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मूवी रिव्यू - क्रैक

ये रिव्यू इस उम्मीद से लिखा गया है कि Vidyut Jammwal किसी दिन अपने एक्शन के कद की स्क्रिप्ट उठायेंगे. Crakk के केस में वो ऐसा नहीं कर पाए हैं.

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'क्रैक' में कुछ एक्शन सीक्वेंसेज़ दमदार हैं लेकिन ये अच्छी एक्शन फिल्म नहीं.

Crakk (2024)
Director: Aditya Datt
Cast: Vidyut Jammwal, Nora Fatehi, Arjun Rampal, Amy Jackson
Rating: **


Vidyut Jammwal की नई फिल्म Crakk रिलीज़ हो गई है. इस फिल्म को लिखा और डायरेक्ट किया आदित्य दत्त ने. विद्युत की काफी फिल्में आउट-एंड-आउट एक्शन फिल्में होती हैं लेकिन अक्सर उनके साथ एक मसला रहा है. वहां एक्शन अच्छा होगा, बस वो बढ़िया एक्शन फिल्में नहीं बन पातीं. ‘क्रैक’ के सीन में क्या केस है, अब उस पर बात करेंगे. 

विद्युत ने सिद्धू नाम के लड़के का रोल किया है. पूरा नाम सिद्धार्थ दीक्षित है. अपने पेरेंट्स के साथ मुंबई में रहता है. एक बड़ा भाई भी था, निहाल नाम का. दोनो भाई एक एक्स्ट्रीम स्पोर्ट कॉम्पीटिशन की तैयारी करते रहे. मैदान नाम के इस कॉम्पीटिशन में खतरनाक और जानलेवा रेसेज़ होती हैं. जो जीतेगा, वो अपने घर 80 करोड़ रुपये की राशि लेकर जाएगा. इंडिया से दूर पोलैंड में मैदान को चलाने वाला शख्स है देव, जिसका रोल अर्जुन रामपाल ने किया. मैदान की आड़ में उसके कुछ और इरादे भी हैं. पहले निहाल मैदान आया था, लेकिन वहां से वापस नहीं लौटा. अब सिद्धू मैदान को जीतने और अपने सवालों के जवाब पाने के लिए वहां पहुंचता है. 

nora fatehi
नोरा के किरदार की दुनिया बस मैदान के इर्द-गिर्द सिमटकर रह जाती है.

‘क्रैक’ का ट्रेलर देखते वक्त जेसन स्तेथम की फिल्म ‘डेथ रेस’ याद आई थी. उस फिल्म में कुछ खतरनाक अपराधियों को एक ऑप्शन दिया जाता है. उन्हें ऐसी रेसेज़ में हिस्सा लेना होगा जहां उनकी जान जा सकती है. लेकिन अगर जीत गए तो बदले में आज़ादी मिलेगी. ‘क्रैक’ और ‘डेथ रेस’ में ये एक समानता थी. दोनों फिल्मों की कलर टोन भी लगभग मिलती-जुलती है. बता दें कि ‘क्रैक’ के सिनेमैटोग्राफर मार्क हैमिल्टन हैं. कुछ चेज़ और एक्शन सीक्वेंसेज़ में उनका कैमरा वर्क टेंशन बिल्ड करने का काम करता है. क्विक कट्स एक्शन सीक्वेंसेज़ की पेस को ऊपर ले जाते हैं. किसी एक्शन सीन में कैमरा वर्क को सपोर्ट करने का बड़ा काम बैकग्राउंड म्यूज़िक का है. फिल्म का म्यूज़िक उस पर खरा नहीं उतरता. एक्शन सीन को पम्प करने वाला या फिर कहें तो खून गर्म करने वाला म्यूज़िक फिल्म से मिसिंग है. 
चंद लाइन पहले ‘क्रैक’ और ‘डेथ रेस’ की समानता की बात हुई थी. हालांकि इस फिल्म में सिर्फ उसी हॉलीवुड फिल्म के निशान नहीं दिखते. आपको नेटफ्लिक्स के महा-पॉपुलर शो ‘स्क्विड गेम’ और आमिर खान की फिल्म ‘जो जीता वही सिकंदर’ की छाप भी देखने को मिलेगी. अपनी हर फिल्म के साथ विद्युत अपने एक्शन की इंटेंसिटी बढ़ाते जा रहे हैं, बस उनके फिल्मों की स्क्रिप्ट की क्वालिटी खराब होती जा रही है. ऐसे में उनका किया एक्शन अपने सही मुकाम तक नहीं पहुंच पा रहा. ‘क्रैक’ के साथ मसला ये है कि ये एक टिपिकल फिल्म है. अगर कोई यूरोपियन किरदार है तो वो जीभ पर जोर लगाकर एक्सेंट के साथ अपने डायलॉग बोलेगा. गैर-ज़रूरी रूप से लोग लाउड होंगे. जानलेवा कॉम्पीटिशन है तो विलन के गुर्गे अजीब फैशन वाले जम्पसूट में घूमेंगे. ये सब सिनेमा में दसियों बार हो चुका है. पहले भी कारगर साबित नहीं हुआ और इस केस में भी नहीं. 

