'मेजर' जैसी बड़ी फिल्म से हिन्दी सिनेमा में डेब्यू करने वाले 'अदिवी सेष' का 'दी लल्लनटॉप' के साथ एक बहुत मज़ेदार और रोचक इंटरव्यू हुआ. जिसके कुछ अंश आप यहां पढ़ सकते हैं. जिसमें आप जानेंगे, आखिर क्यों 'मेजर' फिल्म को लगभग दो बार शूट करना पड़ा? 'शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन' के रोल के लिए 'अदिवी सेष' ने खुद को कैसे तैयार किया? और 'बाहुबली' के डायरेक्टर 'राजमौली' ने अदिवी सेष से क्या वादा किया था?
'मेजर' फ़ेम 'अदिवी सेष' ने बताया, क्यों उन्होंने 50 फिल्मों के ऑफर ठुकरा दिए?
'बाहुबली' डायरेक्टर ' राजमौली' ने अदिवी सेष में ऐसा क्या देखा, जो उन्हें भल्लालदेव के बेटे का रोल ऑफर कर दिया, जान लीजिए.
सवाल :- फिल्म 'मेजर' में आपको अपने काम के लिए किसी फिल्म स्टार्स से कोई फीडबैक मिला या कोई सराहना मिली कि तुमने बहुत बेहतरीन काम किया?
अदिवी सेष :- 'संदीप सर' ('शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन' जिनके ऊपर 'मेजर' फिल्म बनी है) की मां हैं, जिन्हें मैं अम्मा बोलता हूं. फिल्म रिलीज़ से दो दिन पहले, जब ये बैंगलोर में प्रीमियर हो रही थी. तब वो साड़ी में थीं और उन्होंने कहा, " ये साड़ी आज से 23 साल पहले मैंने IMA (इंडियन मिलिट्री एकेडमी) में 'संदीप' के ग्रेजुएशन सेरेमनी में पहनी थी. अब 23 साल बाद आज पहन रही हूं." और उनकी ये बात मेरे लिए अब तक का बेस्ट कॉम्प्लीमेंट है और वो वक्त मेरे लिए अब तक का बेस्ट मोमेंट था.
सवाल :- इस फिल्म की शूटिंग हिन्दी और तेलुगु दोनों भाषाओं में हो रही थी. हम जानना चाहते हैं कि वो प्रोसेस कैसा होता है?
अदिवी सेष :- लोगों को लगता है कि फिल्म को एक भाषा में शूट कर लिया, बस इतना काफी है. आगे इसे ट्रांसलेट कर लेते हैं. लेकिन ऐसा नहीं होता है. कभी हम कोई बात तेलुगु में बोलते हैं. तो हो सकता है, उस बात के इमोशन्स उन लाइंस के शुरुआत में आ जाए और वही बात हिन्दी में बोलने पर हो सकता है, वो इमोशन्स लाइंस के अंत में आए. इसलिए ऐसे सीन जिनमें हमें इमोशन्स, खुशी या दुःख ऐसी चीजें फिल्मानी थीं. हमने वो सारे शॉट, सीन और क्लोजअप सब दो बार शूट किये. इसमें कई बार ऐसा भी हुआ. जहां मुझे शॉट देना है, पहले मैं तेलुगु में देता था, फिर हिन्दी में. 'प्रकाश सर' के साथ भी ऐसा ही था क्योंकि हम तेलुगु में ज्यादा सहज महसूस करते हैं. लेकिन 'शोभिता' और 'रेवती मैम' वो पहले हिन्दी करते थे, फिर तेलुगु में. और इस तरह हमने फिल्म को लगभग दो बार शूट किया. जहां आपको हर एक शॉट, हर एक सीन हमें पहले के जैसा ही करना था.
सवाल :- मेजर संदीप के रोल के लिए आपने खुद को कैसे तैयार किया? किस तरह की ट्रेनिंग ली और शूटिंग के दौरान कोविड का भी समय था. तो इन सबमें कितना वक्त लग गया ?
