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मानस क्रांति का बिगुल फूंकने वाली साल की 13 बेहतरीन फ़िल्में/सीरीज़, कुछ का तो नाम भी नहीं सुना होगा

लिस्ट में अमिताभ बच्चन, आलिया भट्ट, शेफाली शाह, साई पल्लवी की फ़िल्में शामिल.

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ये फ़िल्मी क्रांति है

हालिया दौर में भारतीय सिनेमा आदर्श से यथार्थ की ओर शिफ्ट हुआ है. हालांकि लार्जर दैन लाइफ कॉन्टेन्ट को भी पसंद किया गया. पर कुछ ऐसी फ़िल्में और सीरीज़ रहीं, जिन्होंने समाज को बदलने का बीड़ा उठाया. हालांकि सिनेमा अचानक से समाज में कोई क्रांति नहीं ला सकता, पर एक बहुत छोटा हिस्सा भी यदि सिनेमा देखकर प्रभावित होता है तो ये कला के तौर पर सिनेमा की जीत है. इस साल ऐसा बहुत कॉन्टेन्ट आया, जो समाज और महिला सशक्तिकरण पर बात करता है. हमने अपनी समझ के अनुसार एक लिस्ट बनाई है. ज़रा नज़र दौड़ा देते हैं.

1) सास बहू अचार प्राइवेट लिमिटेड (हिंदी)

डायरेक्टर:  अपूर्व सिंह कार्की

कास्ट: अमृता सुभाष, यामिनी दास, आनंदेश्वर द्विवेदी

ज़ी5 की वेब सीरीज़ ‘सास बहू अचार प्राइवेट लिमिटेड’ सुमन की कहानी है. वो अपने पति दिलीप से अलग हो चुकी है. बच्चे पिता के पास रहते हैं. उसे बच्चों को अपने साथ रखना है. पैसे की कमी है. घर चलाने के अलावा सुमन ने कुछ किया नहीं. उसे तो यही सिखाया गया कि शादी करो, गाड़ी आएगी, उसमें बिठाकर तुम्हें जो ले जाएगा वो सब संभाल लेगा. पर संभालने वाला तो अब है ही नहीं. पैसे के लिए वो शुरू करती है अचार का बिजनेस और उसमें सफल भी होती है. 'सास बहू आचार प्राइवेट लिमिटेड' एक महिला की इच्छाशक्ति और ज़ीरो से हीरो बनने की कहानी है. इसमें अमृता राव ने सुमन का किरदार निभाया है. उनके साथ यामिनी दास और आनंदेश्वर द्विवेदी अहम भूमिकाओं में हैं. 

खास बात: समाज से ठुकराई गई, परिधि पर फेंक दीं गई महिलाएं जब खड़ी होती हैं, तो यही समाज उनके सामने नतमस्तक होता है. यही लब्बोलुआब है ‘सास बहू अचार प्राइवेट लिमिटेड’ का.

कहां देखें: ज़ी5

2) जलसा (हिंदी)

डायरेक्टर: सुरेश त्रिवेणी

कास्ट: विद्या बालन, शेफाली शाह

प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रही फ़िल्म 'जलसा' दो स्त्रियों की कहानी है. विद्या बालन यानी माया जर्नलिस्ट है और अपने टर्म्स पर काम करती है. दूसरी तरफ उसकी एक मेड है रुखसाना. जिसका रोल शेफाली शाह ने निभाया है. रुखसाना अपने काम को छोटा नहीं मानती, एक सेल्फ रिस्पेक्टिंग औरत है. फिल्म के शुरुआत में हुए एक्सीडेंट से दोनों औरतों की लाइफ पर क्या असर पड़ता है, यही फिल्म की मोटा-माटी कहानी है. 

खास बात: 'जलसा' महिलाओं को कमजोर नहीं दिखाती, बल्कि उनके मजबूत व्यक्तित्व को उजागर करती है. समाज से दया की भीख मांगती महिलाएं नहीं, अपने हक़ की स्वतंत्रता जानने, समझने और उसे पा लेने वाली स्त्रियां. चाहे वो पढ़ी-लिखी जर्नलिस्ट माया का किरदार हो या उसकी मेड रुखसाना का किरदार. दोनों किरदार वुमेन एम्पावरमेंट की बानगी हैं.

