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वो 10 ऐक्टर्स, जिनके इस साल निभाए एक रोल ने उन्हें आसमान पर बिठा दिया

2022 में चमके ये वो कलाकार हैं, जिनके बारे में सबको लगता है कि इनमें बहुत ज़्यादा संभावनाएं हैं.

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इस बरस जलवा काटने वाले कलाकार

2022 कई ऐसे कलाकारों के नाम रहा, जो कई सालों से मेहनत कर रहे थे. पर अचानक इस बरस उनका सितारा चमका और जनता ने उन्हें कंधे पर उठा लिया. कुछ ऐसे भी थे, जो अपनी भाषा के सिनेमा में बड़े नाम थे, पर दूसरी भाषा की जनता ने उन्हें इसी बरस डिस्कवर किया. शायद इनमें सबसे बड़ा नाम हो सकते हैं, 'कांतारा' वाले ऋषभ शेट्टी. लेकिन वो हमारी इस लिस्ट में नहीं हैं. कारण ये है कि ये लिस्ट उन कलाकारों की है, जो अंडरडॉग्स हैं. ऐसे कलाकार जिनके बारे में हमें लगता है, इनमें बहुत ज़्यादा संभावना है.

1) अशोक पाठक (पंचायत-2)
अशोक पाठक

एक बहुत छोटा-सा रोल, पर भौकाल ऐसा कि लीड कैरेक्टर को भी पीछे छोड़ दिया. अशोक पाठक को बिनोद के किरदार ने रातोंरात स्टार बना दिया. बिनोद नाम उनके साथ चस्पा हो गया. सबसे अच्छी बात ये रही कि उनके 'पंचायत-2' के किरदार को न केवल क्रिटिकली सराहा गया, बल्कि ये पॉपुलर कल्चर का हिस्सा बना. जनता ने इसे सराहा. बिनोद पर भर-भरके मीम बने. अशोक पाठक ने बिनोद को इतना रियल रखा, पहले-पहल लोगों को लगा कि ये किसी लोकलाइट के द्वारा निभाया किरदार है. हालांकि 'पंचायत-2' से पहले उन्होंने 'बिट्टू बॉस', 'शंघाई' में भी काम किया था. 'फुकरे रिटर्न्स' में स्मैकिया के रोल में उन्हें ठीकठाक स्क्रीन टाइम मिला, पर जनता ने उन्हें पहचाना बिनोद के लिए.

2) दुर्गेश कुमार (पंचायत-2)
दुर्गेश कुमार

दुर्गेश कुमार को हमने ‘पंचायत-2’ से पहले 'हाइवे' में देखा. 'संजू' में पोस्टमैन और 'द बिगबुल' में 'लिफ्टमैन' के रोल में देखा, पर पहचाना नहीं. हमने उन्हें पहचाना बनराकस के रोल में. उनका 'देख रहा है बिनोद' अमर हो गया. जब तक मीम और इंटरनेट की दुनिया रहेगी, उनकी आवाज़ और हथेली पर तंबाकू मलने वाला जेस्चर इस दुनिया में घूमता रहेगा. दुर्गेश कुमार को हमने 'पंचायत' के पहले सीज़न में भी देखा, पर 'पंचायत-2' ने उन्हें स्टार बनाया. खैर, कब ऑडियंस चेत जाए और कब-किसे अपने सिर पर बिठा ले, कौन जाने! जरूरत से ज़्यादा और वक़्त से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता. दुर्गेश कुमार वैसा ही नाम हैं.

