Pratik Gandhi और Patralekhaa की फिल्म Phule को लेकर काफी विवाद हुआ है. ब्राह्मण समुदाय ने फिल्म का विरोध किया. सेंसर बोर्ड पर आरोप लगे कि उन्होंने फिल्म से कई जातिगत भेदभाव वाले सीन्स काटने के निर्देश दिए. इसकी बड़ी आलोचना हुई. Anurag Kashyap समेत कई लोगों ने CBFC पर गंभीर आरोप लगाए. हालांकि अब सेंसर बोर्ड ने ‘फुले’ में कुछ बदलाव करवाने के बाद इसके सर्टिफिकेट दे दिया है. और ये फिल्म 25 अप्रैल को सिनेमाघरों में रिलीज़ हो रही है. मगर ‘फुले’ वो पहली फिल्म नहीं है, जिसको सेंसर बोर्ड की काट-छांट और अड़ेंगे का सामना करना पड़ा. ऐसी और भी फिल्में हैं, जिनमें समाज के ज्वलंत मुद्दों पर सवाल पूछे गए. जो सेंसर बोर्ड को नागवाग गुज़रा. जिसकी वजह से वो फिल्में आज भी अटकी पड़ी हैं. किसी में जातिगत भेदभाव की बात है, तो कहीं राजनीतिक पृष्ठभूमि राह का रोड़ा बनी. हाल ही में Anurag Kashyap ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी में ऐसी ही कुछ ताज़ा फिल्मों का जिक्र किया, जो सेंसर ने रोक रखी हैं. मेकर्स इन्हें रिलीज़ कराने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. मगर अब तक उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली है.
'फुले' से पहले आई वो 5 फिल्में, जिनमें काट-छांट करके सेंसर बोर्ड ने रिलीज़ अटका दी
जातिगत भेदभाव और राजनीतिक पृष्ठभूमि के कारण Phule से पहले Santosh, Monkey Man, Tees जैसी फिल्में कई सालों से सेंसर बोर्ड के पास अटकी हुई हैं. हालांकि अब 'फुले' 25 अप्रैल को रिलीज़ हो रही है.

आखिर ऐसा क्या है इन फिल्मों में जो सेंसर बोर्ड बग़ैर कई बदलावों के इन्हें रिलीज़ के काबिल नहीं मानता? कैसी है इन फिल्मों की कहानी, जो सेंसर बोर्ड के गले नहीं उतर रही? आइए आपको बताते हैं-
1) फिल्म- पंजाब 95
डायरेक्टर- हनी त्रेहान
एक्टर्स- दिलजीत दोसांझ, गीतिका विद्या ओहल्याण, अर्जुन रामपाल, सुविंदर विकी
पंजाब के नामी ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट जसवंत सिंह खालड़ा की कहानी पर आधारित है ये फिल्म. लीड एक्टर दिलजीत दोसांझ ने इंस्टाग्राम पर इसका टीज़र पोस्ट किया और बताया कि फिल्म 7 फरवरी को रिलीज़ होगी. कुछ दिन उन्होंने पोस्ट लिखी कि रिलीज़ डेट टल गई है. तकरीबन सालभर से ये फिल्म अटकी पड़ी है. सेंसर बोर्ड मेकर्स को इसमें 120 कट की फेहरिस्त थमा चुका है. इसका टाइटल बदलवा चुका है जो पहले ‘घल्लूघारा’ था. घल्लूघारा यानी नरसंहार. इसका ट्रेलर रिलीज़ हुआ मगर उसे भी एक दिन बाद ही यूट्यूब से हटा दिया गया.