crakk
विद्युत का एक्शन खर्च हो गया. 

एक्टिंग विद्युत जामवाल का सबसे मज़बूत पक्ष नहीं. वो एक्शन और स्टंट्स में कमाल के हैं. ऐसा उन्होंने यहां भी कर के दिखाया. ‘क्रैक’ में उनके हिस्से ऐसे कई सीन आए जहां उन्हें अपना इमोशनल साइड दिखाना था. लेकिन वो अपने एक्स्प्रेशन और अपनी टोन के मामले में लाउड हो रहे थे. मन में महसूस करने से पहले भाव उनके चेहरे पर फटकर बाहर आ रहे थे. नोरा फतेही फिल्म में आलिया नाम की एक सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर बनी हैं. उनके किरदार की पूरी दुनिया बस मैदान के इर्द-गिर्द ही बनकर रह जाती है. वो एक जगह सिद्धू को कहती है कि उसके ऐसा करने की एक वजह है, लेकिन फिल्म खत्म होने तक हम उस वजह पर नहीं लौटते. एमी जैकसन वो पोलिश पुलिस ऑफिसर बनीं जो टिपिकल एक्सेंट के साथ अपनी लाइनें बोलतीं. एक्टिंग के लिहाज़ से उनके हिस्से कोई दमदार सीन नहीं आया. बस उन्हें रफ एंड टफ पुलिस ऑफिसर दिखना था. धड़ाम से दरवाज़ा खोलना, अपने सीनियर की डेस्क पर अहम फाइल पटकना, ऐसी चीज़ें करनी थीं. हालांकि देव बने अर्जुन रामपाल किरदार के कंट्रोल में दिखे. वो अपनी टोन का ध्यान रख रहे थे. उन्हें भी एकदम टिपिकल, बुरे, बड़े मकसद रखने वाले विलन का रोल मिला. लेकिन उन्हें देखकर नहीं लगता कि वो आप पर चिल्लाने की कोशिश कर रहे हैं.

arjun rampal
अर्जुन रामपाल किरदार के कंट्रोल में दिखे.

‘क्रैक’ के कुछ एक्शन सीक्वेंसेज़ थोड़ा एक्साइटमेंट जगाते हैं. लेकिन उनके इर्द-गिर्द रची गई पूरी दुनिया आपका ध्यान खींचकर नहीं रख पाती. फिर ऐसे में फर्क पड़ना बंद हो जाता है कि क्लाइमैक्स को अचानक से क्यों समेटा गया. या कुछ सवालों के जवाब क्यों नहीं मिले. और ऐसी स्थिति किसी भी फिल्म के लिए अच्छी बात नहीं. खैर उम्मीद यही है कि विद्युत अपने एक्शन के कद की स्क्रिप्ट्स उठायेंगे और सभी को एक सॉलिड एक्शन फिल्म देखने को मिलेगी.                                                                        
 

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