कहां देखें: प्राइम वीडियो

3) कोबाल्ट ब्लू (हिंदी)

डायरेक्टर:  सचिन कुंडलकर

कास्ट: प्रतीक बब्बर, निलय मेहंदले

नेटफ्लिक्स पर आई 'कोबाल्ट ब्लू' कोच्चि में रहने वाले एक मराठी परिवार की कहानी है. इस परिवार में एक पेइंग गेस्ट रहने आता है. इस एक शख्स से भाई-बहन, तनय और अनुजा दोनों को प्रेम हो जाता है. ये कहानी 1996 में घटती है, जब भारत में गे या लेस्बियन होना क्राइम माना जाता था. हालांकि अब भी समाज के स्तर पर हम इतने सहज नहीं हुए हैं कि समलैंगिग संबंधों को सहजता से स्वीकार सकें. ये फ़िल्म सेम सेक्स लव और उससे उपजे दुख की कहानी है. सचिन कुंडलकर के डायरेक्शन बनी फ़िल्म में प्रतीक बब्बर और निलय मेहंदले लीड रोल्स में हैं.

खास बात : फ़िल्म दिखाती है कि गे होना किसी व्यक्ति की पहचान नहीं हो सकता, ये सिर्फ़ उसकी शारीरिक बनावट का एक हिस्सा भर है. जितना पुरुष को महिला से प्रेम करने का अधिकार है, उतना ही पुरुष को पुरुष से भी प्रेम करने का अधिकार है. 

कहां देखें: नेटफ्लिक्स

4) डार्लिंग्स(हिंदी)

डायरेक्टर: जसमीत के. रीन

कास्ट: आलिया भट्ट, शेफाली शाह, विजय वर्मा

जसमीत के. रीन के डायरेक्शन में बनी नेटफ्लिक्स की फ़िल्म 'डार्लिंग्स', कहानी है बदरू की. उसका पति हमज़ा पीता है और उसे पीटता है. भयंकर क्रूरता से पीटता है. रात को पीटता है. सुबह मनाता है और मार खाई पत्नी पिघल जाती है. पति फिर पीटता है. पत्नी पिटती है और पति की सेवा करती है. अचानक कुछ ऐसा होता है कि बाज़ी पलटती है. चॉल में साथ रहने वाले ज़ुल्फ़ी और अपनी मां के साथ बदरू कुछ प्लान बनाती है. उस प्लान को अंज़ाम देती है या नहीं, या प्लान बदल जाता है? यही कहानी है. आलिया भट्ट, शेफाली शाह और विजय वर्मा ने इसमें मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं.

खास बात: फ़िल्म की सबसे अच्छी बात है कि ये महिलाओं को पीड़ित दिखाने के लिए पूरी पुरुष जाति को विलेन की तरह पेश नहीं करती. सिर्फ़ उन्हें विलेन बनाती हैं, जो विलेन हैं. माने ये पितृसत्ता के खिलाफ़ आवाज़ बुलंद करती है, पर पुरुषों को शैतान की तरह ट्रीट नहीं करती.

कहां देखें: नेटफ्लिक्स

5) गार्गी(तमिल)

डायरेक्टर: गौतम रामचंद्रन

कास्ट: साई पल्लवी

सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रही साई पल्लवी की फ़िल्म 'गार्गी' पहली नज़र में आपको एक बेटी की कहानी लगेगी, जो रेप के आरोपी अपने पिता को बचाने की कोशिश में है. पर ये एक ऐसी लड़की की कहानी है, जो सच्चाई के साथ खड़ी है. जिसके लिए पिता से बढ़कर मानवीय संवेदनाएं हैं. ये एक मज़बूत महिला किरदार की कहानी है. इस कहानी की कई परते हैं. जब गैंगरेप मामले की देखरेख कर रहे ट्रांस जज के लिए पब्लिक प्रोसिक्यूटर कहता है कि ये एक ‘सामान्य व्यक्ति’ होता तो मामला बंद हो जाता. जज का जवाब इस पूरी फ़िल्म का मूड और टोन है, "एक पुरुष के अहंकार और एक महिला के दर्द को जानती हूं." 

खास बात: 'गार्गी' महिला के मजबूत मन और खोखले समाज की कहानी है.

