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"बॉलीवुड में कोई सच्चा दोस्त नहीं, आपकी बोली लगती है"

Chetan Bhagat का कहना था कि Bollywood में लोग दोस्त होने का दिखावा करते हैं.

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'2 स्टेट्स' और 'हाफ गर्लफ्रेंड' जैसी फिल्में चेतन के नॉवल पर ही बनी थीं.

Chetan Bhagat की कई किताबों पर Bollywood में फिल्में बनी. Half Girlfriend, One Night @ Call Centre और 2 States उन्हीं में से कुछ नाम हैं. इनके अलावा चेतन, Salman Khan की फिल्म Kick की राइटिंग टीम का भी हिस्सा थे. उन्होंने लंबे समय तक इंडस्ट्री में काम किया. फिर भी वहां उनके कोई दोस्त नहीं हैं. हाल ही में चेतन दी लल्लनटॉप के प्रोग्राम गेस्ट इन द न्यूज़रूम में बतौर गेस्ट आई थीं. वहां उनसे पूछा गया कि क्या फिल्म इंडस्ट्री में उनके कोई दोस्त हैं. इस पर चेतन का कहना था, 

"मोहित सूरी, अभिषेक कपूर जिन्होंने मेरे नॉवल पर फिल्में बनाई, उनसे मैं जुड़ा. क्योंकि इन लोगों से इतना क्लोज़ इंटरेक्शन हुआ. मगर ये इंडस्ट्री ऐसी है नहीं. ये भी एक कारण है कि अब मैं बॉलीवुड के लिए कम लिख रहा हूं. मैंने लिखा. मुझे सफलता भी मिली. वो सक्सेस एक तरफ है. मगर उस सक्सेस के लिए सालों तक एक पिक्चर पर काम करना पड़ता है. तीन मूवी में आपके 10 साल निकल गए. और इसमें भी आप जिन लोगों के साथ हैं, वो बेस्ट लोग नहीं हैं. मैं आपको अलग ढंग से समझाता हूं. जैसे, जो मेरे इंजीनियरिंग कॉलेज के फ्रेंड्स हैं. या फिर जो एमबीए के फ्रेंड्स हैं या बैंकिंग के फ्रेंड्स हैं, वो ज़्यादा सच्चे हैं, बजाय बॉलीवुड में बने दोस्तों के. मैं भले ही ये सोच लूं कि बॉलीवुड से मुझे '3 इडियट्स' मिल रही है, '2 स्टेट्स' मिल रही है. मुझे बड़ी पहचान मिल रही है. मगर असल में वहां लोगों को मेरी परवाह नहीं है. अगर मेरी पिक्चर हिट है, तो मुझे बर्थडे पर मैसेज आ रहे हैं, हैप्पी बर्थडे. वॉट्सएप पर, सोशल मीडिया पर लोग मुझे विश कर रहे हैं. मैं जानता भी नहीं हूं इन लोगों को. पर ऐसे बड़े-बड़े एक्टर्स मुझे विश कर रहे हैं."

चेतन भगत ने इस बातचीत में बताया कि इंडस्ट्री में उनका ही नहीं, कई लोगों का अनुभव यही रहा. उनका मानना है कि वहां रिश्ते स्वार्थ की बुनियाद पर बनते हैं. लोग कॉल-मैसेज भी तब करते हैं, जब आप उनके किसी काम आ सकते हों. इस बारे में चेतन ने कहा,

"तुम्हारी कोई पिक्चर नहीं आ रही या पिक्चर फ्लॉप है, हालांकि मेरी कोई फिल्म सही मायनों में फ्लॉप हुई नहीं. 2008 की 'हैलो' नहीं चली. मगर तब सोशल मीडिया था नहीं. वॉट्सएप ही नहीं था. मैं भी मशहूर नहीं था. पर मैं बता रहा हूं कि एक बार पहचान बन जाए, और फिर फिल्म ना आ रही हो कोई, तो मैसेज नहीं आते. पार्टी इन्विटेशन जो मिलते हैं, ये सब इस पर निर्भर करता है कि उस वक़्त आपका मार्केट में रेट क्या चल रहा है. चलो, ये भी ठीक है. मगर फिर मैंने सोचा कि क्या मैं अपनी ज़िंदगी ऐसे जीना चाहता हूं? क्या मैं 60 साल का वो आदमी बनना चाहता हूं जो सोचे कि मैं भी घिस रहा हूं और मुझे भी एक दिन पार्टी में बुलाया जाएगा. जिस पार्टी में सिर्फ इसलिए बुलाया जाता है कि आपकी पिक्चर कमर्शियल हिट है और आप किसी को कमर्शियल फायदा पहुंचा सकते हैं. मुझे तो पार्टी में बुलाते ही नहीं थे. मैं किसी एक-दो पार्टीज़ के बारे में ये नहीं बोल सकता. ये सिर्फ मेरा अनुभव नहीं है. जितने लोगों से मैं मिला हूं, निर्देशक हों, एक्टर हों, पूरी इंडस्ट्री का एक्सपीरियंस है कि यहां पर दोस्तियां हैं नहीं. ये जमघट ह‍ै. कटथ्रोट जगह है. तुम्हारी बोली लगती है. अगर तुम फिल्म को पैसा कमाकर दे सकते हो, तो आइए. और नहीं दे सकते तो हम आपको नहीं जानते. चलो ये भी ठीक है. समस्या ये है कि लोग ऐसे दिखाएंगे कि वो बेस्ट फ्रेंड्स हैं. लोग दिखावा करेंगे कि ये एक फ्रेटर्निटी है और हम यार हैं. दोस्त हैं. हम पार्टी कर रहे हैं. खा रहे हैं, पी रहे हैं. बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं, मगर ये रियल नहीं है."

चेतन से पूछा गया कि जो लोग इंडस्ट्री में हैं, उनमें से कोई तो ऐसे होंगे जो अच्छे दोस्त होंगे. चेतन ने कहा कि ज्यादातार लोग दिखावा करते हैं. असल में दोस्ती होती नहीं. उन्होंने जोड़ा,

“एक-दो लोग दोस्त हो सकते हैं, मगर मैं आम तौर पर बता रहा हूं. फिल्म चल रही है तब-तब भाई है तू मेरा. यार है. आय लव यू मैन और फिर 10 दिन बाद सब ख़त्म. इस तरह की दोस्ती में मेरा विश्वास नहीं है. वहां ऐसा है कि अगर तुम फिल्म को पैसा कमाकर दे सकते हो, तो आइए. और नहीं दे सकते तो हम आपको नहीं जानते.” 

चेतन ने आगे ये भी बताया कि बीते कुछ सालों से उनके नॉवल पर फिल्म क्यों नहीं बन रही है. उन्होंने कहा कि वो इस उम्र में एक फिल्म पर तीन साल नहीं लगा सकते. उनके पास अब इतनी भागदौड़ करने का समय नहीं रहा. इसलिए वो फिल्म इंडस्ट्री से दूर रहते हैं.   

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