जसवंत सिंह खालड़ा अमृतसर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में डायरेक्टर थे. वो शिरोमणि अकाली दल के मानवाधिकार विंग से भी जुड़े थे. उनके सहकर्मी प्यारा सिंह एक दिन अचानक गायब हो गए. उनकी तलाश में ही जसवंत शमशान घाट पहुंचे. वहां उन्हें बड़ी तादाद में लाशों को लावारिस बताकर जलाने का पता चला. उन्होंने पड़ताल शुरू की और कुछ वक्त बाद दावा किया कि पुलिस ने फ़र्जी तरीके से आम लोगों को मारा या गायब कर दिया. उन्होंने 1984 से 1994 तक हुई ऐसी 25 हज़ार अवैध हत्याओं और दाह संस्कारों की जानकारी जुटाई. लावारिस बताकर लाशों का अंतिम संस्कार कर दिया या लाशें नदी-नहर में फेंक दीं. 1995 में एक दिन अचानक जसवंत सिंह खालड़ा उन्हीं के घर के बाहर से ग़ायब हो गए. 10 साल तक उनकी कोई ख़बर नहीं मिली. फिर एक दिन छह पुलिसवालों को उनके किडनैप और क़त्ल के इल्ज़ाम में गिरफ्तार किया गया. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और सीबीआई को जांच के आदेश दिए गए. सीबीआई ने माना कि पंजाब पुलिस ने कई लोगों को फेक एनकाउंटर में मारा था. सेंसर बोर्ड का कहना है कि फिल्म में बताए गए बदलावों के बग़ैर उसे रिलीज़ नहीं किया जा सकता. इसलिए 2022 में बनकर तैयार हुई ये फिल्म, आज भी सेंसर बोर्ड के पास फंसी हुई है.
2) फिल्म- तीस
डायेक्टर- दिबाकर बैनर्जी
एक्टर्स- नसीरुद्दीन शाह, कल्कि केक्लां, मनीषा कोईराला, हुमा कुरैशी, ज़ोया हुसैन, शशांक अरोड़ा, दिव्या दत्ता और नीरज काबी
दिबाकर बैनर्जी 2019 में नेटफ्लिक्स के लिए एक फिल्म बना रहे थे. नाम था 'फ्रीडम'. फिल्म बनाकर 2020 में उन्होंने नेटफ्लिक्स को सौंप दी. इस बात को पांच साल बीत चुके हैं. मगर नेटफ्लिक्स फिल्म रिलीज़ नहीं कर रहा है. एक इंटरव्यू में दिबाकर ने कहा था कि नेटफ्लिक्स ने उन्हें उनकी फिल्म को रोके रखने की कोई ठोस वजह नहीं बताई. उन्हें बस ये बताया गया कि 'फ्रीडम' को रिलीज़ करने का ये सही वक्त नहीं है.
दावा है कि नेटफ्लिक्स ‘डर’ के मारे 'फ्रीडम' को अपने प्लैटफॉर्म पर रिलीज़ नहीं करना चाहती. ये सारा फ़साद शुरू हुआ 2021 में एमेज़ॉन प्राइम वीडियो के शो 'तांडव' के रिलीज़ के बाद. इस सीरीज़ के एक सीन पर हंगामा खड़ा हुआ. कहा गया कि 'तांडव' हिंदू देवताओं का मज़ाक उड़ाती है. लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करती है. इस शो को लेकर हुए विवाद ने तूल पकड़ लिया. हिंदू संगठनों ने कहा कि इस शो की और स्ट्रीमिंग प्लैटफॉर्म की पुलिसिया जांच होनी चाहिए. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं ने इस शो को बैन करने की मांग की. देश के अलग-अलग राज्यों में इस शो के खिलाफ़ FIR दर्ज करवा दी गईं. मामला इतना बढ़ गया कि एमेज़ॉन प्राइम वीडियो के टॉप एग्ज़ीक्यूटिव को अंडरग्राउंड होना पड़ा. उन्हें अपना पासपोर्ट भी पुलिस के हवाले करना पड़ा. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भी शो के कुछ हिस्सों पर आपत्ति जताई. डायरेक्टर अली अब्बास ज़फर ने माफी मांगते हुए कहा कि शो के जिस हिस्से से लोगों और मंत्रालय को दिक्कत है, वो उसमें बदलाव करेंगे. मगर विवाद नहीं थमा.
