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क्या होता है VPN, जिसके इस्तेमाल में फायदा भी है और ख़तरा भी

घर से काम कर रहे हैं, तो क्या आपको VPN इस्तेमाल करना चाहिए?

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प्रतीकात्मक फोटो
लॉकडाउन चल रहा है. कई लोग घर से ऑफिस का काम कर रहे हैं. कई लोग पहली बार घर से काम कर रहे हैं. ऐसे में एक शब्द खूब ट्रेंड कर रहा है. VPN. फुल फॉर्म होता है. वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क. इसको लेकर कई लोग परेशान हैं. कइयों को डर है प्राइवेसी और सेफ्टी का. कई लोगों को इसके बारे में कुछ ख़ास पता भी नहीं है. आइए जानते हैं कि ये VPN क्या बला है? कैसे काम करता है? क्या सच में प्राइवेसी का कोई खतरा है? और कितना आसान या मुश्किल है, इसे इस्तेमाल करना.
How Vpn Work

VPN क्या है?
VPN को आप एक ऐसी टेक्नोलॉजी कह लीजिए, जो पब्लिक नेटवर्क जैसे कि इंटरनेट और प्राइवेट नेटवर्क जैसे कि आपके घर के वाई-फाई के जरिए सर्वर से सुरक्षित कनेक्शन जोड़ता है. इसके ज़रिए यूजर दुनिया में कहीं से भी संबंधित कंप्यूटर या उसके डेटा को एक्सेस कर सकता है. आसान भाषा में इसे ऐसे समझिए. मान लीजिए कि आप ऑफिस से दूर हैं. कुछ डेटा आपके ऑफिस के सर्वर में पड़ा हुआ है. आपको वो चाहिए. तो एक ऐसा नेटवर्क बनाया जाता है, जो इंटरनेट के जरिए आपके सिस्टम को ऑफिस के सर्वर से जोड़ता है.
How To Set Up Vpn
कंट्रोल पैनल में जाकर ऐसे VPN जोड़ सकते हैं.

अगर आपके ऑफिस ने चीज़ों को पब्लिकली होस्ट किया हुआ है तो VPN की कोई जरूरत नहीं है. इसके लिए आपको सिर्फ यूजर आईडी और पासवर्ड की जरूरत होती है. जैसे कि आप वर्डप्रेस या ब्लॉगर के अकाउंट को दुनिया के किसी भी कोने से एक्सेस कर सकते हैं. लेकिन अधिकतर सर्वर पब्लिकली होस्ट नहीं किए जाते हैं. क्योंकि डेटा बहुत ज्यादा होता है. उन्हें पब्लिक में रखना न ही सेफ है और न आसान. इसलिए सर्वर ऑफिस में होते हैं. इन तक पहुंचने के लिए VPN चाहिए होता है.
कैसे काम करता है?
आपके पास कोई भी नेटवर्क हो, इससे कुछ खास फर्क नहीं पड़ता. लेकिन इंटरनेट बिन सब सून. इंटरनेट चाहिए ही चाहिए. अगर आप संबंधित सर्वर तक पहुंचना चाहते हैं, तो उसके क्लाइंट का आपके सिस्टम में होना जरूरी है. यानी आपके पास उस सर्वर का पता होना चाहिए और उस सर्वर को आपका. ताकि कम्यूनिकेट किया जा सके.
Vpn Free

VPN के जरिए ऑफिस के डेटा का इस्तेमाल इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी इंटरनेट की स्पीड कैसी है. दोनों साइड. मतलब आपके सिस्टम में भी और ऑफिस में भी. अधिकतर सर्वर की बैंडविड्थ अच्छी होती है क्योंकि वे ऑफिस में होते हैं. एक अच्छी बैंडविड्थ, यूज़र के इस्तेमाल पर निर्भर करती है कि खपत कितनी है. खपत से अधिक बैंडविड्थ का होना अच्छा माना जाता है. कि अगर कभी और लोड की जरूरत पड़े तो दिक्कत न आए. अगर बहुत सारे लोग एक साथ फाइल कॉपी करने लगते हैं, तो बैंडविड्थ पर लोड बढ़ता है. जहां से आप एक्सेस करना चाहते हैं, वहां अगर आपकी इंटरनेट स्पीड अच्छी है तो आपको लगेगा मानो ऑफिस में बैठकर ही काम कर रहें हों.
सुरक्षा समस्याएं क्या हैं?
उदाहरण से समझिए. मान लीजिए आप अपने पर्सनल लैपटॉप से काम कर रहे हैं. आपका इंटरनेट भी किसी और नेटवर्क से जुड़ा है. और आपके सिस्टम में कोई वायरस या मालवेयर है. ऐसे में आपके सिस्टम का मालवेयर सर्वर पर अटैक करेगा क्योंकि आप उस सर्वर से जुड़े हुए हैं. ऑफिस की साइड से इन अटैक से बचने के लिए VPN के एंड में फायरवॉल लगाए जाते हैं. ताकि सुरक्षा पुख्ता रहे. सुरक्षा को लेकर कई बार कई लेवल पर फायरवॉल लगाए जाते हैं. कुछ मॉडर्न तकनीक से सर्वर एंड से भी आपके पर्सनल सिस्टम में रहे मालवेयर को खत्म किया जा सकता है. माने सर्वर के फायरवॉल आपने सिस्टम के मालवेयर को ख़त्म कर सकता है. कई आईटी कंपनियां ऐसा ही करती हैं. लेकिन ऐसा अभी कम जगह है.
Vpn