3) दुशारा विजयन (नटचतिरम नगरगिराधु)
दुशारा विजयन

दुशारा विजयन तमिल इंडस्ट्री में सक्रिय हैं. उन्होंने Bodhai Yeri Budhi Maari से डेब्यू किया. उन्होंने 'नटचतिरम नगरगिराधु' से पहले भी पा. रंजीत की फ़िल्म Sarpatta Parambarai में काम किया है. पर वो काम इतना यादगार नहीं रहा. इसकी गूंज बहुत दूर तक नहीं गई. Natchathiram Nagargiradhu में निभाए समाज और सिस्टम के विरोध में खड़े रोल, रेने को सिनेमा लवर्स और एक्सपर्ट दोनों ने पसंद किया. एक दलित लड़की ने कैसे अपनी शर्तों पर जीना चाहा और अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने का भरसक प्रयास किया. दुशारा विजयन ने ऐसे किरदार को जीवंत किया है.

4) कल्याणी प्रियदर्शन (हृदयम)
कल्याणी प्रियदर्शन

'हृदयम' से पहले कल्याणी प्रियदर्शन ने काफ़ी काम किया है. पर 'हृदयम' उनके लिए ब्रेकआउट फ़िल्म साबित हुई. इसमें उनके किरदार नित्या को हाथोंहाथ लिया गया. उनकी सहज और सधी हुई ऐक्टिंग को लोगों ने खूब सराहा. 'हृदयम' एक कमिंग एज रोमैंटिक ड्रामा है. ये बेसिकली अरुण की इमोशनल जर्नी है. उसके निश्चिंत बैचलर डेज और फिर तमाम जीवन के फेजेस से गुजरते हुए मेच्योर होने की कहानी है. ख़बर है करन जोहर 'हृदयम' का हिंदी में रीमेक भी बनाने वाले हैं. कल्याणी प्रियदर्शन के रोल को सेकंड लीड की तरह लिया जा सकता है.

5) आंचल सिंह (ये काली-काली आंखें)
आंचल सिंह

ये शायद हमारी लिस्ट का सबसे अनसुना नाम हो सकता है. पर तस्वीर देखकर आप आंचल सिंह को ज़रूर पहचान रहे होंगे. उनको हमने 'अनदेखी' सीरीज़ में देखा. पर जिस कारण से वो हमारी लिस्ट में हैं, वो है उनका नेटफ्लिक्स पर आया शो 'ये काली-काली आंखें'. इसमें उन्होंने एक प्रेम में पड़ी ऐसी लड़की का किरदार निभाया है, जो अपने प्रेमी को पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है. सीधे शब्दों में कहें, तो ये लड़की की एकतरफा प्रेम कहानी है. जो कि कम ही देखने को मिलता है. आंचल सिंह ने पूर्वा के रोल में जनता का मन मोहा और प्रशंसा बटोरी. ये उनके करियर का ब्रेकआउट रोल साबित हुआ.

6) निलय मेहंदले (कोबाल्ट ब्लू)
नीलेय महेंडाले

‘कोबाल्ट ब्लू’ समलैंगिक संबंधों पर बनी एक बहुत प्यारी और मैच्योर फ़िल्म है. इसमें निलय मेहंदले ने एक गे लड़के तनय का किरदार निभाया है. उन्होंने इस किरदार को खुद में आत्मसात किया है. उनकी सिनेमा इंडस्ट्री में एंट्री बहुत ही प्रभावी ढंग से हुई है. आगे उन्हें यदि अच्छा काम मिले, तो वो लंबी रेस का घोड़ा साबित हो सकते हैं.

7) ज़ायन ख़ान दुर्रानी (मुखबिर)
ज़ायन ख़ान दुर्रानी

'मुखबिर' ज़ी5 पर आई एक जासूसी वेब सीरीज़ है. इसमें प्रकाश राज और आदिल हुसैन जैसे बड़े ऐक्टर्स ने काम किया है. पर इन सबके बीच में जो एक नाम निखरकर सामने आया, वो है ज़ायन ख़ान दुर्रानी. वो इसमें खूफिया एजेंट की भूमिका में हैं. ऐसा जासूस, जो 1965 के भारत-पाक युद्ध में इंडिया का एक अहम असेट साबित होता है. ज़ायन ने 'कुछ भीगे अल्फ़ाज़' से फ़िल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था. ये फ़िल्म तमाम फ़िल्म फेस्टिवल्स में घूमी. इसमें ज़ायन की काफ़ी तारीफ़ भी हुई थी. पर वो सिर्फ़ चंद लोगों तक महदूद रही. अब जाकर ज़ायन को ‘मुखबिर’ के बाद उनका ड्यू क्रेडिट मिल रहा है.

