
'देवा' की शूटिंग के दौरान सुभाष घई के साथ अमिताभ बच्चन. बताया जाता है कि इस फिल्म में भी अमिताभ का लुक 'खुदा गवाह' टाइप का ही था.
बहुत सारी अफवाहों और खबरों के बीच 'देवा' डिब्बाबंद हो गई. कभी न बनने के लिए. सुभाष घई ने तय किया था कि ये फिल्म बच्चन के साथ ही बनेगी. अगर अमिताभ नहीं, तो 'देवा' नहीं. इसके बाद उन्होंने अपने दो जियाले उठाए और दूसरी पिक्चर शुरू कर दी. फिल्म का नाम 'राम लखन'. रिलीज़ डेट 27 जनवरी, 1989. इस फिल्म ने सुभाष घई के करियर को और फ्लाइट दी. ये फिल्म जैसे बनी थी, उसकी कहानी घई की किसी फिल्म के क्लाइमैक्स से कम ड्रमैटिक नहीं है. सोचिए घई अपने करियर के किस मकाम पर रहे होंगे कि बिना बताए आर.डी. बर्मन जैसे दिग्गज को फिल्म से बाहर कर दिया. एक एक्टर को घर बुलाकर रोल ऑफ अ लाइफटाइम ऑफर किया. एक्ट्रेस को दिया वादा निभाया. और दूसरी एक्ट्रेस को इतना परेशान कर दिया कि उसने अपनी कलाई ही काट डाली. सोचिए जब क्विकी ऐसे हैं, तो किस्से कैसे होंगे.

फिल्म के पोस्टर पर जैकी श्रॉफ, डिंपल कपाडिया, राखी, अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित.
फेवरेट म्यूज़िक डायरेक्टर की धमकी पर पंचम को फिल्म से निकाला
सुभाष घई 80 के दशक के मशहूर फिल्ममेकर थे. उनकी फिल्मों का म्यूज़िक भी पसंद किया जाता था. जिन्हें वो लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी से बनवाया करते थे. लेकिन बच्चन की 'देवा' के म्यूज़िक के लिए उन्होंने लेजेंडरी म्यूज़िशियन पंचम दा यानी आर.डी. बर्मन को चुना था. पंचम ने फिल्म के लिए धुनें बनानी शुरू कर दी थी. तब पंचम का करियर किसी क्रैश हुए प्लेन की सी तेजी से नीचे की ओर आना शुरू हो चुका था. बीच में एकाध बढ़िया कमबैक आए लेकिन वो बात नहीं आई. इसी सब के बीच 'देवा' शेल्व हो गई यानी फिल्म का काम रुक गया. सुभाष घई ने अपनी अगली फिल्म अनाउंस कर दी. लेकिन इसी बीच एक बड़ी शॉकिंग घटना सामने आई. 'देवा' से 'राम लखन' तक की जर्नी में घई का म्यूज़िक डायरेक्टर बदल चुका था. क्योंकि 'राम-लखन' में लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी म्यूज़िक कर रही थी. और ये फैसला बिना आर.डी. बर्मन से विचार-विमर्श किए और उन्हें बताए लिया गया था. दीपकीर्ति चौधरी की किताब 'बॉली बुक' में बर्मन के एक टीम मेंबर मनोहारी सिंह के हवाले से इस मामले पर थोड़ा प्रकाश डालने की कोशिश की गई है. मनोहारी ने बताया कि पंचम शाम तक 'राम लखन' के लिए गाने कंपोज़ करने में लगे हुए थे लेकिन उन्हें सुबह खबर मिली की उन्हें उस फिल्म से ही निकाल बाहर किया जा चुका है. ये आर.डी. बर्मन के करियर रूपी ताबूत में आखिरी कील साबित हुई. अब ये न पूछना- 'भाऊ ताबूत क्या होता है?'

