साल 2023 इंडियन सिनेमा के लिए तोड़फोड़ मचाने वाला साल था. बड़े परदे पर ‘पठान’, ‘जवान’ और ‘एनिमल’ ने जमकर गदर मचाया. लेकिन इस साल ने सिर्फ बॉक्स ऑफिस वालों की ही चांदी नहीं की बल्कि सॉलिड कंटेंट भी परोसा. ओटीटी पर नेल बाइटिंग, हार्ट वॉर्मिंग किस्म की फिल्में और सीरीज रिलीज़ हुई. बेस्ट नामों की लिस्ट बताएंगे, अगर इनमें से कोई देखनी छूट गई हो तो नए साल वाले लॉन्ग वीकेंड का पूरा इस्तेमाल किया जाए.
2023 में ओटीटी पर तोड़फोड़ मचाने वाली 10 फिल्में-सीरीज़, जिन्हें देख कर ही 2024 शुरू करना है
इस साल विक्रमदित्य मोटवानी और रणदीप झा जैसे डायरेक्टर्स ने सॉलिड कंटेंट दिया. उनकी फिल्मों और सीरीज़ को कहां देख सकते हैं, उसका पता भी स्टोरी में मिलेगा.

वेब सीरीज़
#1. कोहरा
क्रिएटर: गुंजित चोपड़ा, दिग्गी सिसोदिया, सुदीप शर्मा
एक NRI लड़का शादी करने के लिए पंजाब आता है. कुछ दिन बाद गांव में उसकी लाश मिलती है. उसे किसने मारा, क्या मकसद था, ये पता लगाने की ज़िम्मेदारी दो पुलिसवालों पर है. शो जब तक खत्म होता है, तब तक हम इतना कुछ देख चुके होते हैं कि खूनी की पहचान जानने की कोई इच्छा बाकी नहीं रह जाती.
कहां देखें: नेटफ्लिक्स
#2. ट्रायल बाय फायर
डायरेक्टर: रणदीप झा, प्रशांत नायर, अवनी देशपांडे
साल 1997 की उपहार सिनेमा ट्रैजडी पर आधारित सीरीज़. उस घटना के प्रभाव को दर्शाने के लिए सीरीज़ किसी किस्म की सनसनी का सहारा नहीं लेती. दो पेरेंट्स हैं जिनके बच्चे उस दुर्घटना में मारे जाते हैं. वो इंसाफ के लिए लड़ते हैं. अभय देओल और राजश्री देशपांडे ने उनके रोल किए हैं.
कहां देखें: नेटफ्लिक्स
#3. द जेंगाबुरु कर्स
डायरेक्टर: नील माधव पांडा
इंडिया की पहली Cli-Fi यानी क्लाइमेट फिक्शन सीरीज़. कहानी शुरू होती है बॉक्साइट माइन और उसका विरोध करने वाले एक प्रोफेसर से. कुछ दिन बाद खबर मिलती है कि प्रोफेसर गायब हो गए. उनकी बेटी ज़मीनी हकीकत तक पहुंचने की कोशिश करती है. सामने आने वाले जवाब के लिए वो और ऑडियंस दोनो ही तैयार नहीं है.
कहां देखें: सोनी लिव
#4. जुबली
डायरेक्टर: विक्रमादित्य मोटवानी
सीरीज़ की कहानी हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम काल पर आधारित है. ये सीरीज़ देखते वक्त एहसास होता है कि हम किस वजह से हिंदी सिनेमा के प्रेम में पड़े थे. उसके ग्लैमर, चका-चौंध के पार सोने-चांदी के बुत बने फिल्म स्टार्स की लाइफ में क्या घट रहा था, वो कैसे इतिहास बना रहे थे, सीरीज़ ऐसी बातों को जगह देती है.
कहां देखें: अमेज़न प्राइम वीडियो
#5. काला पानी
डायरेक्टर: समीर सक्सेना, अमित गोलानी
शो की कहानी अंडमान-निकोबार से खुलती है. एक वायरस आउटब्रेक से लोग बीमार पड़ने लगते है. अलग–अलग अस्पतालों के रजिस्टर मरने वालों की संख्या से भरे जाने लगते हैं. इसके पीछे का सच ऐसा है जिसे एक लाइन में बताकर आगे नहीं बढ़ा जा सकता. उसके लिए सात एपिसोड में बंटी सीरीज़ देखनी होगी.
