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टॉम क्रूज और 'मिशन इम्पॉसिबल': वो दो नाम जिन्होंने दिखाया कि असंभव जैसा कुछ भी नहीं होता

Mission Impossible और Tom Cruise लगभग 30 सालों तक एक्शन फ़िल्मों का चेहरा बने रहे. इतने समय में उन्होंने किस तरह एक्शन फ़िल्मों की दुनिया को परिभाषित किया, उसे जानते हैं.

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टॉम क्रूज़, सिनेमा इतिहास की चौथी सबसे महंगी फ़िल्म लेकर आ रहे हैं.

पिछले 30 सालों में दुनिया ने पांच बैटमैन, चार स्पाइडरमैन, तीन हल्क, दो जेम्स बॉन्ड और न जाने कितने सुपरमैन देख लिए. मगर 'ईथन हंट' देखा तो केवल एक- Tom Cruise. इन तीस सालों में सिनेमा बदला, सिनेमा दिखाने का अंदाज़ बदला. पर एक चीज़ जो नहीं बदली वो है Mission Impossible द्वारा असंभव को संभव कर दिखाने का जज़्बा. 1996 में टॉम क्रूज़ ने 'मिशन इम्पॉसिबल' फिल्म के लिए पहली बार एजेंट 'ईथन हंट' का चोला पहना. और इसने न केवल उनके करियर, बल्कि एक्शन फिल्मों को भी हमेशा-हमेशा के लिए बदलकर रख दिया. 

सवाल उठता है कि हमें यूं अचानक 'मिशन इम्पॉसिबल' और टॉम क्रूज की याद क्यों आने लगी? तो इसके दो कारण हैं. एक कारण तो ये कि MI फ्रैंचाइज़ ने कुछ समय पहले अपनी 8वीं फ़िल्म Mission: Impossible – The Final Reckoning का ट्रेलर लॉन्च कर दिया है. ट्रेलर के धमाकेदार एक्शन सीक्वेंस के बीच MI सीरीज़ की कुछ पुरानी झलकियां भी देखने को मिलीं. साथ ही अमेरिकी खुफ़िया एजेंसी 'इम्पॉसिबल मिशन्स फोर्स' (IMF)  के कई अन्य हैरतअंगेज़ मिशन्स भी दिखाए गए. संक्षिप्त में समेटें, तो हमें बताया गया कि किस तरह एजेंट ईथन हंट (टॉम क्रूज़) के नेतृत्व में ये सुरक्षा एजेंसी दुनिया को आने वाली मुसीबतों से बचाती है.

मगर जिस वजह से हम इस फ्रैंचाइज़ की बात कर रहे हैं, वो है इसका दूसरा कारण. दरअसल फिल्म के ट्रेलर से हमें पता चलता है कि सरकार एजेंट हंट को एक और मिशन पर भेजने वाली है. चूंकि इस बार लड़ाई पहले से भी कहीं अधिक मुश्किल है, इसलिए एजेंट हंट अपने सभी पुराने साथियों को जुटाता है. इसी जमावड़े के दौरान किसी से बात करते हुए ईथन हंट कहता है-"I need you to trust me, One Last time." 

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Mission: Impossible – The Final Reckoning का एक दृश्य.

यानी-"मैं चाहता हूं कि तुम मुझ पर भरोसा करो, बस एक आखिरी बार". फिल्म प्रेमियों का मानना है कि ये डायलॉग एजेंट ईथन हंट ने अपने किसी साथी एजेंट से नहीं, बल्कि एक्टर टॉम क्रूज़ ने अपने फैन्स से कही है. दरअसल ऐसी आशंका जताई जा रही कि टॉम क्रूज़ MI फ्रैंचाइज़ के साथ अपने इस सफ़र को अब विराम देने जा रहे हैं. लगभग 30 साल तक एजेंट हंट का किरदार निभाने के बाद 'मिशन इम्पॉसिबल- द फाइनल रेकनिंग' ही इस फ्रैंचाइज़ में क्रूज़ की आखिरी फिल्म होगी. हालांकि पैसा इस आखिरी बार की संभावनाएं बार-बार ले आता है. बहरहाल आखिरी फिल्म के बहाने ‘मिशन इम्पॉसिबल’ के 30 साल के सफर को थोड़ा करीब से जानने की कोशिश करते हैं. समझेंगे कि कैसे इन फिल्मों ने एक्शन सिनेमा का रुख हमेशा के लिए बदलकर धर दिया.