कहां देखें: सोनी लिव

6) गंगूबाई काठियावाड़ी (हिंदी)

डायरेक्टर: संजय लीला भंसाली

कास्ट: आलिया भट्ट, अजय देवगन, विजय राज

'गंगूबाई काठियावाड़ी' माफिया क्वीन के नाम से जानी जाने वाली गंगूबाई काठियावाड़ी की असल कहानी पर बेस्ड है. ये फ़िल्म एक महिला के लाइफ लॉन्ग स्ट्रगल की कहानी है. कैसे गुजरात के एक गांव की लड़की मुंबई की बदनाम गली कमाठीपुरा आ जाती है. वो सेक्स वर्कर्स और उनके बच्चों के अधिकार के लिए लड़ती है. संजय लीला भंसाली के डायरेक्शन में बनी फ़िल्म में आलिया भट्ट लीड रोल में हैं. उनके अलावा सीमा पाहवा, अजय देवगन और विजय राज भी अहम भूमिकाओं में हैं. 

खास बात: ये असल मायनों में वीमेन एम्पावरमेंट की कहानी है. कमाठीपुरा की गलियों से निकलकर एक सेक्स वर्कर अपनी साथियों के हक़ के लिए प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु तक पहुंच जाती है.

कहां देखें: नेटफ्लिक्स

7) झुंड (हिंदी)

डायरेक्टर: नागराज मंजुले

कास्ट: अमिताभ बच्चन

'झुंड' की कहानी के केंद्र में है नागपुर शहर की एक झोपड़पट्टी. यहां रहने वाले कुछ युवाओं को फुटबॉल खेलना पसंद है. लेकिन उनका जीवन, उन्हें इसकी परमीशन नहीं देता. इसलिए वो प्लास्टिक के डिब्बे को ही फुटबॉल समझकर खेलते रहते हैं. उनका ये खेल प्रोफ़ेसर विजय बोराडे की निगाहों से गुज़रता है. प्रोफ़ेसर साहब प्रतिभा को पहचानते हैं. वो इन बच्चों में खेल के लिए जुनून पैदा करने के मिशन पर चल पड़ते हैं. बेसिकली ये नागराज मंजुले की फ़िल्म झुंड को टीम बनाने की कहानी है. इसमें अमिताभ बच्चन लीड रोल में हैं. 

खास बात: कोई ख्वाब देखना अलग बात है लेकिन उसे हकीक़त में बदलने के लिए ज़रूरी इच्छाशक्ति जुटा पाना ही ‘झुंड’ का असली मकसद है.

कहां देखें: ज़ी5 

8) मट्टो की साइकिल (हिंदी)

डायरेक्टर: एम. गनी

कास्ट: प्रकाश राज

एम. गनी के निर्देशन में बनी फ़िल्म 'मट्टो की साइकिल' एक दिहाड़ी मजदूर के भीतर धंसी ग़रीबी, बाहरी तौर से दिख रहे समाज में धंसे एक और समाज की कहानी है. संवादों से ज़्यादा दृश्यों में बात करने वाली ये फ़िल्म, एक ग़रीब परिवार के जीवन निबाहने की कला को ज्यों का त्यों हमारे सामने धर पटकती है. ये सिर्फ़ मट्टो की साइकिल की कहानी नहीं. बल्कि उसके सहारे कई सामाजिक समस्याओं को उजागर करने की दास्तान है. 

खास बात: ये फ़िल्म इंडिया और भारत के बीच एक सबटेक्स्ट की लंबी गाढ़ी लाइन खींचती है. ये एक कमजोर-गरीब तबके की मज़बूत फ़िल्म है. 

कहां देखें: प्राइम वीडियो

9) अम्मू (तेलुगु)

डायरेक्टर: चारुकेश सेकर

कास्ट:  ऐश्वर्या लक्ष्मी, नवीन चंद्रा

अम्मू ने सोचा था कि शादी एक परियों की कहानी है - प्यार और जादू से भरी हुई. लेकिन, यह सब तब बदल गया जब उसके पुलिस-पति रवि ने उसे पहली बार मारा. अम्मू ने जिसे सोचा था कि यह एक बार होने वाली घटना थी, वह कभी न खत्म होने वाले भंवर में बदल गई. कुछ समय बाद अम्मू को एहसास होता है कि अब पेबैक का टाइम है. फिर वो अपने पति को पुलिस ड्यूटी से सस्पेंड करवाने के लिए तमाम क़दम उठाती है. तेलुगु फ़िल्म 'अम्मू' को डायरेक्ट किया है चारुकेश सेकर ने और इसमें मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं, ऐश्वर्या लक्ष्मी और नवीन चंद्रा ने.

खास बात: ये फ़िल्म घरेलू हिंसा से तंग आकर एक महिला के अपने हक़ के लिए लड़ने की दास्तान है.  

