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2022 में आई बच्चों की ये 8 फिल्में, दिलो-दिमाग में उतर जाएंगी

आपका दिल अभी भी बच्चा है, तो अपने बच्चों के साथ बैठकर आप भी ये फिल्में देख सकते हैं.

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साल 2022 में बच्चों की जो फिल्में आईं उनमें से चुनिंदा फिल्मों की लिस्ट यहां मौजूद है.

साल 2022 जाने वाला है. लोगों ने उल्टी गिनती गिननी शुरू कर दी है. साल भर क्या हुआ, क्या नहीं इसकी लिस्ट भी तैयार हो चुकी है. कोई बता रहा है कि इस साल कितनी धांसू फिल्में आई, कोई बता रहा है साल की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्म कौन सी है. कोई सबसे धनी एक्टर्स की लिस्ट बता रहा है तो कोई इस साल की सबसे ज़्यादा सर्च की गई फिल्मों की लिस्ट दे रहा. मगर कोई बच्चों की फिल्मों पर बात नहीं कर रहा. कोई ये नहीं बता रहा कि इस साल बच्चों की कितनी फिल्में आईं. मगर फिकर नॉट. ये बीड़ा हमने उठाया है. नीचे आपको इस साल आई कुछ चुनिंदा फिल्मों के बारे में बताएंगे. जिसे आप अपने बच्चों को दिखा सकते हैं. और अगर आपका दिल अभी भी बच्चा है, तो अपने बच्चों के साथ बैठकर आप भी ये फिल्में देख सकते हैं.

1. पिनोकियो
डायरेक्टर: Guillermo del Toro, Mark Gustafson
वॉइज़ आर्टिस्ट: Gregory Mann, Finn Wolfhard

कहानी: मूवी बेस्ड है 1883 में लिखी इटैलियन नॉवेल 'द एडवेंचर ऑफ पिनोकियो' पर. कहानी है इटली में रह रहे जिपैटो की. जो लकड़ी का काम करता है. वर्ल्ड वॉर के वक्त उसके बेटे की मौत हो जाती है. इस बात से वो बहुत उदास रहने लगता है. अपने बेटे की याद में वो लकड़ी का एक खिलौना बनाता है. जिपैटो चाहता है कि उस लकड़ी के खिलौने में जान आ जाए. एक रात जिपैटो का ये सपना सच हो जाता है. उस लकड़ी के खिलौने में जान आ जाती है. उसका नाम रखा जाता है 'पिनोकियो'. अब किस तरह पिनोकियो सर्वाइव करता है, कैसे चीज़ों से डील करता है इसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

क्या है खास : ये फिल्म अपने टेक्निकल एस्पेक्ट में बहुत अच्छी है. एनिमेशन से लेकर कैरेक्टर डिज़ाइन सब पर बारीकी से काम किया गया है. फिल्म को BFI London Film Festival में दिखाया जा चुका है. इसे इसके एनिमेशन के लिए  80th Golden Globe Awards में बेस्ट एनिमेटेड फीचर फिल्म के लिए भी नॉमिनेट किया गया था.

2. टर्निंग रेड
डायरेक्टर:  Domee Shi
वॉइज़ आर्टिस्ट: मैत्रेयी रामकृष्णन, रोसाली चियांग

कहानी: कहानी 13 साल की बच्ची मेलिन की है. जो अपनी ज़िंदगी में मस्त रहती है. जो मन होता है वो करती है. दोस्तों के साथ स्कूल लाइफ एन्जॉय करती है. वो अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जीना चाहती है. फिर एक रात कुछ ऐसा होता है कि उसकी लाइफ चेंज हो जाती है. मेलिन अपने पुरखों जैसी बन जाती है. अब उसे जब-जब गुस्सा आता है तो वो लाल पांडा में बदल जाती है. अब वो अपने दोस्तों से कैसे मिलती है, क्या उसके दोस्त उससे दोस्ती तोड़ देते हैं, ये सब फिल्म देखकर पता चलेगा.

खास बात: अगर आप अपने बच्चों को प्युबर्टी के बारे में बताना चाहते हैं मगर कहने में झिझकते हैं या शर्माते हैं, तो आप इस फिल्म को उनके साथ देख सकते हैं. 

3. छेल्लो शो
डायरेक्टर: पान नलिन
एक्टर्स: भाविन राबरी, भावेश श्रीमली, ऋचा मीना

कहानी: कहानी है नौ साल के बच्चे समय की. जो एक बार अपने परिवार के साथ सिनेमा देखने जाता है और बस सिनेमा का भक्त बन जाता है. प्रोजेक्टर से निकलने वाली रोशनी उसके लिए अलग दुनिया के दरवाज़े खोल देती है. इसी दुनिया में प्रवेश करने के लिए वो प्रोजेक्शनिस्ट फज़ल से दोस्ती करता है. समय घर के बने खाने के बदले सिंगल थिएटर्स में रज के फिल्में देखता है. 'छेल्लो शो' एक सिनेप्रेमी और उसके सिनेमा प्रेम की इंटीमेट कहानी है. ये सिनेमा की ताकत की कहानी है.

खास बात:  इंडिया की तरफ से ऑस्कर में ऑफिशियल एंट्री. फिल्म में रंगों का ऐसा इस्तेमाल हुआ है कि आंखें अटक जाती हैं. इसका सबसे सुन्दर पार्ट है इसका क्लाइमैक्स.