# कैसे हुई 'मिशन इम्पॉसिबल' की शुरुआत?

साल 1996 की बात है. टॉम क्रूज़ को एक्टिंग करते हुए 15 साल बीत चुके थे. इन 15 सालों में उनके हिस्से कॉमेडी, एक्शन, रोमांस, ड्रामा सब कुछ आया. 'टॉप गन', 'रेन मैन', 'अ फ़्यू गुड मैन' जैसी फिल्में कर टॉम ने अपनी जगह पुख्ता कर ली थी. मगर इसके बावजूद भी कुछ अधूरा था. दरअसल टॉम क्रूज़ केवल लीड रोल मिलने भर से संतुष्ट नहीं थे. उन्हें अब क्रिएटिव कंट्रोल चाहिए था. इसी सोच को सच करने के लिए उन्होंने 1993 में अपनी एजेंट पॉला वैगनर के साथ मिलकर एक प्रोडक्शन कंपनी खोली. 'क्रूज़/वैगनर प्रोडक्शंस' नामक इस कंपनी का बनना भर था कि क्रूज़ ने नए फिल्मी आइडिया की तलाश शुरू कर दी. इसी तलाश में उनके हाथ लगी 1960 के दशक की एक टीवी सीरीज़, जिसका नाम था-'मिशन इम्पॉसिबल'.

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‘मिशन इम्पॉसिबल’ टीवी सीरीज की स्टारकास्ट.

ब्रूस गेलर द्वारा निर्देशित इस टीवी सीरीज़ को पहली बार 1966 में टेलीकास्ट किया गया था. सीरीज़ के केंद्र में एक खुफ़िया एजेंसी थी जो इसकी सबसे बड़ी खासियत बनी. तब पीटर ग्रेव्स, बारबरा बैन और मार्टिन लैंडौ जैसे एक्टर्स इस एजेंसी के सीक्रेट एजेंट्स हुआ करते थे. शानदार सूट-बूट और कूल हेयरस्टाइल लिए इसकी स्टारकास्ट ने उस दौर में जनता का खूब ध्यान खींचा. इसलिए टॉम क्रूज़ जब अपनी फिल्म के लिए आइडिया ढूंढने बैठे तो उनकी पहली पसंद ‘मिशन इम्पॉसिबल’ ही बनी. 

मगर इस सीरीज़ को बड़ी स्क्रीन पर उतारना इतना भी आसान नहीं था. लोगों के दिमाग में इसकी यादें रची-बसी थीं. ऊपर से सीरीज़ की ओरिजिनल कास्ट भी इसके फिल्मी रीबूट के पक्ष में नहीं थी. ‘मिशन इम्पॉसिबल’ टीवी सीरीज के सभी राइट्स भी पैरामाउंट पिक्चर्स के पास थे. पैरामाउंट खुद भी इस पर फिल्म बनाना चाहता था. मगर बहुत कोशिश करके भी कुछ ठोस बना नहीं पाया. ऐसे में उनके पास पहुंचे टॉम क्रूज़. टॉम ने न केवल पैरामाउंट का भरोसा जीता, बल्कि अपने प्रोडक्शन हाउस की पहली ही फिल्म के लिए 70 मिलियन डॉलर का बजट भी पास करवा लिया. आज के भारतीय रुपये में ये करीब 597 करोड़ रुपये होते हैं.

