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2022 की वो बेहतरीन फिल्में, जिनका आपने नाम तक नहीं सुना होगा

RRR, 'कांतारा' के बीच आई इन तगड़ी फिल्मों पर किसी का ध्यान ही नहीं गया.

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2022 में आई इंडियन सिनेमा की हिडन जेम्स .

RRR, KGF-2, 'कांतारा' और 'ब्रह्मास्त्र' जैसी इंडियन फिल्मों ने इस साल खूब हल्ला काटा. ये जलवा सिर्फ इंडिया में ही नहीं रहा, बल्कि विदेशी ऑडियंस तक भी ये नाम पहुंचे. सिनेमा की हर सदी, हर साल की तरह ऐसा नहीं था कि इस साल सिर्फ लार्जर दैन लाइफ फिल्में ही बनीं. ऐसी उम्दा फिल्में भी आईं, जो सिनेमाघर में हो रहे शोर-शराबे के बीच दर्शकों की नज़र से सरक गईं. सोशल मीडिया पर होने वाले विमर्श का हिस्सा नहीं बन पाईं. 2022 में आई इंडियन सिनेमा की ऐसी ही हिडन जेम्स कहलाने वाली फिल्मों के बारे में आपको बताते हैं.   

#1. पालतू जानवर (मलयालम)
डायरेक्टर: संगीत पी राजन 
कास्ट: बेज़िल जोसेफ, जॉनी एंटनी, श्रुति सुरेश 

कहानी: प्रसून को एनिमेशन में कुछ करना था. लेकिन पैशन के चलते कुछ हो नहीं सका. रास्ते घूमते हैं और ये महाशय बन जाते हैं लाइव स्टॉक इंस्पेक्टर. यानी पालतू जानवरों की जांच करने वाला अधिकारी. कहानी एक जवान लड़के की है, जो खुद को गलत समय पर गलत जगह पाता है. लेकिन उसी गलत में अपना सही ढूंढता है. सही लोग, सही समय और सही जगह.

क्या खास है: मलयालम सिनेमा ज़मीन से जुड़ी कहानियां बनाने के लिए फेमस हैं. ऐसी कहानियां और उनके ऐसे किरदार जिन्हें आप अपने आसपास देखते हैं. ‘पालतू जानवर’ आपको ऐसा ही महसूस करवाती है. 

#2. नज़र अंदाज़ (हिंदी)
डायरेक्टर: विक्रांत देशमुख 
कास्ट: कुमुद मिश्रा, अभिषेक बैनर्जी, दिव्या दत्ता

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कुमुद मिश्रा की एक्टिंग फिल्म के मज़बूत पक्षों में से एक था.  

कहानी: कहानी का मुख्य किरदार है सुधीर. आंखों की रोशनी काम नहीं करती. उसके यहां भवानी नाम की हाउस हेल्प काम करती है. एक दिन घर में अली नाम का चोर घुस जाता है. सुधीर उसे खाना वगैरह खिलाता है और उसे काम पर रख लेता है. अली और भवानी दोनों को काम से मतलब नहीं, उनकी नज़र है सुधीर के पैसे पर. 

क्या खास है: सुधीर बने कुमुद मिश्रा ने बेहतरीन काम किया है. जब लाइफ में लगने लगता है कि किसी भी चीज़ का क्या पॉइंट है, भलाई कर के क्या हासिल होता है, ऐसी निराशा के वक्त ‘नज़र अंदाज़’ जैसी फिल्म एक राहत की तरह काम करती है. 

#3. ना तान केस कोडू (मलयालम)
डायरेक्टर: रतीश बालाकृष्णन पोडूवल
कास्ट: कुंचको बोबन, गायत्री शंकर, राजेश माधवन 

कहानी: किसी जमाने में राजीवन एक चोर हुआ करता था. लेकिन अब सुधर चुका है. हालांकि उसकी पुरानी इमेज के चलते फिर से चोरी करने के आरोप लगते हैं. होता ये है कि राजीवन रस्ते से जा रहा था, सड़क पर गड्ढा मिला और एक्सीडेंट हो गया. चोटें आईं, ऊपर से सबने राजीवन को चोर समझ लिया. राजीवन को खुद को निर्दोष साबित करना है. साथ ही अपने इलाके के MLA पर केस करना है. MLA ठीक से काम करता तो सड़क पर गड्ढा न होता, और गड्ढा न होता तो उसकी ये दुर्दशा नहीं होती. 