जोक समझे, तो ठीक. अगर नहीं समझे तो, वी आर नॉट ऑन द सेम पेज. आगे बढ़ते हैं.
बाद में प्यारेलाल जी ने अपने एक इंटरव्यू में बताया कि उनकी दी गई धमकी की वजह से घई ने पंचम को फिल्म से निकाल दिया था. प्यारेलाल जी ने बताया कि सुभाष घई से उन्होंने साफ कह दिया था कि अगर 'राम लखन' का म्यूज़िक उन्हें करने के लिए नहीं मिला, तो आगे कभी घई के साथ काम नहीं करेंगे. ऐसे में घई को पंचम से लेकर 'राम लखन' लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी की झोली में डालनी पड़ी.

सुभाष घई के साथ एक फिल्म इवेंट में लक्ष्मीकांत (बाएं से दूसरे) और प्यारेलाल (बाएं से आखिरी) की जोड़ी के साथ.
वादा किया तो निभाया
सुभाष घई जब ‘कर्मा’बना रहे थे तब उनकी मुलाकात माधुरी दीक्षित नाम की एक लड़की से हुई. माधुरी की हेयरड्रेसर खातून ने घई को माधुरी से मिलवाया था. तब तक माधुरी ‘अबोध’ (1984) और ‘आवारा बाप’ (1985) जैसी फिल्मों में काम कर चुकी थीं. घई ने उनसे मिलते ही कहा कि वो उन्हें बड़े लेवल पर लॉन्च करेंगे. उन्होंने अपनी फिल्म ‘कर्मा’ में उन्हें एक डांस सीक्वेंस के लिए कास्ट कर लिया. लेकिन जब फिल्म बनकर तैयार हुई, माधुरी का डांस नंबर फिल्म की फील के साथ नहीं जा रहा था. इसलिए वो गाना ड्रॉप कर दिया गया. लेकिन घई ने माधुरी को वादा किया कि वो उन्हें अपनी ही फिल्म से लॉन्च करेंगे. ‘कर्मा’ से गाना कटने के बाद माधुरी के करियर में बहुत कुछ हो चुका था. 'तेज़ाब' आ चुकी थी. वो स्टार बन चुकी थीं. लेकिन सुभाष घई पर उसका कोई असर नहीं पड़ा. उन्होंने फिल्म ‘राम लखन’ में माधुरी को अनिल कपूर के अपोज़िट राधा के रोल में कास्ट किया. 'तेज़ाब' के बाद 'राम लखन' की सफलता ने माधुरी को स्टार से सुपरस्टार बना दिया.

'राम लखन' की शूटिंग के दौरान माधुरी दीक्षित के साथ सुभाष घई.
'राम लखन' के हीरो से ज़्यादा पॉपुलर विलन था
'राम लखन' सिर्फ सुभाष घई के ही करियर का हाई पॉइंट नहीं था. इस फिल्म में काम करने वाले बाकी लोगों को भी इसने खूब मक़बूलियत दी. अगर इस फिल्म से एक्टर्स के करियर को हुए फायदे की लिस्ट बनाएं, तो सबसे नीचे जैकी श्रॉफ और टॉप पर गुलशन ग्रोवर का नाम होगा. गुलशन ने इस फिल्म में 'केसरिया विलायती' नाम के विलन का रोल किया था. ये फिल्म उन्हें बड़े मज़ेदार तरीके से मिली थी. एक दिन घई कैज़ुअली गुलशन ग्रोवर से मिले. पूछा कि शूटिंग के लिए कितने बजे जाते हैं. गुलशन ने बताया कि 10 बजे स्टूडियो पहुंचते हैं. घई ने कहा कल सुबह 8 बजे नाश्ते पर आइए. गुलशन ग्रोवर जैसे उभरते कलाकार के लिए ये बड़ी बात थी कि घई ने उन्हें अपने घर बुलाया है. और अगर कोई डायरेक्टर किसी एक्टर को खाने पर बुला रहा है, यानी उसके पास कोई रोल है. गुलशन बढ़िया नहा-धोकर घई के बंग्ले पर पहुंचे. तब सुभाष घई 20वें फ्लोर पर रहते थे. दोनों ने साथ बैठकर नाश्ता वगैरह किया. देश-दुनिया की बातें हुईं लेकिन काम की कोई बात नहीं हुई. फाइनली गुलशन निकलने को तैयार हुए. लेकिन उन्हें हूक लगा हुआ था कि घई कहीं उन्हें बिना किसी रोल के न भेज दें. वो लिफ्ट तक पहुंचे. घई भी बाहर तक छोड़ने आए थे. लिफ्ट तीसरे फ्लोर से 11वें फ्लोर तक आ गई लेकिन घई ने काम के बारे में कुछ नहीं कहा. थक-हारकर गुलशन ने खुद ही पूछ लिया कि उनके लिए कोई रोल है क्या? घई ने कहा नई पिक्चर बना रहे हैं. उसके विलन का रोल है. गुलशन फट से मान गए. पूछा किस टाइप का विलन है. घई ने ब्रीफ में बताया कि वो हर अच्छे आदमी के बारे में बुरा सोचता है और खुद को 'बैडमैन' कहता है.

