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'छठ' के कुछ चुनिंदा गीत, जो इस साल रिलीज़ हुए और आपको सुनने ही चाहिए

प्लेलिस्ट अपडेट करने का समय आ गया है मितरो!

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ये सारी तस्वीरें हर्षित श्याम ने ही खींचीं हैं.

आवाज़ का बाज़ार बहुत बड़ा है. इंसान से पहले आवाज़ की बोली लग जाती है. खरीददार कान पसारे समेटने के फिराक में दुकान (यूट्यूब) का दौरा करता फिरता है. लेकिन कैसा हो कि कोई व्यक्ति लगातार बाज़ार जाए और एक ही जैसा सामान खरीदे. मसलन, कपड़ा खरीद रहा हो, तो वही चेक की बुशर्ट्स. या बर्तन ले रहा हो, तो वही पतीला. छठ के गीतों की वेरायटी (जिसकी कमी नहीं) और पसंद (जो चुनिंदा हैं) यहीं से समझा जा सकता है. छोड़िये, रुपकों के सहारे स्थापित होने का आडंबर. मुद्दे पर आते हैं.

उत्तर प्रदेश-बिहार-झारखंड के लिए उत्सव का बहाना और थके-हारों के घर लौट कर अघाने का मौसम आ गया है. लोग-बाग डाला छठ कहते हैं. हमारे यहां दीवाली से सात दिनों तक लगातार खुश रखने की ऊर्जा वाला कोई उत्सव. जैसे, बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर लगता था, लाखों नवछिटिहों को छठ की बेदी देख कर लगता है. इस चार दिवसीय व्रत अनुष्ठान के दौरान सुंदर रिद्म पर लहे-लहे बढ़ते दिन और उतने ही धीरे-धीरे गाए जाने वाले गीतों के बीच तिवई (व्रत रखने वालीं) क्या सोचती हैं, इसपर हज़ारों गीत हैं.

हमारा देस (यूपी-बिहार-झारखंड) इतना भरापूरा है कि छठ के हर चरण के लिए संगीतबद्ध गीत हैं. किसी में रिदम हैं. कुछ बस परिवार के लोगों के नाम जोड़ कर गाते चले जाने वाले हैं. मसलन, 'कांच ही बांस के बहंगिया' रास्ते पर चलते वक्त से लेकर घाट पर बैठते वक्त गाया जाने वाला गीत है. इसमें परिजनों का नाम जोड़िए और गाते रहिए. ऐसा ही सूर्य को अर्घ देने के लिए निवेदन के गीतों में भी है. यूट्यूब के इस डिजिटल चाकामाका दौर ने बहुत कुछ बदला. एक-डेढ़ दशक पहले तक दस गानों के एल्बम की दुनिया 4K में शूट हुए वीडियो सिंगल्स तक सिमट गई है. मगर सुंदर ये हुआ है कि अच्छा रचने वालों के लिए द्वार खुल गए हैं. एक तरफ़, जहां इसी यूट्यूब पर भोजपुरी के अश्लील द्विअर्थी गीतों की शृंखला है, वहां चुपचाप उनसे लोहा लेते गीतों की नई दुनिया जहां छठगीतों के नए बोल हैं, नई धुने हैं और नए गाने-नाचने-बजाने वाले हैं. झमक कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं. धीरे-धीरे ही सही, भोजपुरी में अच्छा रचने वाले अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं और अच्छा देखने-सुनने की लालसा रखने वाले दर्शक-श्रोताओं को हर बरस अपने साथ जोड़ रहे हैं.

यूट्यूब की दुनिया में इस बरस 2022 में आए, छठ के कुछ पारंपरिक, तो कुछ बिल्कुल नए और बाकमाल गीतों के बारे में आपको जानना चाहिए. उन्हें बनाने वाले, लिखने वाले और गाने वालों के नाम-पते पर गौर करने को कहना, हमारा काम है. उसको सुनकर अपनी पसंद के हिसाब से तह लगाना, आपका. बकौल आलोक धन्वा, ‘दुनिया रोज़ बनती है’ इसलिए इस दफे अपनी दुनिया में इन गीतों को सहेजिए, देखिए कैसी दुनिया बन कर निकलती है.

# छठ 2022 - वॉल्यूम 7

‘हरेक साल के भांति इस साल भी, मां गंगा छठ सेवा समिति आपका स्वागत करती है-करती थी- करती रहेगी… ’ जो सौभाग्यशाली पूत-सपूत-पुत्रियां छठ का पोखरा और नदी वर्जन इंजॉय कर रहे होंगे उन्हें ये लाइन याद ही होगी. ‘बेजोड़’ नितीन नीरा चंद्रा हर साल की तरह इस साल भी छठ का स्वागत अपने सुंदरतम प्रयास से कर चुके हैं. इनके गीत और उसका प्रॉडक्शन भोजपुरी में रचने-गुनने वालों के लिए उम्मीद के अर्घ की तरह होते हैं. ये पलायन के देस बिहार-यूपी का हासिल ही है, कि दिल्ली में जन्मीं देश की मशहूर गयिका सुनिधि चौहान की आवाज़ बलिया के रहवइया डॉ. सागर के बोल लेकर उठती है. निखिल कामथ के संगीत से सजा यह गीत दुख दरिया सुख सुतुही की बात मन में तसल्ली भर कर आगे बढ़ा देती है. ये गीत लूप पर रखकर सुने जाने योग्य है. हर बार की तरह.