4. द एडम प्रोजेक्ट
डायरेक्टर: Shawn Levy
कास्ट : रायन रेनोल्ड्स, वॉकर स्कोबेल, ज़ोई सल्डाना

कहानी: ये साइंस फिक्शन पर बेस्ड टाइम ट्रैवल मूवी है. कहानी 2018, 2022 और 2050 के समय में घूमती रहती है. 2050 का एडम 2022 में आता है. जहां वो अपने ही छोटे वर्जन से मिलता है. बड़े एडम की छोटे एडम से मुलाकात, उनके बीच की केमेस्ट्री, उनका एक-दूसरे के साथ हंसी-मज़ाक. ये सब आपको फिल्म से बांधें रखेंगे.

खास बात: अक्सर टाइम ट्रैवल पर बनी फिल्में इतनी फास्ट पेस पर होती हैं कि उन्हें समझने में समय लग जाता है. लेकिन इस फिल्म के साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. इसे बहुत रिलैक्स होकर आसानी से समझा जा सकता है.

5. तुलसीदास जूनियर
डायरेक्टर: मृदुल महेंद्र
कास्ट: वरुण बुद्धदेव, संजय दत्त, राजीव कपूर

कहानी: 'तुलसीदार जूनियर' कहानी है  एक स्नूकर प्लेयर तुलसीदास की. जो केवल अपने बेटे के लिए ये गेम खेलता है. लेकिन एक टूर्नामेंट में तुलसीदास हार जाता है. अब उसका बेटा यानी जूनियर तुलसीदास अपने पिता के सपने को पूरा करने का फैसला करता है. और इसके लिए वो एक्स स्नूकर चैंपियन मोहम्मद सलाम की मदद लेता है. कैसे वो स्नूकर खेलना सीखता है, क्या वो अपने पिता का सपना पूरा कर पाटा है, यही इस फिल्म की कहानी है.

क्या है खास: ये फिल्म एक पिता और उसके बेटे के बीच के रिश्ता, एक मेंटर और उसके स्टूडेंट के बीच के रिश्ता एक्सप्लोर करती है. सपने पूरे करने के लिए कड़ी मेहनत करनी ज़रूरी है यही बताना इस फिल्म का असली मकसद है.

6. Fantastic Beasts: The Secrets of Dumbledore
डायरेक्टर: David Yates
कास्ट: मैड्स मिककेल्सन, एडी रेडमेन, Jude Law

कहानी- 'हैरी पॉटर' फिल्म की प्रीक्वल फिल्म  Fantastic Beasts का ये तीसरा पार्ट है. मैजिक वाली ये फिल्म देखकर 'हैरी पॉटर' की याद आ जाएगी. फिल्म में कई नए कैरेक्टर्स हैं. मूवी डम्बलडोर के सीक्रेट को दिखाती है. एक्शन और जादूगरी का बढ़िया कॉम्बिनेशन देखना है तो ये फिल्म देखी जा सकती है. बच्चों को मैजिक और सुपरपावर वाली फिल्में पसंद आती हैं, तो आप इसे अपनी पूरी फैमिली के साथ देख सकते हैं.

क्या खास - ये एक ऐसी फिल्म है जिसे समझने के लिए इसके पहले दो पार्ट्स को देखना ज़रूरी है. इसलिए इसके पहले दोनों पार्ट्स को निपटाकर ही इसे शुरू करें.

7. Minions: Rise of Gru
डायरेक्टर: Kyle Balda
वॉइस आर्टिस्ट: Steve Carell, Julie Andrews, Michelle Yeoh

कहानी: Minions फिल्में बच्चों में पहले से पॉपुलर रही हैं. Minions: Rise of Gru की कहानी ग्रू की है. जो Minions की मदद से अपने सुपरविलेन बनने वाले सपने को पूरा करना चाहता है. 'डेस्पिकेबल मी' के तीन पार्ट्स आए. इसके बाद इसका प्रीक्वल आया. जिसमें Minions की कहानी बताई जाती है. अब Minions: Rise of Gru इसी प्रीक्वल फिल्म का सीक्वल है. इस एनिमेटेड फिल्म के कई पार्ट्स आए हैं. जिन्हें काफी पसंद किया गया है.

क्या है खास - Minions: Rise of Gru को देखने जा रहे हैं तो लॉजिक शब्द को कुछ देर के लिए डिक्शनरी से निकाल दीजिएगा. ये मूवी जस्ट फॉर फन के लिए बनाई गई है. तो किसी भी चीज़ में लॉजिक मत खोजिएगा. 

8. झुंड
डायरेक्टर: नागराज मंजुले
एक्टर्स: अमिताभ बच्चन, रिंकू राजगुरु, नागराज मंजुले

कहानी: 'झुंड' की कहानी नागपुर शहर की एक झोपड़पट्टी की है. जहां रहने वाले कुछ लड़कों का ग्रुप फुटबॉल खेलना पसंद करता है. लेकिन पैसों की कमी की वजह से वो फुटबॉल खेल नहीं सकते. इसलिए वो प्लास्टिक के डिब्बे को ही फुटबॉल समझकर खेलते रहते हैं. उनका ये खेल प्रोफ़ेसर विजय बोराडे की निगाहों से गुज़रता है. वो इन बच्चों में खेल के लिए जुनून पैदा करते हैं.

खास बात: कोई ख्वाब देखना अलग बात है लेकिन उसे हकीक़त में बदलने के लिए ज़रूरी इच्छाशक्ति जुटा पाना ही 'झुंड' का असली मकसद है.  

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