केसरिया विलायती उर्फ बैडमैन के किरदार में गुलशन ग्रोवर.
गुलशन ग्रोवर भी फुल पावर इस रोल की तैयारी में लग गए. टेलर से कहकर खास तरह का ड्रेस डिज़ाइन करवाया और इस किरदार के लिए फोटोशूट कराने निकल गए. फोटोग्राफर ने कहा कि इस तरह के किरदारों की शूटिंग भी किसी खास लोकेशन पर होनी चाहिए. ऐसे में वो लोग एक्शन डायरेक्टर पप्पू वर्मा के अस्तबल पहुंच गए. वहां फिल्मों के एक्शन के लिए घोड़े थे. वहां फोटोशूट हुआ और घई को दिखाया गया. घई का ध्यान गुलशन से ज़्यादा फोटो के बैकग्राउंड पर गया. उन्होंने लोकेशन का पता लगवाया और अपने भाई को भेजा कि पता करके आएं कि वो लोकेशन फिल्म की शूटिंग के लिए मिलेगी की नहीं. खैर, ये फिल्म रिलीज़ हुई गुलशन ग्रोवर का किरदार 'बैडमैन' क्रेज़ बन गया. गुलशन ने जब अपनी आत्मकथा लिखी, उसका टाइटल रखा 'बैडमैन'. और उसी 'बैडमैन' में इस किरदार के बनने की कहानी बताई, जो हमने आपको सुनाई है.

पहले सुभाष घई इस फिल्म में अनु कुट्टुर को कास्ट करने वाले थे. बाद में उसी किरदार में उन्होंने सोनिका गिल को कास्ट किया. फिल्म की शूटिंग के दौरान माधुरी के साथ सोनिका.
जब सुभाष घई से परेशान होकर हीरोइन ने अपनी कलाई काट ली
सुभाष घई की इस फिल्म में जैकी, डिंपल, अनिल, माधुरी और गुलशन के अलावा सोनिका गिल भी काम कर रही थीं. सोनिका कई बी-ग्रेड फिल्मों में काम कर चुकी थीं. ये उनके करियर की सबसे बड़ी फिल्म होने वाली थी. आइएमडीबी (Internet Movie Database) के मुताबिक सोनिका गिल वैसे शॉट नहीं दे पा रही थीं, जैसी घई को उनसे उम्मीद थी. इसलिए वो लगातार उन्हें डांटते फटकारते रहते. कई बार ये झाड़ पब्लिकली भी पड़ जाती थी. सोनिका इससे बहुत परेशान हो गई थीं. फिल्म की शूटिंग खत्म होने के बाद होने वाली रैप अप पार्टी में घई और सोनिका एक बार फिर से आमने-सामने आ गए. बात बढ़ गई. सोनिका को लगा घई उन्हें जान-बूझकर लोगों के सामने ह्यूमिलिएट कर रहे हैं. वो फ्रस्ट्रेट हो गईं. इसी गुस्से में उन्होंने अपनी कलाई काट ली. आइएमडीबी के मुताबिक ये खबर स्टारडस्ट मैग्ज़ीन ने भी कवर की थी. बाद में जब इस बाबत सोनिका से पूछा गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया. लेकिन जब घई से इस घटना के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कलाई काटने की बात मानी. लेकिन इसके पीछे की वजह उन्होंने सोनिका की पर्सनल दिक्कतों को बताया.
वीडियो देखें: शाहरुख, कार्तिक, नवाज़द्दीन, राजकुमार और अमिताभ बच्चन की स्ट्रगल स्टोरी