क्या खास है: दो घंटे की फिल्म. खूब सारे डायलॉग. लगभग हर दूसरी लाइन पर आपको हंसी आएगी और लगातार आती रहेगी. ऐसी फिल्म की लिखाई है. फिल्म सिर्फ हंसाकर, मनोरंजन कर आगे नहीं बढ़ जाती. बल्कि सिस्टम की जर्जर व्यवस्था पर चुभने वाला तंज भी कसती है. काफी समय बाद एक मज़बूत सटायर फिल्म आई है. 

#4. गोदावरी (मराठी)
डायरेक्टर: निखिल महाजन 
कास्ट: जितेंद्र जोशी, नीना कुलकर्णी, विक्रम गोखले  

कहानी: देशमुख परिवार की कहानी जो गोदावरी नदी के तट पर रहता है. अपनी कुछ जगहों से किराया आता है, उसी से गुज़र-बसर चलता है. उस किराये को जुटाने का काम करता है निशिकांत. परिवार का मुखिया. अपने जीवन में किसी तरह की खुशी नहीं देखता. निशिकांत मानो किसी चलते-फिरते सांस लेते ज्वालामुखी की तरह है, जो किसी भी वक्त फट सकता है. उसका लावा आसपास के लोगों को झुलसा सकता है. इस कगार पर आकर उसके साथ कुछ घटता है और उसकी ज़िंदगी बदल कर रख देता है. 

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फिल्म फेस्टिवल्स में घूमने के बाद ‘गोदावरी’ 11 नवंबर को रिलीज़ हुई. 

क्या खास है: ‘सेक्रेड गेम्स’ में काटकर बने जितेंद्र जोशी ने निशिकांत का किरदार निभाया था. उनकी परफॉरमेंस को हालिया मराठी सिनेमा के बेस्ट कामों में से एक बताया गया. साथ ही फिल्म के कैमरा वर्क की भी तारीफ हुई. 

#5. कौन प्रवीण ताम्बे? (हिन्दी) 
डायरेक्टर: जयप्रद देसाई 
कास्ट: श्रेयस तलपड़े, अंजलि पाटील, आशीष विद्यार्थी

कहानी: प्रवीण ताम्बे. IPL के इतिहास में डेब्यू करने वाला सबसे उम्रदराज खिलाड़ी. उन्होंने 41 साल की उम्र में अपना पहला प्रोफेशनल क्रिकेट मैच खेला. ‘कौन प्रवीण ताम्बे?’ का टाइटल ही अपने आप में हम सभी से एक सवाल है. जो प्रवीण ताम्बे को नहीं जानते, उनके स्ट्रगल को नहीं जानते. बिना किसी शोर शराबे के फिल्म के आखिर तक आप प्रवीण ताम्बे को जान जाएंगे, उनके संघर्ष से रूबरू हो जाएंगे. 

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प्रवीण ताम्बे के रोल में श्रेयस तलपड़े. 

क्या खास है: ‘भाग मिल्खा भाग’ के बाद आई ऐसी बायोपिक, जो अपने हीरो को इंसान की तरह दिखाती है, भगवान की तरह नहीं. सादी ग्राउंडेड कहानी. 

#6. तल्लूमला (मलयालम)
डायरेक्टर: खालिद रहमान 
कास्ट: टोविनो थॉमस, कल्याणी प्रियदर्शन, शाइन टॉम चाको

कहानी: ‘मिन्नल मुरली’ वाले टोविनो थॉमस ने वसीम नाम का किरदार निभाया है. ये बंदा बस हर समय किसी-न-किसी तरह लड़ाई झगड़े में पड़ता रहता है. उसी के चलते फेमस हो जाता है. दूसरी तरफ है फातिमा, जिसका किरदार निभाया है कल्याणी प्रियदर्शन ने. वसीम को फातिमा पसंद है. दोनों साथ आ पाते हैं या नहीं, यही मेन प्लॉट है. 

क्या खास है: कहानी सुनने में बड़ी आम लगेगी. लेकिन उसका ट्रीटमेंट फिल्म को खास बनाता है. फिल्म देखते वक्त मज़ा आएगा, खासतौर पर फाइट वाले सीन. फिल्म के विजुअल्स भी इस अनुभव में जोड़ने का ही काम करते हैं. 

