
# वो लड़का जो भारत-चीन युद्ध की वजह से फिल्मों में आ गया
डैनी का जन्म 25 फरवरी, 1949 को सिक्किम के युकसम गांव में हुआ था. इनकी पिछली 14 पीढ़ियां मॉन्क थीं. बौद्ध धर्म के साधुओं को मॉन्क बुलाते हैं. डैनी के सात भाई और चार बहने हैं, जिनमें डैनी सबसे छोटे हैं. डैनी की सबसे बड़ी बहन और उनके बीच 42 साल का फासला है. खैर, शुरू से डैनी पढ़ाई-लिखाई में ठीक थे. स्कूलिंग वगैरह सिक्किम में हुई. कई रिपोर्ट्स में उनकी स्कूली पढ़ाई-लिखाई नैनीताल से भी हुई बताई जाती है. कॉलेज की पढ़ाई के लिए वो दार्जिलिंग चले गए. डैनी आर्मी में जाना चाहते थे. ये वो दौर था जब इंडिया और चाइना के बीच युद्ध चल रहा था. डैनी के गांव के कई लड़के इस वॉर में मारे गए थे. उनकी लाशें गांव लाई गईं. पूरे गांव में सामूहिक शोक मनाया गया. इस घटना के बाद डैनी की मां डर गईं. वो नहीं चाहती थीं कि डैनी आर्मी में जाएं. डैनी ने मां की बात मान ली. उन दिनों पुणे फिल्म इंस्टिट्यूट, जिसे अब FTII के नाम से जाना जाता है, वहां दाखिले की प्रक्रिया चल रही थी. डैनी को सिंगिंग में दिलचस्पी थी. साथ ही वो बांसुरी भी अच्छी बजाते थे. इसलिए वो अपना करियर म्यूज़िक में बनाने के बारे में सोचने लगे. FTII में म्यूज़िक तो सिखाया जाता था. मगर वो एक्टिंग कोर्स का हिस्सा था. डैनी ने एक्टिंग कोर्स में एडमिशन ले लिया.
नॉर्थ-इस्ट से होने की वजह से डैनी अलग दिखते थे. उनकी आंखें छोटी थीं. अपने एक इंटरव्यू में डैनी बताते हैं कि जब वो FTII पहुंचे, तो लोग उन्हें चीनी समझकर उनके ऊपर पत्थर फेंकते थे. साथ उन्हें चीना-चीना कहकर चिढ़ाया जाता था. इसलिए उन्होंने बाहर निकलना बंद कर दिया. वो हॉस्टल में बैठकर दिनभर में तीन फिल्में देखा करते थे.
FTII में जया बच्चन डैनी क्लासमेट थीं. ओरिएंटेशन वाले दिन सभी नए बच्चे खुद को इंट्रोड्यूस कर रहे थे. जब डैनी ने यहां अपना ओरिजिनल नाम शेरिंग फिंस्टो डेन्जोंगपा बताया, तो किसी को उनका नाम समझ नहीं आया. बढ़ते-बढ़ते ये चीज़ मज़ाक का विषय बन गई. इसी दौरान जया बच्चन ने उनसे कहा कि उन्हें अपने लिए एक आसान नाम चुनना चाहिए, जिसे बोलने में बाकियों को आसानी हो. तो इस तरह से शेरिंग फिंस्टो डेन्जोंगपा बन गए डैनी.

बैचमेट जया बच्चन के साथ डैनी. जया ने डैनी को डैनी बुलाना शुरू किया था.