कहां देखें: नेटफ्लिक्स
फिल्में
#1. खो गए हम कहां
डायरेक्टर: अर्जुन वरैन सिंह
इंटरनेट ने पूरी दुनिया हमारे लिए खोलकर रख दी है. अमेरिका से लेकर रूस, सब पास आ गया. बस एक छत के नीचे, एक शहर में रहने वाले दोस्त ही दूर हो गए. फिल्म इसी पर फोकस करती है. बदलती दुनिया में हमारे लिए प्यार और दोस्ती जैसे शब्दों के मायने कैसे बदल गए हैं.
कहां देखें: नेटफ्लिक्स
#2. मस्त में रहने का
डायरेक्टर: विजय मौर्या
जैकी श्रॉफ ने बहुत सॉलिड परफॉरमेंस दी है. एक रिटायर्ड आदमी बने हैं जो अपनी ज़िंदगी के फेर में ही फंसा हुआ है. लाइफ में मिसेज़ हांडा की एंट्री होती है. दोनो में कुछ अधूरा है. साथ मिलकर उसी को पूरा करते हैं. उनके जैसे और भी लोगों को सिर्फ ऑडियंस की नज़र से नहीं दिखाया गया. बल्कि मुंबई शहर की नज़र से भी हम उनकी दुनिया देखते हैं.
कहां देखें: अमेज़न प्राइम वीडियो
#3. गुलमोहर
डायरेक्टर: राहुल चिटेला
दिल्ली में एक घर है, गुलमोहर विला. पुश्तैनी धरोहर है. घर में बसता है बत्रा परिवार. उनकी मां ने ये घर बेच दिया है. चंद दिन हैं उनके पास. उसके बाद नए घर जाना होगा. इन चंद दिनों की मोहलत मां ने ली है. वो चाहती है कि पूरा परिवार एक आखिरी बार साथ होली मनाकर इस घर से विदा हो. होली आने तक इन लोगों के बीच उस एक छत के नीचे क्या घटता है, यही फिल्म की कहानी है. मनोज बाजपेयी और शर्मिला टैगोर अहम भूमिकाओं में हैं.
कहां देखें: डिज़्नी प्लस हॉटस्टार
#4. सिर्फ एक बंदा काफी है
डायरेक्टर: अपूर्व सिंह कार्की
फिल्म की कहानी एक 16 साल की लड़की के बारे में है. जिसे देश के एक चर्चित साधु ने मोलेस्ट किया है. कोई भी उस स्वघोषित साधु के खिलाफ जाने को तैयार नहीं है. ऐसे में PC सोलंकी नाम का एक वकील ये केस लड़ने को तैयार होता है. मसला ये है कि उस साधु के बहुत सारे (अंध) भक्त हैं. जो ये बात स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं कि साधु बाबा ऐसा कुछ कर सकते हैं. उसके समर्थन में मोर्चे निकाले जाते हैं. हिंसा होती है. राजनीति होती है. देखना बस ये बाकी रहता है कि न्याय हो पाता है या नहीं.
कहां देखें: ज़ी5
#5. कटहल
डायरेक्टर: यशोवर्धन मिश्रा
कहानी सेट है मथुरा में. एमएलए साहब के दो अंकल हॉन्क ब्रीड के कटहल चोरी हो गए हैं. पूरी पुलिस फोर्स उन्हें ढूंढ़ रही है. पुलिस के पास तमाम महत्वपूर्ण काम हैं, पर माननीय से ज़्यादा महत्वपूर्ण भारतीय लोकतंत्र में कभी कुछ रहा है? ऐसी एक दो खबरें आपको याद भी आ रही होंगी, जिनमें किसी नेता के यहां से कुछ चोरी हुआ और पुलिस महकमा सब काम छोड़कर उसके पीछे लग गया. 'कटहल' ऐसी ही घटनाओं पर बनाई गई एक बारीक व्यंग्य फिल्म है.
कहां देखें: नेटफ्लिक्स