# जब टॉम क्रूज़ खुद स्टंट करने कूद पड़े 

इधर पैरामाउंट पिक्चर्स से हरी झंडी मिली, उधर टॉम ने फ़िल्म की कहानी पर काम चालू कर दिया. शुरुआत में फिल्ममेकर सिडनी पॉलक के साथ इसकी स्टोरीलाइन पर काम हुआ. मगर फिर टॉम क्रूज़ ने डायरेक्टर ब्रायन डी पाल्मा को फ़िल्म से जोड़ा. एक इंटरव्यू में टॉम ने बताया कि वो हॉलीवुड डायरेक्टर स्टीवन स्पीलबर्ग के पड़ोस में रहते थे. एक बार जब वो स्पीलबर्ग के घर डिनर पर गए तो वहां ब्रायन भी मौजूद थे. टॉम पहले से ही पाल्मा की फिल्मोग्राफी से काफ़ी प्रभावित थे. उस मुलाकात से घर लौटने पर टॉम ने एक के बाद एक पाल्मा की सभी फ़िल्में देख डाली. उनका काम देखकर टॉम ने ठान लिया कि 'मिशन इम्पॉसिबल' को अब ब्रायन डी पाल्मा ही डायरेक्ट करेंगे.

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‘मिशन इम्पॉसिबल’ के सेट पर ब्रायन डी पाल्मा और टॉम क्रूज़.

पाल्मा आए. टॉम के साथ मिलकर उन्होंने खूब माथा-पच्ची भी की. दोनों ने दो स्क्रीनप्ले ड्राफ्ट पढ़े, मगर उससे बात नहीं बनी. एक मौका तो ऐसा भी आया जब फिल्म बिना स्क्रिप्ट पूरी हुए ही प्री-प्रोडक्शन में चली गई. टॉम सोचकर आए थे कि उन्हें कुछ हटकर बनाना है. यही कारण है कि पहली ही फिल्म से इस फ्रैंचाइज़ में इंटरनेशनल लोकेशन्स का इस्तेमाल किया जाने लगा. एक्शन सीन्स में मदद के लिए स्टंटमैन भी लाए गए. मगर जब टॉम उनसे भी संतुष्ट नहीं हुए, तो एक्शन्स को करने के लिए खुद ही कूद पड़े. कुलमिलाकर टॉम क्रूज़ ने 'मिशन इम्पॉसिबल' के लिए वो सब कुछ किया, जिससे इस फिल्म को यूनिक बनाया जा सकता था.

# टॉम का वो स्टंट जिसे पूरी दुनिया ने कॉपी किया 

22 मई 1996 को 'मिशन इम्पॉसिबल' रिलीज़ हुई. लोगों ने देखा कि ये केवल उस टीवी सीरीज़ का एडवांस वर्जन ही नहीं, बल्कि एक्शन की दुनिया में एक क्रांति की शुरुआत भी है. ध्यान रहे कि ये वो दौर था जब एक्शन हीरो और फिल्में कॉमिक बुक स्टाइल की सतही बहादुरी पर चल रहे थे. मगर 'मिशन इम्पॉसिबल' के रिलीज़ होते ही उन्हें भी अपना ये फॉर्मूला बदलना पड़ा. MI की ये पहली किश्त कोई नॉनसेन्स एक्शन नहीं थी. ये एक स्पाई थ्रिलर थी, जिसने बड़ी ही महीनता से अपने एक्शन में सस्पेंस और टेंशन का तड़का भी डाला था.

tom cruise in mission impossible
ये स्टंट इतना मुश्किल था कि इसे फ़िल्म से लगभग निकाल ही दिया गया था.