# डैनी को फिल्मों में सिर्फ नौकर के रोल क्यों मिलते थे?
FTII से अपना कोर्स खत्म करने के बाद डैनी फुल टाइम एक्टिंग में आ गए. मगर उन्हें मेनस्ट्रीम हिंदी फिल्मों में सिर्फ नौकर या दूसरे छोटे-मोटे किरदार मिल रहे थे. इसके पीछे की वजह थी उनका अन-कन्वेंशनल लुक. फिल्ममेकर्स उनसे कहते कि वो किसी हिंदी फिल्म हीरो के भाई या बाप जैसे नहीं दिखते. 1971 में डैनी की डेब्यू फिल्म 'ज़रूरत' रिलीज़ हुई. बी.आर. इशारा डायरेक्टेड इस फिल्म में उन्हें फिल्म के मुख्य पात्रों के बेस्ट फ्रेंड का रोल मिला था. ठीक इसी समय गुलज़ार तपन सिन्हा के डायरेक्शन में बनी बांग्ला फिल्म 'आपन जन' का हिंदी रीमेक बनाने जा रहे थे. उन्होंने इस फिल्म में कठपुतली चलानेवाला के रोल के लिए डैनी को अप्रोच किया. ये एक छोटा सा रोल था. बकौल डैनी 'मेरे अपने' नाम से बन रही ये फिल्म उन्होंने इसलिए साइन की क्योंकि इसमें उनकी पसंदीदा एक्ट्रेस मीना कुमारी के साथ काम करने का मौका मिल रहा था. इस फिल्म से जुड़ी अपनी यादें शेयर करते हुए डैनी कहते हैं-
''मीना कुमार मुझसे कहतीं- तू तो मेरा असली बच्चा है. तेरी नाक बिल्कुल मेरे जैसी है.''फिल्म तो बहुत नहीं चली मगर डैनी नोटिस किए गए. इसके बाद उन्हें बी.आर. चोपड़ा की 'धुंध' में काम करने का मौका मिला. ये एक तरह से डैनी के करियर का पहला नेगेटिव रोल था. इसमें उन्होंने ज़ीनत अमान के अब्यूज़िव पति ठाकुर रंजीत सिंह का रोल किया था. इस रोल के लिए उन्हें ढेर सारी तारीफ मिली. अब उन्हें 'कालीचरण', 'देवता', 'काला सोना' और 'द बर्निंग ट्रेन' जैसी मुख्य धारा की हिंदी फिल्मों में भी काम मिलने लगा. जनता ने भी लुक्स के परे जाकर उनके काम को सराहा और स्वीकार किया. मगर डैनी को हिंदी फिल्म हीरो नहीं बनना था. इसलिए या तो वो बड़े शशि कपूर, शत्रुघ्न सिन्हा और तमाम टॉप स्टार्स के भाई का रोल करते या फिल्म के विलन का.

फिल्म 'मेरे अपने' के एक सीन में कठपुतली चलाने वाले के रोल में डैनी.
# डैनी ने 'शोले' में गब्बर का रोल करने से मना क्यों कर दिया?
जब रमेश सिप्पी 'शोले' प्लैन कर रहे थे, तब फिल्म का बज़ बनाने के लिए ट्रेड रिपोर्ट्स में फिल्म के स्टारकास्ट की घोषणा कर दी गई थी. उसमें बताया गया था कि इस मल्टी-स्टारर फिल्म के विलन गब्बर का रोल डैनी डेन्जोंगपा करने वाले हैं. हालांकि तब तक डैनी और रमेश सिप्पी की सिर्फ बातचीत हुई थी. कागज़ पर कुछ नहीं था. इसी बीच फिरोज़ खान ने तय किया वो हॉलीवुड क्लासिक 'द गॉडफादर' का हिंदी वर्ज़न बनाएंगे. 'धर्मात्मा' नाम से बन रही इस फिल्म के एक बड़े हिस्से की शूटिंग अफगानिस्तान में होनी थी. फिरोज़ खान ने डैनी को अपनी इस फिल्म के लिए साइन कर लिया. जब रमेश सिप्पी डैनी को 'शोले' के लिए साइन करने पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि डैनी के पास समय नहीं है. सिप्पी को जो डेट चाहिए थे, उन दिनों में डैनी अफगानिस्तान में 'धर्मात्मा' की शूटिंग करने वाले थे. बहुत कोशिशें की गईं कि डैनी 'शोले' के लिए अपनी डेट्स दे दें. इस बारे में फिरोज़ खान और रमेश सिप्पी ने बैठकर बातचीत भी की. मगर कोई हल नहीं निकल सका.
डैनी अपने बाद के इंटरव्यू में इस मसले का ज़िक्र करते हुए कहा कि वो भी गब्बर का किरदार निभाना चाहते थे. मगर वो अपनी बात से मुकर नहीं सकते थे. इसलिए उन्होंने 'शोले' नहीं की. बाद में गब्बर सिंह का रोल अमजद खान ने किया. उन्हें इस किरदार में देखकर कहा कि अमजद खान का जन्म ही गब्बर का रोल करने के लिए हुआ था. यानी उनके अलावा ये रोल कोई और नहीं कर सकता था. हालांकि 'शोले' में अमजद खान की कास्टिंग का फायदा डैनी को भी पहुंचा. डैनी बताते हैं कि उन दिनों में फिल्म के हीरो को 12 लाख रुपए मिलते थे. 'शोले' के बाद विलन का रोल करने वाले अमजद खान को 11 लाख रुपए मिलने लगे थे. अमजद के बाद सबसे चर्चित विलन डैनी थे. इसलिए फीस हाइक का फायदा डैनी को भी पहुंचने लगा था.

