किसी भी फिल्म को रिलीज़ करने से पहले उसे सेंट्रल बोर्ड ऑफ सर्टीफिकेशन यानी CBFC के पास भेजा जाता है. CBFC फिल्म को देखकर सर्टिफिकेट देता है. किसी सीन से कुछ आपत्ति होती है, तो सेंसर बोर्ड मेकर्स से उसमें बदलाव करने को कहता है. सालों से फिल्म को सर्टिफिकेट देने का काम सेंसर बोर्ड करता आ रहा है. लेकिन अब किसी ने फिल्मों, सीरीज़ और सीरियल्स में सनातन धर्म को अपमानित करने वाले कंटेंट ना जाएं, इसके लिए खुद ही ’धर्म सेंसर बोर्ड' का गठन किया है.
फिल्मों में सनातन धर्म का अपमान ना हो, इसके लिए धर्म सेंसर बोर्ड खुल गया
ये बोर्ड झोंको, टोको और रोको पॉलिसी पर काम करेगा.
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पिछले कुछ दिनों से फिल्मों को बॉयकॉट करने का चलन चल गया है. फिल्म बाद में आती है, उसका बॉयकॉट किसी ना किसी वजह से पहले से शुरू हो जाता है. और इन वजहों में सबसे ज़्यादा वजह ये दी जाती है कि मूवी का कोई सीन धर्म का अपमान कर रहा है. आमिर की ‘लाल सिंह चड्ढा’, विजय देवरकोंडा की ‘लाइगर’ और रणबीर की ‘ब्रह्मास्त्र’ ने विरोध झेला. अब विरोध करने वालों का पूरा फोकस ‘पठान’ पर शिफ्ट हो गया है.
‘पठान’ के ‘बेशर्म रंग’ गाने को लेकर इतना तगड़ा बवाल उठा कि मेकर्स को फिल्म प्रमोट ही नहीं करनी पड़ी. इसी बवाल के बाद शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने धर्म सेंसर बोर्ड का गठन किया है. जिसकी गाइडलाइन्स भी जारी कर दी गई हैं. प्रयागराज माघ मेले में इसकी घोषणा की गई है. अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि जल्द ही ये गाइडलाइन्स प्रड्यूसर्स और डायरेक्टर्स तक पहुंचा दी जाएगी. जिसके बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म, फिल्मों और सीरियल्स पर पैनी नज़र रखी जाएगी. ताकि सनातन धर्म को अपमानित करने वाला कोई कंटेंट ना जाए.
मीडिया से बात करते हुए अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा,
ये बोर्ड झोंको, टोको और रोको पॉलिसी पर काम करेगा. इसके लिए एक लीगल सेल भी बना दी गई है. जो फिल्मों के ऐसे कंटेंट पर नज़र रखेगी.
उन्होंने आगे कहा,
‘’हमारे एक्सपर्ट फिल्म रिलीज़ होने के बाद फिल्म देखेंगे. अगर सबकुछ ठीक लगा तो हम उसे सर्टिफिकेट देंगे. फिलहाल सेंसर बोर्ड फिल्म को पास करती है, जो फिल्मों को पास कर देती है. जिसमें कभी-कभी लोगों की भावनाएं भी आहत होती हैं. हमने हमेशा से कहा कि सेंसर बोर्ड में किसी धार्मिक व्यक्ति को भी रखो लेकिन कभी इसे माना नहीं गया. इसलिए हमने अपना खुद का बोर्ड खोल लिया है.''
फिल्मों के लिए बने सनातन धर्म वाले सेंसर बोर्ड में अलग-अलग क्षेत्रों के कुल नौ सदस्यों को जोड़ा गया है. अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ये भी बताया है कि ये बोर्ड पुरानी फिल्मों को भी देखेगा और उसे भी सर्टिफिकेट देगा. साथ ही ये भी कहा कि धर्म सेंसर बोर्ड, सेंसर बोर्ड के असिस्टेंट की तरह काम करेगा. हां, अभी तक ये नहीं बताया गया है कि किसी भी फिल्म को किस पैमाने तक जज किया जाएगा. जैसे हीरो-हिरोइन के कपड़ों के रंग को देखकर उसे जज किया जाएगा या नहीं. या फिल्म के कोर कंटेंट पर भी ध्यान दिया जाएगा.
ये बात अलग से कहने की ज़रूरत तो है नहीं कि ये बोर्ड कोई ऑफिशियल संस्था नहीं है. न ही कोई फिल्म निर्माता इनसे फिल्म पास करवाने के लिए बाध्य है.
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