# अब छठी होखूं ना सहाय

भोजपुरी में सुघर प्रयोग के साथ लगातार अपनी झमकदार उपस्थिति दर्ज करा रहीं चंदन तिवारी इस बार छठ पर कमाल कर रही हैं. तमाम सोशल मीडिया के पटल पर नए नए गीत के बाद मगही और भोजपुरी के मिश्रित शब्दों के साथ ये गीत आपको नई दुनिया में ले जाएगा. विंध्यवासिनी देवी के गीत को उतनी ही ईमानदारी और सहजता से गाया है, 'अब छठी होखूं ना सहाय' शीर्षक का यह गीत तुकांत नहीं है, ये इसकी खास बात है. नई हिंदी कविता के लहजे में संवाद करता यह गीत अद्वितीय है, मन खोल कर सुनने लायक.

# सोने के सुपुलिया

छठ पर एक के बाद एक लगातार तीन गीत जारी करने वाले ‘मिसरी’ नामक यूट्यूुब चैनल के युवाओं की टोली, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश से रस घोल रही है. इन्होंने अलग-अलग उम्र के काबिल और नई आवाज़ों के साथ मिलकर नए गीत जारी किए हैं. सुशांत शर्मा के लिखे और सुशांत देव के संगीत से सजे 'सोने के सुपलिया हो दीनानाथ', आर्थिक विभेद को रेखांकित करता हुआ गीत है. वर्तिका शुक्ला के गाये इस गीत का फिल्मांकन उनके स्टूडियो रिकॉर्डिंग का ही है. बजट की लड़ाई लड़ते मिसरी के आदर्श हर वीडियो के डिस्क्रिप्शन में अधिकार स्वरूप एकाउंट डिटेल डाल कर अपने विराट मन की कहानी बिना कहे सुना रहे हैं, गोया उन्हें भोजपुरिया समाज से अभी भी उम्मीद है. यह बात उल्लेखनीय है कि पिछले तीन सालों से इस समूह ने संसाधनों के सीमित होने बावजूद भी अपने हर प्रोडक्शन में उत्कृष्टता को बरकार रखा है. मिसरी टीम के बाकि दोनों गीत 'हो दीनानाथ' और 'हे छठी मईया 3.0' भी बेहद सुंदर हैं. हे छठी मईया 3.0 को तो जरूर देखना चाहिए.

# अम्मा

दिनेश लाल यादव निरहू भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता हैं और अब सांसद भी. निर्देशन की दुनिया में पांव जमा रहे बनारस के उज्जवल पांडेय ने उनके साथ मिलकर नए तरह का गीत 'अम्मा' जारी किया है. लोकगायक और छुपारुस्तम कवि शैलेंद्र मिश्र का यह गीत अद्वितीय गायिका कल्पना ने गाया है. इस सदी के शुरूआत से ही भोजपुरी फिल्मों से लगायत लोकप्रिय एल्बमों में सबसे चर्चित आवाज़ों में शुमार रहीं कल्पना का यह गीत आपको बेहद पसंद आएगा.

# अरघ दीनानाथ

लगे हाथ गायिका कल्पना के अपने यूट्यूब चैनल म्यूजिक बॉक्स पर आये इस गीत को भी जरूर सुना जाना चाहिए. कल्पना और उनकी बहन मेघाली ने ‘कर एक बार… छठ त्यौहार’ शीर्षक से ये गीत मुकुल मनमीत ने लिखा है. संतान के लिए भी किए जाने वाले छठ के गीतों की मौलिकता और रिद्म की मर्यादा के बीच भोजपुरी के लिए बिल्कुल नई मेघाली ने कल्पना के साथ इसे बखूबी निभा दिया है.

# डोमिनिया

सुशांत अस्थाना और सोनल कुमारी ने एक गीत गाया है 'डोमिनिया'. यह गीत समाज के उपेक्षित रहे वर्ग को इस तरह आत्मसात करता है कि ग्लोरिफाई होता प्रतीत भी नहीं होता और संगीत-सुर के लिहाज से लोमहर्षक भी है. लोमहर्षक माने रोंगटों को हर्षित कर देने वाला. इसे लिखा गणेश कुमार काजल ने है. हालांकि काफ़ी लोग ऐसे भी जो इस तरह गीतों पर थोड़ी असहमति रखते हैं. लेकिन इसके बावजूद भी आपसे निहोरा है कि यह एक ऐसा जरूरी गीत है जिसे गीत-संगीत की हर विधा में दक्ष सुशांत के लिए इसे ज़रुर सुना जाना चाहिए.

# छठी मईया बुलावे

शहनाई के स्वर से शुरू होते गीत 'छठी मईया बुलावे' बिल्कुल पारंपरिक गीत सा है, हाँ कलेवर नया सा है. कोक स्टूडियो जैसे सेटअप में सारे कलाकारों को परफॉर्म करते देखना सुहाता है, साथ में छठ के व्रत पूजा के कुछ मोंटाज हैं. कबीर सिंह सरीखे फ़िल्म एल्बम से बॉलीवुड में जड़ जमा चुके विशाल मिश्रा ने ही इस गीत को गाया भी है और इसे संगीत भी दिया है. लिरिक्स कौशल किशोर के हैं.

# सोना सुरुजदेव

मैथिली ठाकुर की प्रसिद्धि से कौन नहीं वाकिफ है. 23 साल की उम्र में अद्वितीय कंठ के साथ एक एक शब्द पर हरकत कर सकने की क्षमता वाली मैथिली ने टाइम्स म्यूजिक स्पिरिचुअल्‌ नाम के चैनल पर ये गीत गाया है. सूर्य के मुस्कुराने पर मेरी जानकारी में शायद पहली बार कोई गीत है. राकेश निराला ने बहुत सुंदर गीत रचा है. मैथिली बहुत लोकप्रिय हैं, अगर यह गीत फिर भी आप तक न पहुंचा हो तो सबसे पहले सुनने लायक है.

(ये स्टोरी लल्लनटॉप के लिए हर्षित श्याम ने लिखी है.)

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