उदाहरण के लिए फिल्म के एक बहुत फेमस सीन की कहानी बताते हैं. इसमें एजेंट ईथन हंट (टॉम क्रूज़) तारों की मदद से एक प्रेशर सेंसिटिव फ्लोर के ऊपर लटका है. जब आप इस दृश्य को देखते हैं तो आपके दिल में किसी धमाके का डर नहीं होता. बल्कि इस बात का डर होता है कि किसी आहट से दुश्मनों को ईथन की भनक न लग जाए. बेहद बारीकी से एक्टर और डायरेक्टर दर्शकों को वो थ्रिल, वो टेंशन महसूस करवा देते हैं. कहने की ज़रूरत नहीं कि इस सीन को आगे भी कई फिल्मों में कॉपी किया गया. MI फ्रैंचाइज़ हिचकॉकियन टेंशन को नए सिरे से परिभाषित करती है. वर्ल्ड सिनेमा में अल्फ्रेड हिचकॉक के एक महान डायरेक्टर हुए हैं. उनकी फिल्मों में थ्रिलर और सस्पेंस वाले अनोखे एलिमेंट्स के चलते 'हिचकॉकियन' शब्द का ईजाद हुआ. खैर आसमान से कूदते, प्लेन से लटकते, बम धमाकों से बचते टॉम क्रूज को देखकर जान हलक में अटक जाती है. यहां आप 'जॉन विक' की तरह ये नहीं गिनते कि हीरो ने कितनों को मार गिराया. बल्कि ये देखते हैं कि एजेंट ईथन हंट किस तरह मौत को छूकर टक्क से वापस आ गया है.

#एक्शन फिल्मों को कैसे बदल दिया?

ऐसा नहीं  है कि MI से पहले अच्छी एक्शन फिल्में नहीं बनीं. 1990 के आसपास ही आर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर की 'द लास्ट एक्शन हीरो', हैरिसन फोर्ड की ‘द फ्यूजिटिव’ और कियानु रीव्स की 'स्पीड' जैसी फिल्में आई थीं. यहां तक कि खुद टॉम क्रूज़ ने भी 1986 की 'टॉप गन' में काम किया था. बावजूद इसके कोई भी उस स्तर की नहीं थी, जिसे MI फ्रैंचाइज़ ने अपनी पहली ही फ़िल्म से पा लिया था. इस फिल्म ने असली स्टंट्स को दोबारा मुख्यधारा से जोड़ा. एक ऐसी दुनिया जहां डिजिटल इफ़ेक्ट्स धड़ल्ले से बिक रहे थे, टॉम क्रूज़ ने उल्टी धारा में बहना चुना. उन्होंने दुनिया को वो थ्रिल महसूस करवाया जो ग्रीन स्क्रीन और CGI शायद कभी महसूस नहीं करवा पाते.

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'मिशन इम्पॉसिबल 2’ में आग की लपटों से बचकर निकलते टॉम क्रूज़.

#फ़िल्म की लोकेशन भी उसकी स्टार हैं 

MI ने अपनी पहली फिल्म से ही दुनिया को खेल का मैदान बना दिया. जितने धारदार एक्शन, उतनी ही बड़ी लोकेशन. कभी प्राग, कभी लंदन, कभी फ्रांस, तो कभी सिडनी. स्पेन से लेकर बर्लिन, रोम, मॉस्को, विएना और दुनिया भर के शहरों में MI फिल्मों की शूटिंग हुई. इससे इन फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय पहचान भी मिली. जिन देशों में टॉम क्रूज़ शूटिंग करने जाते, वहां का टूरिज़्म सेक्टर भी तेज़ी से पनपता. इसलिए दुनिया भर की सरकारें न केवल MI फ्रैंचाइज़ का स्वागत करती, बल्कि उन्हें सब्सिडी भी देती. 

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‘मिशन इम्पॉसिबल: द डेड रेकनिंग पार्ट वन’ का एक सीन.