कहां देखें: प्राइम वीडियो

10) मॉडर्न लव मुंबई(हिंदी)

डायरेक्टर: विशाल भारद्वाज, हंसल मेहता, शोनाली बोस, अलंकृता श्रीवास्तव, ध्रुव सहगल, नूपुर अस्थाना

कास्ट: सारिका, फातिमा सना शेख, मसाबा गुप्ता, प्रतीक गांधी

'मॉडर्न लव मुंबई' की कहानियां न्यूयॉर्क टाइम्स में छपे 'मॉडर्न लव' कॉलम के पर्सनल एस्सेज़ से प्रेरित हैं. सीरीज़, मुंबई के अलग-अलग पहलू, रंग और मूड को प्रेम के धागे में पिरोती है. 'रातरानी', 'बाई' और 'माय ब्यूटीफुल रिंकल्स' समेत अलग-अलग कहानियां महिला, गे, पुरुष के प्रेम और स्वतंत्रता की कहानियां हैं. इसे विशाल भारद्वाज, हंसल मेहता और शोनाली बोस सरीखे डायरेक्टर्स ने बनाया है. इनमें काम किया है सारिका, फातिमा सना शेख, मसाबा गुप्ता और प्रतीक गांधी जैसे समर्थ ऐक्टर्स ने.

खास बात: छह भागों की सीरीज प्रेम के कॉम्प्लेक्स और सुंदर रूपकों का पोट्रेयल है. 'लव दैट नोज़ नो जेन्डर, एज, रेस एण्ड बाउन्ड्री.' सीरीज़ इसी लाइन को जस्टीफ़ाई करने में खुद को खर्च करती है.

कहां देखें: प्राइम वीडियो

11) अनेल मेले पनी तुली (तमिल)

डायरेक्टर: आर. कैसर आनंद

कास्ट: एन्ड्रिया जेरीमिया

'अनेल मेले पनी तुली' एक रेप सर्वाइवर की बोल्ड और इंटेन्स कहानी है. स्त्री को अपनी जागीर समझने वाले पुरुषों और उनके खिलाफ अपने अतीत से जूझकर एक रेप सर्वाइवर के लड़ने का संजीदा फिक्शनल दस्तावेज है. सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रही इस तमिल फ़िल्म को डायरेक्ट किया है आर. कैसर आनंद ने. इसमें लीड रोल में हैं एन्ड्रिया जेरीमिया.

खास बात: कैसे समाज और सिस्टम एक रेप सर्वाइवर को सम्मान देने में असफल रहता है और वो अपनी लड़ाई खुद लड़ती है. 

कहां देखें: सोनी लिव

12) जन गण मन (मलयालम)

डायरेक्टर: डिजो जोस एन्टोनी

कास्ट: पृथ्वीराज सुकुमारन, सूरज

हर साल एक मलयालम फ़िल्म आती है. जो समाज को झकझोर देती है. ऐसी ही इस साल एक फ़िल्म आई 'जन गण मन'. ये फ़िल्म निजी दुश्मनी के जरिए एक बड़ी सामाजिक, नैतिक और कानूनी समस्या पर प्रहार करती है. डिजो जोस एन्टोनी ने इसे डायरेक्ट किया है. पृथ्वीराज सुकुमारन और  Suraj Venjaramoodu मुख्य भूमिकाओं में हैं.

खास बात: सच हमेशा मीडिया नहीं दिखाता और मीडिया हमेशा सच नहीं दिखाता. इस फ़ैक्ट का इस फिल्म से बेहतर कोई एक्जाम्पल नहीं हो सकता.

कहां देखें: नेटफ्लिक्स

13) विटनेस (तमिल)

डायरेक्टर: दीपक

कास्ट: रोहिणी, श्रद्धा श्रीनाथ

सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रही तेलुगु फ़िल्म 'विटनेस' एक साहसी मूवी है. ये हाथ से मैला ढोने वाली प्रथा और इस सामाजिक समस्या से डील करती है. उस व्यक्ति से सवाल करती है जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दे रहे हैं. फ़िल्म के डायरेक्टर दीपक सामाजिक समस्या को ऐड्रेस करते हुए इसके महिला किरदारों के जरिए एक बेहतरीन सोशल कमेंट्री करने में सफल रहे हैं. इसमें रोहिणी और श्रद्धा श्रीनाथ मुख्य भूमिकाओं में हैं.

खास बात: बेहतरीन सोशल कमेंट्री वाली फ़िल्म.

कहां देखें: सोनी लिव

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