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मूवी रिव्यू- भूल भुलैया 3

Kartik Aaryan और Triptii Dimri की Bhool Bhulaiyaa 3 कैसी है, जानिए ये रिव्यू पढ़कर.

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'भूल भुलैया 3' में कार्तिक आर्यन ने डबल रोल किया है.

फिल्म- भूल भुलैया 3
डायरेक्टर- अनीस बज़्मी
एक्टर्स- कार्तिक आर्यन, तृप्ति डिमरी, माधुरी दीक्षित, विद्या बालन, प्रकाश राज़, संजय मिश्रा, राजपाल यादव
रेटिंग- 2.5 स्टार 

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मैंने कई बरस पहले 'लीला- एक पहेली' नाम की फिल्म देखी थी. ये पुनर्जन्म के बैकड्रॉप में सेट एक लव स्टोरी थी. इस फिल्म के क्लाइमैक्स ने मेरा दिमाग खराब कर दिया था. उस दिन मुझे 'मदर ऑफ ट्विस्ट्स' का मायना समझ आया था. 'भूल भुलैया 3' भी वैसा ही कुछ करने की कोशिश करती है. मगर इस फिल्म की बुनियाद इतनी मजबूत नहीं है, जिस पर वो क्लाइमैक्स खड़ा हो सके. 'भूल भुलैया 3' अपनी फ्रैंचाइज़ की सबसे कमज़ोर फिल्म है. मगर इसका क्लाइमैक्स तीनों पार्ट्स से बेहतर और अप्रत्याशित है. इसे यूं भी देखा जा सकता है कि 'स्त्री' ने जिस विमर्ष को जन्म दिया, ये फिल्म उसे एक कदम आगे बढ़ाती है. यही 'भूल भुलैया 3' की इकलौती जीत है.

सबसे पहले ये बताना ज़रूरी है कि 'भूल भुलैया 3' स्पिरिचुअल सीक्वल है. यानी तीनों फिल्मों की कहानियां एक-दूसरे से जुड़ी हुईं नहीं हैं. मगर कुछ किरदारों के पिछली फिल्मों वाले नाम ही इस्तेमाल किए गए हैं. ख़ैर, तो तीसरी किश्त की कहानी शुरू होती है कलकत्ते से. यहां रूहान उर्फ रूह बाबा नाम का एक ढोंगी बाबा, जो भूतों को भगाने का दावा करता है. उसको पता है कि वो झूठा है. उसकी सर्विस इस्तेमाल करने वालों को भी पता है कि वो फर्जी बाबा है. ऐसे में एक दिन मीरा नाम की राजकुमारी उसे अपने गांव रक्तघाट ले जाती है. मीरा के परिवारवालों को लगता है कि उनकी हवेली में एक मंजुलिका नाम की भूतनी कैद है. इसलिए न वो हवेली में न रह पाते हैं, न बेच पाते हैं. मगर मीरा भूत-प्रेतों में नहीं मानती. इसलिए वो फर्जी भूतनी को भगाने के लिए फर्जी बाबा लेकर जाती है. वहां जाने के बाद कहानी इधर-उधर घूमती रहती है. और फिल्म का मेन प्लॉट पूरे टाइम घटने का इंतज़ार करता रहता है. दो, सवा दो घंटे की चकल्लस के बाद फिल्म का क्लाइमैक्स आता है, जो ऑलमोस्ट पूरी फिल्म से कुछ अलग ही निकलता है.

'भूल भुलैया 3' किसी भी पॉइंट पर, ऐसा कुछ भी करने की कोशिश नहीं करती, जो पहले नहीं हुआ. और ये बात हम भारतीय या हिंदी सिनेमा के संदर्भ में नहीं कह रहे. खालिस इस फ्रैंचाइज़ की बात हो रही है. अभी भी वही पुराने स्केयर कट्स चल रहे हैं. सेम ओल्ड जोक्स. नए पैकेजिंग में 'आमी जे तोमार' और अक्षय की नकल करते कार्तिक आर्यन. ये सभी इलीमेंट्स मिलकर थके हुए स्क्रीनप्ले को और थकाऊ बना देते हैं. ऐसा लगता है कि कई सीन्स को एक जगह लाकर जोड़ दिया गया है. क्योंकि जो कुछ भी घट रहा है, उसका असल कहानी से बहुत दुराव है. एक बार को तो अचानक से फिल्म में शाहरुख खान की 'जवान' का स्कूफ क्रिएट कर दिया जाता है. जिसका इस पूरी कहानी, फिल्म या किरदारों से कोई लेना-देना नहीं है. बस आप कैसे भी हंस दीजिए.

