मोहम्मद अज़ीज़ (2 जुलाई, 1954- 27 नवंबर, 2018). करीब 20 हज़ार से ज्यादा गीत गाने वाले अज़ीज़ की आवाज़ हमारे नॉस्टेलजिया का तो बहुत प्रमुख हिस्सा है और जब वे गए तो हमें बहुत याद आए. हम यानी वो करोड़ों लोग जो 80 और 90 के दौर में या तो बच्चे थे और तब की फिल्मों की जादुई कहानियों के वशीभूत थे. हम यानी वो लाखों युवक-युवतियां जो जवान थे, अपनी-अपनी प्रेम कहानियों में उलझे थे या शादी के बाद रति क्रियाओं में. उन्हें अज़ीज़ के गानों में अपनी अभिव्यक्तियां और सहारे मिले. अज़ीज़ के ज्यादातर गाने प्रेमियों के लिए थे. इस हम में एक टुकड़ा उन लोगों का भी है जो जीवन के संघर्ष के मारे थे और उनकी निराशा को प्रतिबिंबित किया उनकी आवाज़ में 'दुनिया में कितना ग़म है..' जैसे कुछ गीतों ने. न सिर्फ प्रतिबिंबित किया बल्कि धर्म से इतर जिंदगी की एक फिलॉसफी भी दी जो राहत भरी थी. हम लोगों के ये नॉस्टेलजिया ही वो संदर्भ बिंदु है जिस वजह से उनके गानों को सुनकर हम आज भी बार-बार आनंदित होते ही जाते हैं, और इस जन्म भर तो होते ही रहेंगे.
मोहम्मद अज़ीज़ के ये 38 गाने सुनकर हमने अपनी कैसेटें घिस दी थीं
इनके जबरदस्त गानों से कितने ही फिल्म स्टार्स के वारे-न्यारे हुए.

मोहम्मद अज़ीज़ साहब जब गुजरे तो हमने पाठकों से अनुरोध किया था कि उनके गाए अपने फेवरेट गाने वो शेयर करें. कमेंट्स में लोगों ने जिस गाने के बारे में सबसे ज्यादा लिखा वो था नगीना फिल्म का ये गीत - 'आज कल याद कुछ, और रहता नहीं.'(फोटो आभारः बॉलीवुड क्लासिक्स)
अफसोस है कि नई पीढ़ी शायद ये रेफरेंस न महसूस कर पाए. मगर ये वो गीत हैं जिन्हें बजा-बजाकर लोगों की कैसेटें घिस गईं. दिन भर टैंपो और टैक्सी चलाने वालों की थकान उतारने वाले, ट्रक वालों की रात-रात भर लंबी यात्राओं के साथी, डेक-स्टीरियो वगैरह पर छनकदार ढंग से बजकर मुहल्लों-गलियों में गूंजने वाले और करोड़ों लोगों की ज़बान पर बने रहने वाले ये मोहम्मद अज़ीज़ साहब के ही गाने थे. ऐसे ही 38 गाने पाठकों के फीडबैक और अपनी रुचि से यहां शेयर कर रहा हूं. ये सिर्फ एक सूची है, आप सभी की अपनी-अपनी सूचियां होंगी. हों, तो जरूर साझा करें.
तो, शुरू करते हैं.#1. बहुत जताते हो चाह हमसे
– आदमी खिलौना है (1993)#2. ख़त लिखना है पर कैसे लिखूं..
- खेल (1992)#3. दिल दिया है जां भी देंगे
- कर्मा (1986)#4. मय से मीना से ना साकी से
- ख़ुदग़र्ज़ (1987)#5. प्यार हमारा अमर रहेगा
- मुदद्त (1986)#6. दर्द-ए-दिल, जीने का मरने का, मज़ा देगा
- अपराधी (1992)#7. सारे शिकवे गिले भुला के कहो
- आज़ाद देश के गुलाम (1990)#8. दुनिया में कितना ग़म है
– अमृत (1986)#9. तू मुझे कुबूल
- ख़ुदा गवाह (1992)#10. तुम्हे दिल से कैसे जुदा हम करेंगे
- दूध का कर्ज़ (1990)#11. आज कल याद कुछ और रहता नहीं.
– नगीना (1986)#12. तेरी निगाह पे सब कुछ लुटाने आए हैं
- यतीम (1998)#13. ऐ मेरे दोस्त लौट के आजा, बिन तेरे जिंदगी अधूरी है
– स्वर्ग (1990)#14. माई नेम इज़ लखन
– राम लखन (1989)#15. कागज़ कलम दवात ला, लिख दूं दिल तेरे नाम करूं
- हम (1991)#16. बुलबुल ने भी यूं गुल को
- आदमी खिलौना है (1993)#17. कुछ देर पहले कुछ भी न था, कुछ देर में ही ग़ज़ब हो गया
- प्यार का देवता (1991)#18. एक अंधेरा लाख सितारे
- आखिर क्यों (1985)#19. मैंने दिल का हुकम सुन लिया
- बरसात की रात (1998)#20. आदमी जिंदगी और ये आत्मा
- विश्वात्मा (1992)#21. पतझड़ सावन बसंत बहार
- सिंदूर (1987)#22. ओ साथी आजा
- हम भी इंसान हैं (1989)#23. फूल गुलाब का
- बीवी हो तो ऐसी (1988)#24. इश्के दी डोर ना टूटे
- परबत के उस पार (1988)#25. तुझे रब ने बनाया किस लिए
- याद रखेगी दुनिया (1992)#26. कोई वादा कोई इकरार ना किया
- पाप का अंत (1989)#27. मैं हूं वो हीरो
- राम लखन (1989)#28. तुमसे बना मेरा जीवन
- खतरों के खिलाड़ी (1988)#29. कहां आ गए हम
- कब तक चुप रहूंगी (1988)#30. मेरे सामने तू दिन रात रहे
- बीस साल बाद (1988)#31. मिल गए दिल, अब तो खुल के मिल जरा
- अग्नि (1988)#32. ऐ यार मेरी जिंदगी से मिलो
- मझधार (1996)#33. कितने दिनाें के बाद है आई सजना रात मिलन की
- आई मिलन की रात (1991)#34. मोहब्बत ज़िंदाबाद
- प्रेम दीवाने (1992)#35. बाली उमर ने मेरा, हाल वो किया
- आवारगी (1990)#36. तू कहां है, मेरी बर्बाद मोहब्बत पुकारे
- लुटेरे (1993)#37. चांद गगन से, फूल चमन से..
- चरणों की सौगंध (1988)#38. जीवन एक संघर्ष है
- जीवन एक संघर्ष है (1990)वीडियो देखें: क़िस्सागोई: उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने ट्रेन में बच्चे से नया राग सीख लिया!