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गजराज राव इंटरव्यू: "'बधाई हो' मेरी ज़िंदगी का सबसे मुश्किल रोल था"

एक्टर गजराज राव ने लल्लनटॉप से बातचीत की. नीना गुप्ता और माधुरी दीक्षित के साथ काम करने के अनुभव बताए.

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गजराज राव के साथ बातचीत

आज बात एक्टर गजराज राव से. जिनका काम लगभग तीन दशकों में फैला हुआ है. उनकी आनेवाली फिल्म 'मजा मा' के बहाने हमने उनसे बात की. 

1.  टेलीवाइज्ड प्ले क्या होता है? आप आकर्ष खुराना के साथ एक टेलीवाइज्ड प्ले कर रहे हैं 'गुनहगार' नाम से.   
Ans - मशहूर नाटक को रिकार्ड करके अपने चैनल पर टेलीकास्ट करते हैं टीवी चैनल्स. धीरे-धीरे उस तकनीक में सुधार आता गया. पहले टू डाइमेंशन में होता था. जैसे हम थिएटर में बैठकर देखते हैं. अब उसके अलग-अलग एंगल भी होते हैं. तो आकर्ष ने उसी तरह शूट किया है. नाटक का जो रोमांच है, जो ठहराव है, वो दर्शकों को इसमें देखने को मिलेगा.

2.  मनोज वाजपेयी के साथ आपने 'रे' में काम किया. उसके बारे में बताइए.
Ans - मनोज को मैं थिएटर की वजह से जानता था. बहुत सालों से साथ ऐक्टिंग का काम नहीं किया था. 'हंगामा है क्यूँ बरपा' में समझ लीजिए ऐसा हुआ, जैसे ज़ाकिर खान साहब और अमजद अली खान की जुगलबंदी हो जाए. मनोज का तजुर्बा ज्यादा है मुझसे और आंखों ही आंखों में हमारी जुगलबंदी हो जाती थी. एक डायरेक्टर से ज्यादा एक को-एक्टर आपके बारे में बेहतर राय दे सकते हैं. सीन के बारे में, आपकी ऐक्टिंग के बारे में, तो वो हमारा बहुत अच्छा चला और रोमांचक था.

3.  आपके लिए सबसे मुश्किल रोल कौनसा रहा और उसकी तैयारी आपने कैसे की? 
Ans - कह सकते हैं कि 'बधाई हो' से पहले 'तलवार' एक मुश्किल प्रोजेक्ट था. क्योंकि उसका माहौल, बैकड्रॉप, कहानी इतनी सेन्सिटिव थी और उसके अंदर जो मेरा किरदार था वो उटपटांग था. दिल्ली में मई-जून में शूट हो रही थी. तो मुझे लगता है वो एक मुश्किल पार्ट था. पर उससे ज्यादा तैयारी लगी थी जितेंद्र कौशिक के रोल के लिए. क्योंकि वो मेरी लाइफ का सबसे महत्वपूर्ण और बड़ा पार्ट था. जिससे मेरी ज़िंदगी बदल गई. जैसे कोई छोटी चार चप्पू वाली नाव हो और उससे कहा जाए कि अब आप स्टीमर चलाओ. तो इतना फर्क था उसमें.

4.  'बधाई हो' का किरदार आपके लिए मुश्किल क्यों था? 
Ans - उससे पहले मैंने जो भी रोल्स किये थे, मुझ पर प्रेशर नहीं था. कि मेरी वजह से कुछ बिगड़ जाएगा या फिल्म के ग्राफ पर कोई असर पड़ेगा. पर यहाँ मैं मुख्य किरदार था. उसके बोलने का तरीका, ज़बान, उसका अपनी पत्नी के साथ रिश्ता, अपने बेटों और मां के साथ रिश्ता, ये सब अलग कैसे दिखे? तो डायरेक्टर अमित शर्मा पूरी तरह से जागरूक थे कि वो एक जैसा न लगे. प्रिपरेशन के लिहाज से ये मुश्किल था.  

5.   आपने और नीना जी ने अपनी केमिस्ट्री पर कैसे काम किया? 
Ans - नीना जी का तजुर्बा मुझसे ज्यादा है और मैं शुरुआत में उनसे थोड़ा नर्वस था. उनकी छवि है कि वो एक तेज़ तर्रार औरत हैं. वो NSD से हैं. मैं एक छोटी नाटक कंपनी से था. तो आपके अंदर भी डाउट होते हैं कि आप कर पाएंगे या नहीं! लेकिन पहली रीडिंग में ही वो बहुत सहज थीं. दुनिया में हर जगह जो आपसे सीनियर होता है, वो रिलेशनशिप सेट करता है. तो इसका सारा श्रेय मैं नीना जी को दूंगा. वो बहुत तत्पर रहती थीं. रिहर्सल्स के लिए.

6.  'मजा मा' में माधुरी के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? 
Ans - माधुरी के साथ फिर से मैंने ये सब महसूस किया. क्योंकि वो इतनी सारी फ़िल्में कर चुकी हैं, इतने पुरस्कार मिल चुके हैं, करोड़ों लोग प्रशंसा करते हैं पूरी दुनिया में. मुझे लग रहा था कि सेट पर दो अलग-अलग क्यूबिकल्स होंगे. उन तक पहुंच नहीं होगी शॉट के बाद. लेकिन ऐसा कुछ नहीं था. शॉट्स के बीच हम अंताक्षरी खेलते थे. ऐक्टिंग का मतलब होता है वैटिंग. कि शॉट्स के बीच आप क्या कर रहे हो? इस वेटिंग के बीच आप कैसे जीवन को मनोरंजक बनाए रखते हैं. अपने को-एक्टर्स के साथ क्या बातचीत करते है. क्योंकि उससे ऊर्जा बनी रहती है.  

7.  आप दोनों के बीच कभी झिझक थी? कि आप स्टार स्ट्रक हो गए? 
Ans - आपकी मसल मेमोरी बताती है कि आपने मोहिनी, निशा जैसे किरदार निभाने वाली को रीगल, ओडियन और प्लाज़ा जैसे सिनेमा हॉल में देखा है. उनके साथ अचानक आपको काम करना है. जैसे आप गली क्रिकेट खेलते हो अपने टेनिस बॉल के साथ. लाइफ अच्छे से चल रही है. आप तेंडुलकर के फैन हो. अचानक आपको बोल दिया जाता है कि आपको वानखेडे में तेंडुलकर के साथ खेलना है. और तेंडुलकर आपको टिप्स भी देते हैं क्रीज़ पर खड़े होकर ताकि आप नर्वस न फ़ील करें. पहले सीन में आधे दिन के लिए मैं मंत्रमुग्ध सा था. मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मैं उनसे चार कदम दूरी पर खड़ा था. फिर मैंने अपने आप को संभाला कि नहीं. अभी डायरेक्टर तुम्हें निकाल देंगे. फिर मनोहर पटेल हावी हो गया. और वो मनोहर और पल्लवी पटेल के बीच का रिलेशनशिप होने लगा.

 

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