Adipurush सिनेमाघरों में चल रही है. इस फिल्म से बहुत उम्मीदें थीं. मार्केट को भी और प्रभास को भी. पब्लिक भी वेट कर रही थी. मगर पिक्चर रिलीज़ हुई और हालत बड़ी खराब लग रही है. वर्ड ऑफ माउथ तो इतना बुरा है कि क्या ही बताया जाए. मगर किन वजहों से फिल्म को बुरा बताया जा रहा है! आप नीचे पढ़ेंगे वो 4 वजहें हैं, जिनकी वजह से लोग ये फिल्म नहीं देखना चाहते.
'आदिपुरुष' न देखने की 4 वजहें
इसमें से एक वजह तो खुद प्रभास हैं.
1) खराब लेखन
'आदिपुरुष' को लेकर अब तक जितनी भी बातें हुईं, वो सब फिल्म के विज़ुअल्स से जुड़ी थीं. सब दिखावट की बात कर रहे थे. फिल्म देखने के बाद लोग इसकी लिखावट को भी कोस रहे हैं. इस फिल्म को ओम राउत ने लिखा और डायरेक्ट किया है. इसके डायलॉग्स लिखे हैं मनोज मुंतशिर शुक्ला ने. फिल्म के डायलॉग्स इतने बुरे हैं कि आपको ये लगेगा ही नहीं कि आप रामायण की री-टेलिंग देखने आए हैं. लंका दहन से जुड़े डायलॉग्स तो आपने सोशल मीडिया पर पढ़ लिए होंगे. आपको हम कुछ नया सुनाते हैं. एक सीन में रावण के बेटे इंद्रजीत राम/राघव को धमकाते हुए कहते हैं-
"मेरे एक सपोले ने तुम्हारे शेषनाग को लंबा कर दिया, अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा हैं."
एक और सुनिए ना. जब जानकी को राम की अंगूठी देने हनुमान लंका की अशोक वाटिका जाते हैं, तो धाकड़ासुर नाम का विलन कहता है-
"ये तेरी बुआ का बगीचा है क्या, जो हवा खाने चला आया"
पिक्चर देखने जाएंगे, तो ऐसी कई लाइनें सुनने को मिलेंगी. बाकी आपको पता है, क्या करना है.
2) 700 करोड़ में बनी फिल्म, जिसका VFX देख आप सिट पीट लेंगे
'आदिपुरुष' अपने VFX को लेकर टीज़र के दिनों से जनता के निशाने पर रही है. ट्रेलर आया, तो मेकर्स ने कहा कि सुधरा हुआ VFX है. मगर पिक्चर देखने के बाद पता चला कि कुछ सुधार नहीं हुआ है. कुछ ठीक नहीं किया गया है. न वानर असली लग रहे हैं. न रावण. ऊपर से मार्वल से लेकर GoT समेत दुनियाभर के सीन्स की नकल अलग है. ये चीज़ आपका फिल्म देखने का एक्सपीरियंस खराब करती है. तिस पर कोई इस फिल्म का बजट बता दे, तो गज़ब की BT हो जा रही है.
3) प्रभास की 'बाहुबली' परफॉरमेंस
'आदिपुरुष' को प्रभास की फिल्म बताकर प्रमोट किया जा गया. मगर इस फिल्म के वो सबसे कमज़ोर परफॉर्मर हैं. प्रभास को देखकर आपको समझ ही नहीं आएगा कि 'बाहुबली' देख रहे हैं या 'आदिपुरुष'. जब आपको लीड एक्टर, जो कि राम का रोल कर रहा है, वही इतना निराश कर दे, तो बाकियों से क्या ही उम्मीद रखी जाए. सैफ अली खान ने रावण के किरदार पर मजबूत काम किया है. मगर फिल्म में उनसे ऐसी हरकतें करवाई गई हैं, ऐसे टपोरी डायलॉग्स बुलवाए गए हैं कि वो कैरक्टर भी गया-बीता हो जाता है. बाकी किसी एक्टर को परफॉर्मेंस का स्कोप ही नहीं दिया गया.
4) फिल्म के अंधेरे एक्शन सीक्वेंस
'आदिपुरुष' एक ऐसी कहानी पर बेस्ड फिल्म है, जिसमें कई सारे एक्शन सीक्वेंस हैं. मगर फिल्म में किसी एक्शन सीक्वेंस को देखकर वो थ्रिल महसूस नहीं होता, जो रामानंद सागर की रामायण में हुआ करता था. सुग्रीव और बाली के बीच मल्लयुद्ध को तो जल्दी-जल्दी में निपटा दिया गया है. दो वानरों को लड़ाने में फिल्म की कलई खुल जाती है. राम और रावण की सेनाओं के बीच जो युद्ध होता है, वो भी बड़ा बिखरा-बिखरा सा लगता है. क्लाइमैक्स में जो सीक्वेंस है, उसमें रौशनी ही नहीं है. सब अंधेरा-अंधेरा लगता है. ऐसा लगता है कि आप बैटमैन देख रहे हैं. कभी-कभी ऐसा लगता है कि शायद मेकर्स फिल्म की कमियों को इस अंधेरे में ही छुपाने की कोशिश कर रहे हैं.
वीडियो: आदिपुरुष के किस डायलॉग पर इतना बवाल हुआ कि मेकर्स को वो हिस्सा हटाना पड़ा