अब ‘फ्रीडम’ का नाम बदलकर 'तीस' कर दिया गया है. ये इंडिया में रहने वाले एक मिडल क्लास मुस्लिम परिवार की कहानी है. ये कहानी तीन जेनरेशन में घटती है, जिसे अलग-अलग काल-खंडों में तोड़कर दिखाया गया है. फिल्म का पहला हिस्सा 1990 के कश्मीर में घटता है, जब कश्मीरी पंडितों का विस्थापन हुआ. फिल्म का दूसरा सेग्मेंट मुंबई में सेट है. जहां इस फैमिली की एक लड़की आज के समय के मुंबई में अपार्टमेंट खरीदना चाहती है. मगर इसमें उसका धर्म आड़े आ रहा है. कहानी का तीसरा भाग आज से 25 साल आगे भविष्य में घटित होता है. जहां इसी परिवार का एक लड़का अपना लिखा नॉवल छपवाने के लिए संघर्ष कर रहा है. इस फिल्म की मदद से उस परिवार और भारत के आइडियोलॉजिकल और सेक्शुअल इतिहास पर बात होती है. अब दिबाकर बैनर्जी देश-विदेश के तमाम डिस्ट्रिब्यूटर और प्रोड्यूसर से बातचीत कर रहे हैं. ताकि उनमें से कोई उनकी फिल्म को नेटफ्लिक्स से खरीदकर रिलीज़ कर दे.
3) फिल्म- धड़क 2
डायरेक्टर- शाज़िया इक़बाल
एक्टर्स- सिद्धांत चतुर्वेदी, तृप्ति डिमरी
जातिगत भेदभाव पर रोशनी डालती प्रेम कहानी है ‘धड़क 2’. जो दरअसल 2018 में आई तमिल फिल्म 'परियेरम पेरुमल' की रीमेक है. ओरिजनल फिल्म के रिलीज़ में कोई अड़चन नहीं आई. मगर हूबहू उसी प्लॉट पर आधारित हिंदी रीमेक की कई चीजें सेंसर बोर्ड को खटक रही हैं. बोर्ड की एग्ज़ामिनिंग कमिटी ने इस विषय पर फिल्म बनाने के लिए मेकर्स की तारीफ़ की है. मगर इसके कॉन्टेंट के कारण बोर्ड असमंजस में है कि फिल्म को रेटिंग क्या दें और कौन से सीन हटवाए जाएं. फिल्म की कहानी जातिगत भेदभाव को रेखांकित करती है और बोर्ड का कहना है कि ये संवेदनशील विषय है. हालांकि फिलहाल कोई बदलाव बोर्ड ने नहीं सुझाए हैं. बस इसके कुछ संवाद और दृश्यों पर आपत्ति जताई है. इसका प्रीक्वल 'धड़क' जुलाई 2018 में आया था. वो मराठी फिल्म 'सैराट' का रीमेक था.
4) फिल्म- संतोष
डायरेक्टर- संध्या सूरी
एक्टर्स- शहाना गोस्वामी, सुनीता रजवार, कुशल दुबे, संजय बिश्नोई
यूके बेस्ड भारतीय फिल्ममेकर संध्या सूरी की फिल्म ‘संतोष’ भारतीय समाज में पसरे जातिवाद से उपजी सड़ांध को उघाड़ती है. पुलिस महकमे का बर्बर चेहरा उजागर करती है. दलित महिला के संघर्षों की शिनाख्त नए ढंग से करती है. सेंसर बोर्ड का कहना है कि फिल्म में पुलिस ब्रूटैलिटी और सेक्शुअल वॉयलेंस काफी है. इसे कम किए बग़ैर फिल्म रिलीज़ नहीं की जा सकती. सेंसर बोर्ड ने मेकर्स को लंबे-लंबे कट की फेहरिस्त थमाई है. सूत्रों के मुताबिक ये कट इतने लंबे थे, कि जो लिस्ट मेकर्स को दी गई, वो कई पन्नों में पूरी हो सकी. फिल्म पर बैन लगने के बाद इंडिया टुडे ने शहाना ने इस विषय पर बात की. उन्होंने बताया कि मेकर्स ने स्क्रिप्ट के रफ़ ड्राफ्ट पर ही सेंसर बोर्ड से अप्रूवल ले लिया था. फिर भी वो इसकी रिलीज़ पर रोक लगा रहे हैं.