VPN का बाजार
ये तो वो वाले VPN हुए जो आपकी कंपनी आपके लिए बनाती है या बनवाती है. लेकिन VPN की दुनिया यहीं नहीं खत्म होती है. VPN का बहुत बड़ा बाज़ार है. अकामाई, एडब्लूएस, एक्सप्रेस जैसी कंपनियां अपना VPN देती हैं. ऑर्गेनाइजेशन और पर्सनल दोनों लेवल पर. इन बड़ी कंपनियों के पास बैंडविड्थ और सुरक्षा जैसी दिक्कतें नहीं होती हैं. बढ़िया इन्फ्रास्ट्रक्चर होता है. इनके पास अलग-अलग ज़ोन अवैलाबिलिटी होती है. सभी अलग-अलग चार्ज करते हैं. सुविधाओं के हिसाब से. इसका फायदा ये होता है कि मान लीजिए आप अभी ऑस्ट्रेलिया में हैं और ऑफिस आपका दिल्ली में है. तो आप अकामाई के ऑस्ट्रेलिया सर्वर से कनेक्ट करेंगे. ऑस्ट्रेलिया सर्वर आपको इंडिया के सर्वर से जोड़ देगा. और इंडिया सर्वर आपके ऑफिस वाले सर्वर से डेटा मांगेगा. ऐसा करके आपको डेटा मिलेगा. इसका रिस्पोंस टाइम बहुत कम होगा. सेकेंड्स में. और सेफ तो होगा ही. ये आपको सबसे नज़दीकी ज़ोन से बहुत जल्दी कनेक्ट करते हैं. अगर आप ऑस्ट्रेलिया से अपने नेटवर्क के जरिए दिल्ली से डेटा लेते हैं तो इसका रिस्पोंस टाइम अधिक होगा. अधिक वक्त लगेगा.
Virtual Private Network

फ्री VPN भरोसे लायक हैं?
इसका इस्तेमाल धोखाधड़ी, ठगी, चोरी के लिए किया जा सकता है. गलत काम के लिए. मान लीजिए कोई सर्विस फ़्रांस के लिए अवेलेबल है लेकिन भारत में अवेलेबल नहीं है. और आप भारत में बैठे हुए हैं. ऐसे में कानूनन और नैतिक रूप से आप उस सर्विस का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. ऐसे में आपको फ्री VPN के जरिए फ़्रांस का VPN मिल जाएगा. और आप उस सर्विस का इस्तेमाल भारत में बैठे कर सकेंगे जो भारत में उपलब्ध नहीं है. इसे ऐसे समझिए कि नेटफ्लिक्स की कोई सीरीज़ भारत में नहीं आई है. सिर्फ अमेरिका में उसे देखा जा सकता है. तो VPN का गलत इस्तेमाल कर आप उसे अमेरिकी आईपी एड्रेस के जरिए यहां इंडिया में भी देख सकते हैं.
पेड VPN सर्विस के लिए आपको पैसे खर्च करने होंगे. 200 से लेकर 1300 रुपये महीने. ये कंपनियां आपकी सुरक्षा की गारंटी लेती हैं. कई VPN आपकी ब्राउजिंग का रिकॉर्ड अपने पास रखते हैं और कई नहीं. आप अपनी प्राइवेसी के मुताबिक़ इसमें से चुन सकते हैं. अधिकतर VPN हफ्ते या महीने के ट्रायल के लिए मौजूद हैं. इसके बाद के लिए आपको पैसे खर्च करने होंगे. फ्री VPN के साथ सुरक्षा की सबसे बड़ी दिक्कत रहती है. कई बार ऐसे VPN आपके सिस्टम को नुकसान पहुंचाते हैं. स्पैम और मालवेयर के जरिए. बहुत जल्दी-जल्दी डिसकनेक्ट होते हैं. ऐसे में आप कुछ काम कर रहें तो अटक जाता है या फिर से शुरू करना होता है.
अथ श्री वीपीएन कथा.


विडियो- इंटरनेट बंद और नेटवर्क जाम होने के बावजूद फायरचैट ऐप से चैट और कॉल कैसे होता है?