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'एनिमल' वालों ने स्वानंद किरकिरे को क्या जवाब दिया कि इंटरनेट पर खींचतान मच गई

स्वानंद ने 'एनिमल' देखने के बाद लिखा था कि फिल्म भले ही बहुत पैसा कमा रही है, लेकिन भारतीय सिनेमा का गौरवशाली इतिहास शर्मिंदा हो रहा है. 'एनिमल' के ऑफिशियल X हैंडल ने अब तंज कसते हुए उन्हें जवाब दिया है.

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स्वानंद ने उन फिल्मों के नाम गिनाए थे जिन्होंने उन्हें महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूक किया.

Sandeep Reddy Vanga की फिल्म Animal देखने के बाद गीतकार, कवि और एक्टर Swanand Kirkire बहुत निराश हुए थे. फिल्म के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज करने के लिए उन्होंने X पर लंबा-चौड़ा पोस्ट लिखा था. उन्होंने लिखा था कि ‘एनिमल’ भले ही बहुत पैसा कमा रही है लेकिन भारतीय सिनेमा का गौरवशाली इतिहास शर्मिंदा हो रहा है. मामले ने तूल पकड़ा. बात इतनी बढ़ी कि अब ‘एनिमल’ वालों ने भी स्वानंद को जवाब दिया है. बेसिकली फिल्म के ऑफिशियल X हैंडल ने स्वानंद की बात पर तंज कसा है. 

उस अकाउंट से किए गए पोस्ट का लिटरल ट्रांसलेशन नहीं किया जा सकता लेकिन उसका भाव आपको बता देते हैं. लिखा गया कि फिल्म को देखकर अगर गिरें तो संभाल कर गिरें. अपने पैरों को कंधे जितनी चौड़ाई तक रखें. उसके बाद लैंडिंग में कोई दिक्कत नहीं होगी. मेकर्स स्वानंद का अपमान नहीं कर रहे. वो लोग बस अपनी फिल्म की ऐरोगेंस बेच रहे हैं. यही रवैया उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स में भी झलक रहा है. इससे पहले ‘एनिमल’ के ऑफिशियल अकाउंट ने फिल्म क्रिटिक अनुपमा चोपड़ा को भी जवाब दिया था. अनुपमा ने ‘एनिमल’ देखने के बाद लिखा था कि वो कबीर सिंह को मिस कर रही हैं. इस पर फिल्म के अकाउंट ने ‘कबीर सिंह’ का ओटीटी लिंक शेयर कर लिखा कि आप अपनी फेवरेट ‘कबीर सिंह’ फिर से यहां देख सकती हैं. 

फिल्म के ऑफिशियल अकाउंट से जैसे रिप्लाई आ रहे हैं, उसे लेकर इंटरनेट की जनता भी एक मत नहीं बना पा रही. स्वानंद को दिए जवाब पर किसी ने लिखा कि रियल अकाउंट से आओ संदीप रेड्डी वांगा. किसी का कहना था कि वांगा ने गलती से ऑफिशियल अकाउंट से जवाब लिख दिया. दूसरी ओर इस जवाब को गलत टेस्ट में देखा गया. किसी ने लिखा कि डायरेक्टर को थेरेपी में भेजो. दूसरे यूज़र ने लिखा कि ये 11 साल के बच्चे जैसा जवाब है. एक यूज़र ने लिखा कि अल्फा लोग आलोचना होते ही रोने लगे. खबर लिखे जाने तक स्वानंद की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.

बाकी नीचे आप उनका पूरा पोस्ट पढ़ सकते हैं:

महबूब खान की ‘औरत’, गुरु दत्त की ‘साहिब बीबी और गुलाम’, ऋषिकेश मुखर्जी की ‘अनुपमा’, श्याम बेनेगल की ‘अंकुर’ और ‘भूमिका’, केतन मेहता की ‘मिर्च मसाला’, सुधीर मिश्रा की ‘मैं ज़िंदा हूं’, गौरी शिंदे की ‘इंग्लिश विंगलिश’, विकास बहाल की ‘क्वीन’, शूजित सरकार की ‘पीकू’ आदि हिंदुस्तानी सिनेमा की कई ऐसी फिल्में हैं जिन्होंने मुझे सिखाया कि स्त्री, उसके अधिकार और उसकी स्वायत्तता की इज़्ज़त कैसे की जानी चाहिए और सबकुछ समझ बूझ कर भी सदियों पुरानी इस सोच में अब भी कितनी कमियां हैं. पता नहीं सफल हुआ या नहीं पर लगातार अपने आप को सुधारने की कोशिश आज भी कर रहा हूं. 

सब सिनेमा की बदौलत. पर आज ‘एनिमल’ फिल्म देखकर मुझे सचमुच आज की पीढ़ी की स्त्रियों पर दया आई. आप के लिए फिर एक नया पुरुष तैयार किया गया है जो ज़्यादा डरावना है, वो आपकी इतनी भी इज़्ज़त नहीं करता और जो आप को झुकाने, दबाने और उस पर गर्व करने को अपना पुरुषार्थ समझता है. आज की पीढ़ी की लड़कियों तुम उस सिनेमा हॉल में बैठ रश्मिका के पीटने पर जब तालियां पीट रही थीं तो मैंने मन-ही-मन समता के हर विचार को श्रद्धांजलि दे दी.

मैं घर आ गया हूं. हताश, निराश और दुर्बल! रणबीर के उस संवाद में जिसमें वो अल्फा मेल डिफाइन करता है और कहता है जो मर्द अल्फा नहीं बन पाते वो सारे स्त्री का भोग पाने के लिए कवि बन जाते हैं और चांद-तारे तोड़ कर लाने के वादे करने लगते हैं. मैं कवि हूं! कविता करता हूं जीने के लिए. मेरी कोई जगह है? एक फिल्म बहुत पैसे कमा रही है और भारतीय सिनेमा का गौरवशाली इतिहास शर्मिंदा हो रहा है.

‘एनिमल’ ने छह दिनों में 314.50 करोड़ रुपए का बिज़नेस किया है. फिल्म की तमाम आलोचना के बावजूद ये ताबड़तोड़ कमाई किए जा रही है. बता दें कि फिल्म ने अब तक 527.6 करोड़ का वर्ल्डवाइड ग्रॉस कलेक्शन कर लिया है