ये फिल्म BAFTA में नॉमिनेट और ऑस्कर्स 2025 के लिए शॉर्टलिस्ट हुई. 2024 के कान फिल्म फेस्टिवल में इसकी स्क्रीनिंग की गई. मगर इसे भारत में रिलीज़ होने से रोक दिया गया है. सेंसर बोर्ड (CBFC) के मुताबिक फिल्म में मिसोजिनी, सेक्शुअल वायलेंस सहित अति संवदेनशील मसलों का फिल्मांकन है. इसलिए सेंसर इसमें काट छांट करना चाहता है. सूरी ने इस तरफ भी इशारा किया कि वो ये लड़ाई लड़ती रहेंगी. तब तक, जब तक कि इस फिल्म को भारतीय दर्शकों तक पहुंचा नहीं देतीं.
5) फिल्म - मंकी मैन
डायरेक्टर - देव पटेल
एक्टर्स - देव पटेल, विपिन शर्मा, शोभिता धुलिपाला, पितोबाश, सिकंदर खेर और मकरंद देशपांडे
'स्लमडॉग मिलियनेयर' फेम देव पटेल की डायरेक्टोरियल डेब्यू फिल्म. दुनियाभर में ये 5 अप्रैल, 2024 को रिलीज़ होकर ढेर सारी तारीफें बटोर चुकी है. मगर इंडिया में सेंसर बोर्ड ने इस पर रोक लगा रखी है. कारण ये बताया जा रहा है कि फिल्म में देव पटेल ने जो किरदार निभाया है, वो भगवान हनुमान से प्रेरित है. धार्मिक एंगल के चलते विवाद न खड़े हों, इसलिए इसे रोक दिया गया है. कुछ रिपोर्ट्स में ये भी पढ़ने में आया कि बोर्ड ने अब तक फिल्म देखी ही नहीं है. इसलिए रिलीज़ में देरी हुई. कुछ दिन बाद दोबारा ख़बरें आईं कि हिंसक सीन्स और धार्मिक थीम को लेकर सेंसर बोर्ड पसोपेश में है. इसलिए संभवत: ये फिल्म इंडिया में रिलीज़ नहीं की जाएगी. फिर सोशल मीडिया पर ये दावा किया जाने लगा कि 'मंकी मैन' को इंडिया में बैन कर दिया गया है. 'मंकी मैन' को लेकर मसला ये भी है कि इस फिल्म से भारतीयों लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं. इसलिए सेंसर बोर्ड चाहेगा कि जो भी विवादित हिस्से हैं, उन्हें फिल्म से हटाया या बदला जाए. सेंसर बोर्ड फिल्म में जो भी बदलाव बताएगा, वो अमेरिका में यूनिवर्सल स्टूडियो की टीम तक पहुंचाए जाएंगे. बदलाव करने के बाद सेंसर बोर्ड उसे अप्रूव करेगा. तब जाकर 'मंकी मैन' के रिलीज़ की उम्मीदें बनेंगी. मगर फिलहाल ऐसा कुछ होता नज़र नहीं आ रहा.
वीडियो: 'Phule' फिल्म को लेकर Censor Board पर भड़के Anurag Kashyap, मामला क्या है?