24 मार्च को अनुभव सिन्हा की फिल्म ‘भीड़’ आई. एक्शन फ्रैंचाइज़ी ‘जॉन विक’ का चौथा पार्ट रिलीज़ हुआ. इन दो बड़ी, नामी फिल्मों के साथ एक और फिल्म रिलीज़ हुई, ‘चोर निकल के भागा’. नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई इस थ्रिलर फिल्म में यामी गौतम, सनी कौशल और शरद केलकर जैसे एक्टर्स ने काम किया. अजय सिंह ने फिल्म को बनाया है. कैसी है फिल्म, अब बात उस बारे में. शुरू करते हैं फिल्म की कहानी से.
मूवी रिव्यू - चोर निकल के भागा
'चोर निकल के भागा' जिस तरह अपने प्रेडिक्टेबल हिस्सों तक पहुंचती है, वो आपका इंटरेस्ट बनाकर रखता है.

# नेहा एक फ्लाइट अटेंडेंट है. एक बार उसकी मुलाकात होती है अंकित से. अंकित क्या काम करता है, ये क्लियर नहीं हो पाता. दोनों के रास्ते कुछ और बार टकराते हैं. और फिल्म के 10 मिनट बीतने तक दोनों प्यार में पड़ चुके होते हैं. अंकित के इतना करीब आने के बाद नेहा को पता चलता है कि वो मुसीबत में है. उसे किसी को 20 करोड़ रुपए चुकाने हैं. उसके लिए करनी होगी चोरी. ज़मीन से कई हज़ार फीट ऊपर उड़ रहे एक प्लेन में. उस हवाई जहाज़ में लोगों के साथ हीरे भी सफर कर रहे हैं. अंकित और नेहा उन्हें गायब करना चाहते हैं.
उनका प्लान आगे बढ़ ही रहा होता है कि प्लेन के टॉयलेट में हरकत होती है. एक आतंकवादी गन लेकर बाहर निकलता है. प्लेन हाइजैक हो चुका है. उस फ्लाइट में कुल तीन आतंकी हैं. चोरी होने वाली थी. फिर हाइजैक हो गया. मगर कहानी सिर्फ इतनी नहीं. वो क्या है, ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
# ‘चोर निकल के भागा’ महान फिल्म नहीं है. न ही ये बुरी फिल्म है. ये इनके बीच में झूलती है. अगर एक पक्ष की ओर झुकाना भी तो कहेंगे कि ये औसत से तो ऊपर की फिल्म है ही. फिल्म सिर्फ अपने थ्रिलर वाले हिस्सों की वजह से याद नहीं रखे जाना चाहती. इस वजह से उसके इर्द-गिर्द एक दुनिया भी बनाई जाती है. लेकिन उसे इतना जल्दी-जल्दी निकाला गया कि आप पूरी तरह इंवेस्ट नहीं हो पाते. जैसे नेहा और अंकित की लव स्टोरी. ‘ब्रह्मास्त्र’ वाली लव स्टोरी की तरह ही फटाफट दौड़ती है.
एक थ्रिलर फिल्म के एंड तक आते-आते चीज़ें इतनी अचानक से खुलती हैं, कि फिल्म खत्म होने के चंद मिनटों में गणित करना मुश्किल हो जाता है. कि क्या अपने सभी सवालों के जवाब दे पाती है या नहीं. ‘चोर निकल के भागा’ जितने धागों के सिरे आपको दिखाती है, अंत तक आकर उन्हें जोड़ देती है. फिल्म के पहले हाफ में लगेगा कि कुछ किरदार इतनी लापरवाही से क्यों पेश आ रहे हैं. खासतौर पर आतंकवादी. मतलब उन्हें देखकर लग रहा था कि फिल्मी आतंकियों के हावभाव इनसे ज़्यादा प्रोफेशनल होते हैं. लेकिन आगे इसका भी जवाब मिल जाता है.
# फिल्म का असली एक्शन शुरू होता है फ्लाइट में. उसे अपने हिस्से का थ्रिलर मिलता है. कुछ हिस्से ग्रिपिंग हैं. बहुतायत में थ्रिलर फिल्में देखने के बाद आपको आइडिया लग जाता है कि क्या घटने वाला है. डिब्बा खुलेगा तो उसके अंदर क्या निकलेगा. लेकिन वो डिब्बा किस ढंग से खुलेगा, ये जानने में आपकी रुचि रहती है. ‘चोर निकल के भागा’ के साथ भी ऐसा ही है. चीज़ें आपको एक पॉइंट के बाद प्रेडिक्टेबल लगने लगेंगी. मगर फिल्म जिस तरह उन चीज़ों तक पहुंचती है, उससे आपका इंटरेस्ट बना रहता है.
‘चोर निकल के भागा’ नई फिल्म नहीं. ऐसा कुछ भी नहीं दिखाती जो पहले आई थ्रिलर फिल्में न दिखा पाई हों. मगर जिस तरह से ये पहले आई चीज़ों को पेश करती है, वही इसका स्ट्रॉन्ग पॉइंट है. इस मामले में अजय सिंह के डायरेक्शन की बात होनी चाहिए. फिल्म की राइटिंग में कुछ खामियां हैं. मगर उनका निर्देशन एक हद तक उन खामियों पर आपका ध्यान नहीं जाने देता.
# इस फिल्म की सबसे बड़ी स्टार हैं यामी गौतम. ऐसा क्यों, वो आपको फिल्म देखकर पता चलेगा. थ्रिलर फिल्म के बारे में धारणा बनी रहती है कि यहां एक्टर्स के लिए ज़्यादा कुछ करने को नहीं. लेकिन यामी के कैरक्टर को जिस भी परिस्थिति में डाला जाता है, वो उसके साथ इंसाफ करती हैं. उनके साथ थे सनी कौशल, जिन्होंने अंकित का किरदार निभाया. सनी को देखकर लगता है कि वो अपने ट्रान्ज़िशन पीरियड में ही हैं. एक एक्टर के तौर पर पूरी तरह निखर नहीं पाए हैं. कुछ सीन्स में वो ओवर ड्रामैटिक हो जाते हैं. वहीं कुछ सीन्स को देखकर लगता है कि खुद को पीछे खींच रहे हों.
शरद केलकर भी फिल्म में हैं. RAW अधिकारी बने हैं. छोटा रोल लेकिन याद रह जाते हैं. एकदम नैचुरल काम किया है. इनके अलावा इंद्रनील सेनगुप्ता भी नज़र आते हैं जिन्हें फिल्म सही से इस्तेमाल नहीं कर पाती. जब 2023 खत्म होगा तब ‘चोर निकल के भागा’ को साल की यादगार फिल्मों में नहीं गिना जाएगा. ये एंटरटेनिंग फिल्म है. कुछ हिस्सों पर इमोशनल भी. वो सभी चीज़ें हैं जो ‘वन टाइम वॉच फिल्म’ में होनी चाहिए. एक बार देखी जा सकती है.
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