अदिवी सेष :- मैं ‘संदीप सर’ का किरदार निभा रहा रहा था. तो मुझे उनके अलग-अलग उम्र को स्क्रीन पर दिखाना था. फिल्म शुरू होने से पहले मेरा वजन 84 किलो था. कभी उनके टीनएज का रोल करना था, तो वजन काम करके 73 किलो किया. जब NSG के दौरान की ज़िंदगी दिखानी थी, तो वापस वजन बढ़ाकर 81 किलो किया. इस तरह बॉडी वेट बहुत फ्लक्चुएट हुआ. फिर बूटकैम्प किये, एक तरह से आर्मी की ट्रेनिंग ली. ‘संदीप सर’ राइट हेंडेड थें और मैं लेफ्ट हेंडेड हूं, तो ये आदत भी बदलनी थी. इंडिया में आर्मी सबसे ऐलीट है और उनमें भी जो ऐलीट हैं, वो NSG (नेशनल सिक्युरिटी गार्ड) में जाते हैं. 'मेजर संदीप' उनको ट्रेनिंग देते थे. तो जब आप उनके रोल को करते हो, वो नैचुरल दिखना चाहिए. जहां तक रिसर्च की बात है, इसके लिए हम उनके सीनियर ऑफिसर से मिलें, उनके दोस्तों से बात की, उनके बचपन के दोस्तों से उनके बारे में समझने की कोशिश की. जिन लोगों को उन्होंने 26/11 के हमलें में बचाया था, उन लोगों से भी मिलें. रिसर्च, ट्रेनिंग और बीच-बीच में कोविड का आना, इन सब लेकर कुल ढाई साल का वक्त लग गया.
सवाल :- हमने ऐसा सुना है कि जब आप आउट्साइडर होते हैं, तब एक दबाव होता है कि आप ज्यादा से ज्यादा काम करें और ज्यादा से ज्यादा जगह पर दिखाई दें. पर आपके बारे में हमें पता चला कि 'क्षणम' फिल्म के बाद आपको पचास रोल मिलें. लेकिन आपने सब मना कर दिए. क्या आपके ऊपर वो प्रेशर नहीं था ?
अदिवी सेष:- 'क्षणम' एक तरह से मेरी शुरुआत थी. मैं उसके बाद कुछ नया करना चाहता था. लेकिन फिर वही रॉम-कॉम और रेगुलर-सी फिल्में मिलने लगी. मैं कुछ ऐसा करना चाहता था, जो थोड़ा अलग हो. इसलिए पिछले 6 सालों में मैंने बस 4 फिल्में ही की. जिस प्रेशर की बात हो रही हैं, प्रोफेशनल होकर देखा जाए तो मैंने लगातार 5 हिट्स दिए. मैं इस वजह से थोड़ा सेफ़ज़ोन में हूँ. पर हां कभी-कभी तो लगता है! पर इसका अंत कहां है? अगर मुझे तेलुगु में बड़ा हीरो बनना है, तो मुझसे बड़े 'महेश सर' हैं. अगर मुझे साउथ इंडिया में बड़ा बनना है, तो मुझसे बड़े 'रजनीकान्त सर' हैं. अगर मुझे इंडिया में सबसे बड़ा बनना है, तो मुझसे बड़े 'आमिर सर' और 'अमिताभ सर' हैं. ये कभी खतम होने वाली बात नहीं है. मैं मानता हूं, हमें बस इतनी कोशिश करनी चाहिए कि हमारा आज हमारे बीते हुए कल से बेहतर हो.
सवाल :- 'बाहुबली' में आपको 'भल्लालदेव' के बेटे का रोल कैसे मिला?
अदिवी सेष :- 'राजमौली सर' ने मुझे पंजाब में देखा था. मैं जो पागलपंती करता था, उन्हें बहुत पसन्द आया. उन्होंने बोला, "ये 15 मिनट का रोल है, जो पागलपन से भरा हुआ है." मैंने उनसे कहा, “सर! बाहुबली में इतने लोग हैं. मैं उनकी भीड़ में कहीं खो ना जाऊं.” उन्होंने मुझे वादा किया ऐसा नहीं होगा. उसके बाद मुझे नॉर्वे से कॉल आने लगे. जापान में मेरा फैन क्लब बन गया. उन्होंने बाहुबली से शुरू किया लेकिन अब वो मेरी हर फिल्म जापान में स्क्रीन करते हैं. मुझे ऐसा लगा कि बाहुबली मेरे लिए एक अच्छी फिल्म रही और वहां से मुझे महसूस हुआ कि अब मैं हीरो बन सकता हूं.
पूरा इंटरव्यू आप 'दी लल्लनटॉप' के यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं. इसे देखने के लिए
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