. ये लाइसेंस परमिट राज था. उद्योगों के लिए तो 30 साल पहले लाइसेंस परमिट खत्म कर दिया गया, लेकिन किसानों के लिए नहीं. इसलिए इसे खोला जा रहा है कि किसान जिसे चाहे, जहां चाहे अपना उपज बेच सकता है.” इसी बात को बढ़ाते हुए सान्याल ने कहा – “यह व्यवस्था करीब 700 साल पहले अलाउद्दीन ख़िलजी के ज़माने से चली आ रही थी. पहले इंस्पेक्टर पैसा बनाते थे, अब इनको सिस्टम से निकाल दिया है. इससे न तो किसानों को फायदा होता था, न कि व्यापारी को. लाइसेंस परमिट राज खत्म होने से ग्राहकों, उद्योगपतियों सबको लाभ मिला है. इसी तरह कृषि उपज में बिचौलियों को खत्म कर देने से किसानों को फायदा होगा.” सान्याल ने कहा कि नए लेबर लॉ में श्रमिकों के हित में कई चीजें की गई हैं, जैसे सेफ्टी लॉज में बदलाव किया जा रहा है और इसे श्रमिकों के अनुकूल बनाया जा रहा है. इसी तरह सभी कामगारों को अपॉइंटमेंट लेटर देने का प्रस्ताव किया गया है ताकि वे फॉर्मल आंकड़ों का हिस्सा बन सकें.
मोदी सरकार के राहत पैकेज पर उठ रहे सवाल, RBI के रेट कट से भी फायदा मुश्किल