ऐसे ही सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश में एक फिल्म बनाई गई है. ‘200 हल्ला हो’ के टाइटल से. फिल्म ज़ी5 पर स्ट्रीम हुई है. एक असाधारण घटना को स्क्रीन पर कैसे उतारा गया है, यही जानने के लिए हमने भी ये फिल्म देखी. फिल्म में क्या अच्छा लगा और क्या नहीं, आइए जानते हैं. # 200 Halla Ho की कहानी क्या है? गैस स्टोव पर प्रेशर कुकर चढ़ा हुआ है. फिल्म का सबसे पहला शॉट. जैसे गृहस्थ औरतों को दिखाने का प्रतीक बन गया हो. टाइटल रोल होते हैं और कट-टू-कट शॉट्स चलते हैं. सिलाई मशीन के बगल में पड़ी कैंची उठाने का. बच्चे के ज्योमेट्री बॉक्स से कम्पास निकालने का. रसोई में लगभग सभी सेम लगने वाले डिब्बों में से किसी एक से मिर्ची पाउडर निकालने का. तेज़ सीटी के साथ ध्यान भंग करता हुआ प्रेशर कुकर बज उठता है. औरतों की भीड़ अपने-अपने घरों से निकलती दिखती है. कोर्ट पहुंचती हैं.

शोषित और शोषक की कहानी बताती है फिल्म.
बल्ली एक दलित बस्ती का रहने वाला था. जात-पात वाला मामला बनने से पहले ही प्रशासन इसे दबाना चाहता है. पूरी फिल्म एक रियल घटना पर बेस्ड है. इसलिए हम टर्न ऑफ इवेंट्स से पहले ही परिचित रहते हैं. बावजूद इसके, फिल्म एक न्यूज़पेपर आर्टिकल बनकर नहीं रह जाती. हर कहानी को दूसरी से अलग उसका नज़रिया ही करता है. वरना तो दुनिया में हर दूसरी कहानी लगभग सेम है. फिल्म के पास वो नज़रिया है, पर्स्पेक्टिव है. इस बात के लिए ‘200 हल्ला हो’ की तारीफ होनी चाहिए.