#7. ओके ओका जीवितम (तेलुगु)   
डायरेक्टर: श्री कार्तिक 
कास्ट: शर्वानंद, ऋतु वर्मा, अमला अक्किनेनी 

कहानी: तीन लोगों की कहानी है. पहला एक सिंगर है जो परफॉरमेंस प्रेशर से जूझता है. दूसरा एक ब्रोकर है जिसे लगता है कि उसे कम इज़्ज़त मिलती है. तीसरे को अपनी शादी के लिए लड़की नहीं मिल रही. दुख होता है कि काश स्कूल क्रश से बात आगे बढ़ाई होती. इन तीनों को अपने बीते दिनों में कुछ-न-कुछ बदलना है. एक टाइम मशीन के ज़रिए उन्हें ऐसा करने का मौका भी मिलता है. 

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साइंस फिक्शन कहानी, जिसका केंद्र उसके इमोशन हैं.

क्या खास है: साइंस फिक्शन जॉनर में बनी ये फिल्म सिर्फ मशीन या टेक्नोलॉजी के बारे में ही नहीं है. फिल्म में इमोशन्स को पूरी जगह दी है. इमोशन और साइंस फिक्शन के सही बैलेंस की वजह से ये फिल्म देखने लायक है. 

#8. सानी काईदम (तमिल)
डायरेक्टर: अरुण माथेस्वरण
कास्ट: कीर्ति सुरेश, सेल्वाराघवन

कहानी: पोनी एक पुलिस कांस्टेबल है जिसके पूरे परिवार को मार दिया जाता है. अपने सौतेले भाई की मदद से वो बदला लेने निकलती है. फिल्म में खूब सारा खून खराबा है, मारधाड़ है, फिर भी ये टिपिकल बदले की कहानी नहीं है. 

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कीर्ति सुरेश और सेल्वाराघवन ने कहानी के मुख्य किरदार निभाए.  

क्या खास है: पोनी बनी कीर्ति सुरेश और उनके भाई के रोल में सेल्वाराघवन की परफॉरमेंसेज़ मज़बूत हैं.     

#9. कोबाल्ट ब्लू (हिंदी)
डायरेक्टर: सचिन कुंडालकर  
कास्ट: प्रतीक बब्बर, अंजली सिवारामन, नीलय मेहंदले    

कहानी: एक भाई और बहन, दोनों को एक ही लड़के से प्यार हो जाता है. अगर किसी को एक लाइन में ‘कोबाल्ट ब्लू’ की कहानी बतानी होगी, तो कुछ यूं बताया जाएगा. लेकिन कहानी और उसके किरदार इस लाइन से कहीं ज़्यादा गहरे हैं. 

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ऐसी फिल्म जो सिर्फ मन के भीतर नहीं उतरेगी, बल्कि उतरकर ठहरेगी. बेचैनी पैदा करेगी. 

क्या खास है: मराठी के एक बुलंद नॉवल पर आधारित फिल्म. रिश्तों और इच्छाओं की जटिलता को बिना किसी लाग लपेट दिखाया गया. और किस सुंदर ढंग से दिखाया गया. फिल्म की सिनेमैटोग्राफी रुककर देखने वाली है. रंगों का ऐसा इस्तेमाल कि आपके दिल में उतर जाते हैं. 

#10. डोल्लू (कन्नड़)
डायरेक्टर: सागर पुराणिक   
कास्ट: कार्तिक महेश, निधि हेगड़े

कहानी: भद्रा एक डोल्लू कलाकार है. खुद को कश्मकश में पाता है. एक तरफ अपने पुरखों की डोल्लू बजाकर गुज़र-बसर करने की प्रथा है तो दूसरी ओर शहरीकरण, जिसकी तरफ उसके आसपास की दुनिया बढ़ चुकी है. इन दोनों के बीच फंसा भद्रा क्या करेगा, यही आंतरिक द्वंद्व फिल्म की कहानी की नींव बनता है. 

क्या खास है: 2022 में हुए साल 2020 के नैशनल अवॉर्ड्स में ‘डोल्लू’ को बेस्ट कन्नड़ फीचर फिल्म का नैशनल अवॉर्ड मिला था.          

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