इन सब बातों से न केवल MI फ्रैंचाइज़ को फ्री मार्केटिंग मिली, बल्कि अगले कई सालों के लिए इसकी लैगेसी भी सुरक्षित हो गई. ‘मिशन इम्पॉसिबल’ ने जो लहर शुरू की थी, उसका एक बड़ा असर बाकी फिल्मों पर भी पड़ा. दूसरे स्टूडियो भी अपनी एक्शन फिल्मों को ज़्यादा रियल बनाने की कोशिश करने लगे. MI से प्रेरित होकर ही नई जेम्स बॉन्ड फिल्मों और 'बॉर्न' (Bourne) जैसी सीरीज़ों को और भी ज़्यादा रियल और इंटेंस बनाया गया. टॉम क्रूज़ की ये सोच कि स्टंट्स असली और लोकेशंस ग्लोबल हों- इसने एक नया स्टैंडर्ड सेट कर दिया. 

# ऐसे बने टॉम दुनिया के सबसे बड़े एक्शन हीरो

1996 में 'मिशन इम्पॉसिबल' फ्रैंचाइज़ के जन्म के साथ 'एक्शन हीरो' टॉम क्रूज़ का भी पुनर्जन्म हुआ. एजेंट ईथन हंट के इस रोल ने न केवल उन्हें सुपर स्टारडम दिया, बल्कि अगले तीन दशक तक एक्शन की दुनिया का सबसे बड़ा चेहरा भी बनाए रखा. पर ये सब इतना भी आसान नहीं था. टॉम क्रूज़ की रियल एक्शन दिखाने की ज़िद ने उन्हें इस मोड़ पर ला खड़ा किया कि वे अपने एक्शन खुद करने लगे. यही बात MI फ्रैंचाइज़ का सबसे बड़ा सेलिंग पॉइंट भी बनी. टॉम के कुछ ऐसे ही असंभव प्रतीत होने वाले एक्शन सीन्स के बारे में बताएंगे.

1) 'मिशन इम्पॉसिबल-2' (2000) में एक सीन है जहां टॉम डेड हॉर्स पॉइंट, यूटा (Utah) में हैं. यहां वो बिना किसी मदद के अकेले ही एक नुकीली पहाड़ी पर चढ़ जाते हैं. सहारे के नाम पर उनके पास बस एक पतला हार्नेस है. इसे भी उन्होंने केवल इसलिए पहना क्योंकि इंश्योरेंस कंपनी के कुछ नियम हैं. 

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'मिशन इम्पॉसिबल-2' की शूटिंग के दौरान टॉम क्रूज़.

2) 2011 की Mission: Impossible - Ghost Protocol में दुनिया के सबसे खतरनाक स्टंट्स में से एक किया गया. टॉम क्रूज़ दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग बुर्ज खलीफ़ा की छत पर चढ़े. ज़मीन से हज़ारों फीट ऊपर उनकी ये तस्वीर आज भी आइकॉनिक मानी जाती है.

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बुर्ज खलीफ़ा से लटके हुए टॉम क्रूज़.

3) Rogue Nation (2015) में तो टॉम क्रूज़ ने हद ही कर दी. उन्होंने जो किया, वो देखकर कट्टर टॉम क्रूज़ फैंस ने भी सोचा कि इस बार तो शायद CGI ही है. मगर वो गलत थे. दरअसल इस फ़िल्म में एक मिलिट्री कार्गो प्लेन उड़ान भर रहा था और टॉम क्रूज़ इसके दरवाज़े के बाहर लटके थे. न कोई ग्रीन स्क्रीन, न ही स्टंट डबल. टॉम क्रूज़ ने एक टॉक शो के दौरान बताया था कि इस सीन के पहले टेक में उन्हें एहसास हुआ कि ये अच्छा आइडिया नहीं था. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. 

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इस स्टंट के लिए सूट पहनने का आइडिया भी टॉम क्रूज़ का ही था.