मुझे 'भूल भुलैया 3' की सबसे अच्छी बात इसके विजुअल्स लगे. जो कि पिछली फिल्मों के मुकाबले ज़्यादा शानदार हैं. खूबसूरत कैमरावर्क और अच्छी क्वॉलिटी का VFX. मगर ये विजुअल्स कभी स्टोरीटेलिंग का हिस्सा नहीं बन पाते. यानी विजुअल्स के माध्यम से कुछ कहने की कोशिश नहीं होती. वो सिर्फ फिल्म की सुंदरता बढ़ाते हैं. न ही फिल्म का म्यूज़िक या बैकग्राउंड स्कोर कथानक में कुछ जोड़ पाता है. 'आमी जे तोमार' इस फ्रैंचाइज़ का ट्रेडमार्क गाना है. जो अब से पहले फिल्म की कहानी को आगे बढ़ाने का काम करता था. मगर यहां उसे सिर्फ एक एक्स्ट्रा गाने के तौर पर इस्तेमाल किया गया है, ताकि विद्या बालन और माधुरी दीक्षित के बीच डांस फेस-ऑफ हो सके.  

'भूल भुलैया 3' जैसी भी फिल्म बनकर निकली, इसका दोष मैं कार्तिक आर्यन पर बिल्कुल नहीं मढ़ना चाहूंगा. क्योंकि हमने 'चंदू चैंपियन' में देखा है कि अगर उन्हें डायरेक्टर पुश करें, तो वो मजबूत परफॉरमेंस दे सकते हैं. हालांकि इस फिल्म के अधिकतर हिस्सों में उनकी डायलॉग डिलीवरी अक्षय कुमार सरीखी लगती है. आखिरी में हिस्से में कार्तिक को परफॉर्म करने का मौका मिलता है. और वो देवेंद्रनाथ के किरदार में अपने भीतर के एक्टर का आह्वान करते हैं. मगर ऐसा लगता है कि डायरेक्टर को उनकी एक्टिंग पर भरोसा नहीं है. इसलिए उनकी उस परफॉरमेंस को VFX से छुपा दिया जाता है.  

ऐसा भान होता है कि 'भूत भुलैया 3' के मेकर्स को सबसे पहले फिल्म के क्लाइमैक्स का आइडिया आया. वो अपनी फिल्म के माध्यम से एक सार्थक बात कहना चाहते थे. मगर शायद वो कॉन्फिडेंट नहीं थे कि जनता इस चीज़ पर कैसे रिएक्ट करेगी. क्योंकि उन्हें लगा कि पब्लिक उनसे ऐसी सेंसिटिव बातें एक्सपेक्ट नहीं करती. इसलिए उन्होंने उस क्लाइमैक्स को ढेर सारे कचरे से ढंक दिया. जबकि फिल्म में वही इकलौती चीज़ स्टैंड आउट करती है. और उसमें थोड़ी इमोशनल डेप्थ भी है.

हालांकि इस तरह की हॉरर-कॉमेडी फिल्म में अचानक ऐसा ट्विस्ट लाना थोड़ा डेस्परेट भी लगता है. वही कॉन्फिडेंस का मसला. या तो मेकर्स अपनी हॉरर और कॉमेडी को लेकर आश्वस्त नहीं थे. उन्हें लगा कि फिल्म में कुछ ऐसा जोड़ना चाहिए, जो इसे वजन दे. इसलिए उन्होंने बिल्कुल ही अलग चीज़ फिल्म में जोड़ दी.    

ख़ैर, 'भूल भुलैया 3' परफॉरमेंस के लिहाज से भी बेहद कमज़ोर फिल्म साबित होती है. कार्तिक को छोड़ दें, तो विजय राज़, राजपाल यादव, संजय मिश्रा, अश्विनी कालसेकर के करने के लिए भी यहां कुछ नहीं है. वो इस फिल्म में इसलिए हैं क्योंकि वो इस फ्रैंचाइज़ की पिछली फिल्मों का भी हिस्सा थे. विद्या बालन और माधुरी दीक्षित जैसे एक्टर्स ओवरबोर्ड जाते हैं. हालांकि आखिर में उन्हें खुद को भुनाने का मौका हासिल होता है. मगर वो टू लिटिल टू लेट वाला मामला है.    

शेष, 'भूल भुलैया 3' प्रियदर्शन की 'भूल भुलैया' की विरासत को आगे बढ़ाना छोड़िए, उसका माखौल बनाती मालूम पड़ती है.  हो सकता है ये फिल्म टिकट खिड़की पर बड़ी सफल हो जाए. मगर इसे कभी एक अच्छी फिल्म के तौर पर याद नहीं किया जाएगा.

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