डैनी ने 'शोले' में काम करने से इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि सिप्पी को जो डेट चाहिए थी, वो डेट्स डैनी अफगानिस्तान में 'धर्मात्मा' की शूटिंग के लिए फिरोज़ खान को दे चुके थे.
# डैनी ने जानबूझकर अमिताभ बच्चन के साथ 18 साल तक काम क्यों नहीं किया?
जैसा की आपको पहले से पता है कि जया बच्चन और डैनी फिल्म स्कूल में बैचमेट थे. बावजूद इसके डैनी, अमिताभ बच्चन के साथ काम करने से मना क्यों करते थे? कई मौके मिलने के बावजूद डैनी ने 18 साल तक अमिताभ बच्चन के साथ कोई फिल्म नहीं की. जब उनसे इसके पीछे की वजह पूछी गई, तो डैनी ने कहा-
''मैं जानबूझकर खुद को अमित जी के साथ काम करने से रोकता था. मुझे लगता था कि ये बहुत बड़ा स्टार है, जिसे इंडस्ट्री के बेस्ट रोल्स मिलते हैं. अगर हम एक फ्रेम में भी रहेंगे, तब भी इसके सामने मुझे कोई नहीं देखेगा. अगर वो फिल्म चल गई, तो सारा क्रेडिट अमिताभ बच्चन को मिलेगा. मगर पिट गई, तो इसका खामियाज़ा मुझे भुगतना पड़ेगा. लोग मुझे दोष देंगे. मैं मनमोहन देसाई जी को मना करता रहा कि मुझे अमित जी के साथ फिल्म में मत लीजिए. उन्होंने मुझे 'कुली' और 'मर्द' समेत चार फिल्में ऑफर की थीं. मगर मैंने नहीं की.''एक बार मनमनोहन देसाई और डैनी फिल्मसिटी में अपनी-अपनी फिल्में शूट कर रहे थे. डैनी से मिलते ही मनमोहन देसाई ने उन्हें चिढ़ाने के लिए घुटने पर बैठकर कहा-
''सर प्लीज़ मेरे साथ एक फिल्म कर लीजिए.''इसके जवाब में मज़े लेते हुए डैनी ने कहा- 'सोचेंगे'.
आगे मुकुल आनंद ने अमिताभ बच्चन के साथ डैनी को 'अग्निपथ' ऑफर की. डैनी नैरेशन सुनकर समझ गए थे कि इस फिल्म में उनका रोल ऐसा कि कोई उसे इग्नोर नहीं कर पाएगा. जब फिल्म में डैनी के कैरेक्टर के नाम की चर्चा हो रही थी, तब उन्होंने खुद 'कांचा चीना' नाम सुझाया. क्योंकि लोग उन्हें फिल्म स्कूल में चीना-चीना कहकर चिढ़ाते थे.
मॉरिशस में 'अग्निपथ' के पहले शेड्यूल की शूटिंग शुरू हुई. डैनी अपने मेक-अप और कॉस्ट्यूम के साथ सुबह साढ़े 8 बजे शूटिंग के लिए रेडी थी. मगर उन्हें अब तक उन्हें अपने डायलॉग्स नहीं मिले थे. अमिताभ बच्चन के साथ पहली बार शूटिंग करने को लेकर डैनी नर्वस थे. उन्होंने आसपास खड़े असिस्टेंट्स पर चिल्लाते हुए अपने डायलॉग शीट की मांग की. उनकी आवाज़ सुनकर अमिताभ बच्चन वहां चले आए. उन्होंने डैनी से कहा कि उन्हें भी अभी-अभी डायलॉग शीट मिली है. उससे दोनों लोग मिलकर रिहर्सल कर सकते हैं. इसके बाद माहौल एक दम चिल हो गया. आगे अमिताभ और डैनी ने मुकुल आनंद की 'हम' और 'खुदा गवाह' जैसी फिल्मों में भी साथ काम किया.

अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म 'अग्निपथ' के एक सीन में डैनी. इस फिल्म में उन्होंने कांचा चीना नाम के विलन का रोल किया था.
# फिल्मों से दूर क्यों हो गए डैनी?
डैनी ने 90 के दशक में '1942- अ लव स्टोरी', 'क्रांतिवीर', और 'घातक' जैसी बड़ी फिल्मों में काम किया. 1997 में उन्हें एक हॉलीवुड फिल्म ऑफर हुई. 'सेवन ईयर्स इन टिबेट' नाम की इस फिल्म में डैनी ने हॉलीवुड सुपरस्टार ब्रैड पिट के साथ काम किया. मगर शुरुआती 2000 में उन्हें अपने काम में एकरसता महसूस होने लगी. अपने एक इंटरव्यू में डैनी बताते हैं कि वो एक फिल्म के सेट पर पहुंचे. इसमें उनका रोल एक डाकू का था, जो गुफा में रहता है. वो गुफा में पहुंचे, तो देखा कि तिवारी नाम का एक एक्टर वहां खड़ा था. पूरा गुफा लालटेन से रौशन किया गया था. यहां की शूटिंग से निपटकर वो दूसरी फिल्म के सेट पर पहुंचे. वहां भी उन्हें तिवारी खड़ा मिला और गुफा में लालटेन नज़र आ गया. इसके बाद से उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली. वो कुछ गिने-चुने चैलेंजिंग टाइप के किरदार निभाने शुरू किए. इस कड़ी में उन्होंने 'फ्रोजन' और 'एंथीरन' जैसी फिल्मों में काम किया. 'एंथीरन', जिसके हिंदी वर्ज़न को 'रोबोट' नाम से जाना गया, इसमें उन्होंने एक साइंटिस्ट का किरदार निभाया था. रजनीकांत जैसे सुपरस्टार के सामने भी ये किरदार कहीं कमज़ोर नहीं पड़ता, इसीलिए उन्हें ये कैरेक्टर ठीक लगा.

ब्रैड पिट स्टारर हॉलीवुड फिल्म '7 ईयर्स इन टिबेट' का पोस्टर और दूसरी तरफ फिल्म में एक अहम किरदार निभाने वाले डैनी.
# आज कल कहां हैं डैनी और क्या कर रहे हैं?
डैनी ने पिछले सात सालों में सिर्फ छह फिल्में की हैं. इसमें सलमान खान के साथ 'जय हो', ऋतिक रौशन की 'बैंग बैंग', स्पाई थ्रिलर- 'बेबी' और 'नाम शबाना' जैसी फिल्में शामिल हैं. डैनी को आखिरी बार कंगना रनौत स्टारर फिल्म 'मणिकर्णिका- द क्वीन ऑफ झांसी' में देखा गया था. 1990 में उन्होंने सिक्किमी राजघराने से आने वाली गवा नाम की लड़की से शादी कर ली. इस शादी से उन्हें दो बच्चे हुए- रिंजिंग और पेमा. रिंजिंग ने पढ़ाई बिज़नेस से जुड़ी हुई की है मगर वो जल्द ही हिंदी फिल्मों में नज़र आने वाले हैं.
डैनी फिल्मों के अलावा रेस्टॉरेंट, रिज़ॉर्ट और ब्रूअरीज़ भी चलाते हैं. ब्रूअरीज़ यानी बीयर बनाने और बेचने का काम. उनके ब्रूअरी में बनी बीयर सिक्किम, ओडिसा और गौहाटी में खूब पसंद की जाती हैं. जब डैनी फिल्मों में काम नहीं करते, तो सिक्किम में अपने गांव चले जाते हैं. वहां उनका एक बड़ा सा फार्महाउस है, जहां वो फल और सब्जियां उगाते हैं. वो रोज़ सुबह 4 बजे उठते हैं और कैमरा लेकर आस-पास के पहाड़ों पर चले जाते हैं. वहां जाकर वो सनराइज़ की तस्वीरें खींचते हैं. मुंबई के जुहू इलाके में उनका बड़ा सा बंगला है, जिसका नाम है ज़ोंग्रिला (D'Zongrilla). जब वो मुंबई में होते हैं, तो इसी पते पर मिलते हैं.

सिक्किमी राजघराने से आने वाली अपनी पत्नी गवा के साथ डैनी.