4) MI फ्रैंचाइज़ ने 2018 में Fallout रिलीज़ की थी. मालूम चला कि इसके एक सीन के लिए टॉम क्रूज़ साल भर से HALO जंप की ट्रेनिंग कर रहे हैं. ये एक खास तरह की मिलिट्री स्टाइल पैराशूट जंप है, जहां आसमान में आदमी काफ़ी ऊंचाई से कूदता है. टॉम क्रूज़ इस फ़िल्म के लिए 25000 फ़ीट की ऊंचाई से कूद गए. फ़िल्मों में किसी एक्टर द्वारा ऐसा पहली बार किया गया था. यही नहीं, इस फ़िल्म के एक चेज़ सीक्वेंस के लिए तो क्रूज़ ने न्यूजीलैंड के पहाड़ों में हेलिकॉप्टर भी उड़ाया. मज़ेदार बात ये है कि ऐसा करने के लिए उन्होंने पायलट का लाइसेंस भी लिया था.

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इन तीन सीन्स के स्टंट के लिए टॉम क्रूज़ 106 बार आसमान से कूदे.

5) साल 2023 में टॉम क्रूज़ की उम्र 61 साल थी. मगर रुके वो तब भी नहीं. Dead Reckoning फ़िल्म के लिए वो तेज़ रफ़्तार में मोटरसाइकिल चलाते आए और उसे लेकर पहाड़ी से कूद पड़े. इसके लिए उन्होंने किसी स्टंट डबल की भी मदद नहीं ली. स्टंट किया, तो खुद ही किया. टॉम इस स्टंट को पहले ही दिन करना चाहते थे. उसकी वजह थी कि फिल्म पर भारी-भरकम पैसा लगा हुआ था. यदि टॉम बीच फिल्म में ये स्टंट करते और उन्हें चोट लगती या उनकी जान चली जाती, तो प्रोडक्शन पूरी तरह बर्बाद हो जाता. उनका मानना था कि शुरुआत में ये स्टंट करने से यदि उन्हें चोट पहुंचती भी है तो फिल्म का बड़ा नुकसान होने से बच जाएगा.

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इस स्टंट को करते वक्त टॉम क्रूज़ 61 साल के थे

6) कुछ दिन पहले MI फ्रैंचाइज़ की 8वीं फ़िल्म Mission: Impossible – The Final Reckoning का ट्रेलर आया. इसके पहले ही सीन में टॉम क्रूज़ एक वॉरप्लेन से लटकते हुए दिखे. ये प्लेन पहाड़ों और चट्टानों से होकर गुज़र रहा है. यानी एक बारीक सी चूक बहुत बड़ा नुकसान कर सकती थी. बावजूद इसके टॉम क्रूज़ ये स्टंट करते हैं. एक सीन के लिए तो वो समुद्र की गहराई में जाकर एक सबमरिन तक भी पहुंच जाते हैं.

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Mission: Impossible – The Final Reckoning में टॉम क्रूज़.

आज टॉम क्रूज़ ने रियलिस्टिक एक्शन को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया है. उनकी यह इमेज इतनी मजबूत हो चुकी है कि कल को यदि वो किसी एक्शन सीन के लिए CGI का इस्तेमाल कर भी लें, तब भी लोग उसे असली ही समझेंगे. इस लंबे सफ़र के बाद MI फ्रैंचाइज़ के साथ उनका भविष्य क्या रहता है, ये तो वक्त ही बताएगा. मगर इतना तो तय है कि पिछले 30 सालों में टॉम क्रूज़ ने एक्शन सिनेमा को बदलकर रख दिया है. हम में से अधिकांश लोग जब पैदा भी नहीं हुए थे, टॉम क्रूज़ तब भी मिशन पर थे. हम स्कूल गए, कॉलेज से निकले, टॉम तब भी मिशन पर रहे. आज जब नौकरी करते हुए अपनी कुर्सी तोड़ रहे हैं, तो टॉम फिर एक मिशन पर निकलने वाले हैं. संभव है कि जबतक हम जैसे कई लोग रिटायरमेंट लें, वो फिर किसी मिशन पर होंगे. यही टॉम क्रूज़ हैं, और यही है उनकी लैगेसी.

वीडियो: 'मिशन इम्पॉसिबल' के सेट पर टॉम क्रूज भड़क पड़े, गालियां दीं लेकिन लोग तारीफ़ कर रहे