8) सिकंदर खेर (मोनिका, ओ माई डार्लिंग)
सिकंदर खेर

वासन बाला की फ़िल्म 'मोनिका, ओ माई डार्लिंग' 2022 की कुछ चुनिंदा फिल्मों में से एक रही, जिसे लगभग सभी ने पसंद किया. इसके रेट्रो फ़ील वाले म्यूजिक को खूब पसंद किया गया. राजकुमार राव, राधिका आपटे, हुमा कुरैशी की ऐक्टिंग की भी प्रशंसा हुई. पर एक और शख्स हैं, जिन्होंने छोटे मगर मोटे रोल में ऑडियन्स की तारीफ़ें बटोरी. सिकंदर खेर. उनकी कॉमिक टाइमिंग ज़बरदस्त है. थोड़ा सा क्रूर, थोड़ा-सा फंकी निशिकांत अधिकारी उन्होंने बढ़िया निभाया. अगर उन्हें सही से रोल मिलने लगे, तो बड़ा नाम बनने की उनमें पूरी काबिलियत है. हालांकि आप लोग ये कह सकते हैं कि सिकंदर खेर पुराने चावल हैं. उन्हें इस नई-नवेली लिस्ट में नहीं होना चाहिए. उन्होंने 'आर्या' में भी ठीकठाक काम किया. लोगों ने उनके चेहरे को पहचाना. पर 'मोनिका, ओ माई डार्लिंग' से लोगों ने उनके नाम को भी डिस्कवर किया. ये उनकी ब्रेकआउट परफॉरमेंस साबित हुई.

9) बाबुशान मोहंती (दमन)
बाबुशान मोहंती

बाबुशान मोहंती ओड़िया फिल्मों के बड़े नाम हैं. वहां वो क़रीब दस सालों से सक्रिय हैं. पर उनकी फ़िल्म 'दमन' ने पूरे देश में तहलका मचा दिया. कई लोगों ने तो इसे 'कांतारा' से भी बेहतर बताया. इसमें बाबुशान मोहंती ने डॉक्टर सिद्धार्थ का रोल निभाया है. जो गांव-गांव जाकर लोगों को मलेरिया के बारे में जागरूक करता है और लोगों को इससे बचने के तरीके बताता है. इस एक रोल बाबुशान को रातोंरात स्टार बना दिया. अभी तक उन्हें सिर्फ़ उड़ीसा में जाना जाता था, अब उन्हें पूरा देश जानता है. 

10) प्रकाश झा (मट्टो की साइकिल)
प्रकाश झा

प्रकाश झा ने निर्देशक के तौर पर बहुत नाम कमाया. उनकी एंटी एस्टैब्लिशमेंट फिल्मों को जनता और क्रिटिक्स दोनों ने सराहा. 'दामूल', 'गंगाजल' और 'चक्रव्यूह' जैसी फ़िल्में उनके करियर के शर्ट पर किसी चमकीले बटन जैसी हैं. पर इस साल उनकी बतौर लीड ऐक्टर एक फ़िल्म आई, 'मट्टो की साइकिल'. इसमें मट्टो के रोल को उन्होंने ऐसा जिया, स्क्रीन पर प्रकाश झा को गायब कर दिया. तमाम बड़े ऐक्टर्स को उन्होंने सिखाया कि ऐक्टिंग कैसे की जाती है. अद्भुत काम. यथार्थ के बहुत ज़्यादा क़रीब. हालांकि इससे पहले भी प्रकाश झा ने बतौर ऐक्टर काफ़ी काम किया है. पर मट्टो के रोल में उन्हें बतौर ऐक्टर ढंग से पहचाना गया.

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