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आज़ादी की खुशबू में रचे-बसे 18 मानीखेज़ गाने, जो आपकी रूह को आज़ाद कर देंगे

आपने इन गानों को कई बार सुना होगा. अब एक नए नज़रिए से सुनिए.

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कटरीना कैफ, वहीदा रहमान, राजकुमार राव और अमित साद.

इस साल देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इन 75 सालों में आज़ादी के मायने कई रूप में बदले हैं. हर शख्स के लिए आज़ादी की अपनी अलग परिभाषा है. आप और हमारी जैसी नई जनरेशन के लिए आज़ादी का मतलब ये भी है कि हम अपने भीतर की नकारात्मकता से आज़ाद हों. अपने गुस्से से आज़ाद हों. बीते बुरे पलों से आज़ाद होकर ज़िंदगी को नए ढंग से जीना सीखें. ये कहना गलत नहीं होगा कि हमारे लिए ये आज़ादी 2.0 जैसी है. जिसमें हम अपने भीतर छिपे दुश्मनों से लड़ रहे हैं. अपने सपनों को साकार करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं.

भारतीय सिनेमा ने इस बात का हमेशा ध्यान रखा है कि अपने नैरेटिव में सिर्फ जंग के मैदान में लड़ रहे जवान को ही ना शामिल किया जाए, बल्कि उन दोस्तों के ग्रुप को भी शामिल करे जो बेपरवाह और मस्ती के साथ अपनी ज़िंदगी जीते हुए स्वाधीन देश की हवा में खुली सांस लेते हैं. उन टोलियों को भी शामिल किया है जो बेखौफ होकर कहते हैं 'सुलझा लेंगे उलझे रिश्तों का मांझा'. आज हम आपको आज़ादी के उसी एहसास से जुड़े गीतों के बारे में बताने जा रहे हैं. जिन्हें आपने कई बार सुना होगा. मगर इस बार उसे ज़रा और गौर से सुनिएगा. ये गानें आपको ज़िंदगी जीने का सबक सिखाएंगे. आपको आज़ादी के नए मतलब समझाएंगे.

# गाना - पंछी बनूं, उड़ती फिरूं मस्त गगन में 
फिल्म - चोरी-चोरी (1956) 
लिरिक्स - हसरत जयपुरी
आवाज़ - लता मंगेशकर

दिल ये चाहे बहारों से खेलूं,
गोरी नदिया की धारों से खेलूं,
चांद सूरज सितारों से खेलूं
अपनी बाहों में आकाश ले लूं…

नायिका ये कहना चाहती है कि दुनिया के लफड़ो से अब दूर हूं मैं. मेरी उड़ान को रोकने वाला कोई नहीं. सालों पहले लिखा गया ये गाना हर महिला के लिए अलग नेरेटिव सेट करता है. ये बताता है कि आज की महिला किसी भी काम को करने के लिए कमज़ोर नहीं है. वो आज़ाद है, खुलकर जीने के लिए. खुलकर सपने देखने के लिए और उन सपनों को पूरा करने के लिए.

# सॉन्ग - कांटों से खींच के ये आंचल
फिल्म - गाइड (1965) 
लिरिक्स - शैलेन्द
आवाज़ - लता मंगेशकर

कल के अंधेरों से निकल के,
देखा है आंखे मलते-मलते,
फूल ही फूल ज़िंदगी बहार है,
तय कर लिया...आज फिर जीने की तमन्ना है...

ये गाना इस बात की गवाही देता है कि महिलाओं ने अपने पैरों में पड़ी बेड़ियों को निकाल फेंका है. ज़िंदगी जीने का जो सलीका, जो तरीका उन्हें सही लगता है, अब वो ठीक उसी तरह रहेंगी. ना किसी के दबाव में रहेंगी ना ही किसी से डरेंगी. 

# सॉन्ग - ज़िंदगी का सफर
फिल्म - सफर (1970) 
लिरिक्स - इंदीवर 
आवाज़  - किशोर कुमार

ज़िंदगी को बहुत प्यार हमने दिया, 
मौत से भी मोहब्बत निभाएंगे हम...

इंदीवर के खूबसूरत नग्मों में एक ये कालजयी गीत भी शामिल है. कभी-कभी अपने अंदर की सच्चाई को स्वीकार करना ज़रूरी हो जाता है. ये गाना बताता है कि ज़माना अंग्रेज़ों की ही तरह ज़ालिम है. मगर इसके आगे सिर झुकाकर नहीं, हंसते-मुस्कुराते हुए जीना सीखना है.

# सॉन्ग- ज़िंदगी के सफर में 
फिल्म - आपकी कसम (1974) 
लिरिक्स - आनंद बक्शी
आवाज़  - किशोर कुमार

कुछ लोग जो यूं ही बिछड़ जाते हैं,
वो हज़ारों के आने से मिलते नहीं,
उम्र भर चाहे कोई पुकारा करे उनका नाम,
वो फिर नहीं आते...

शायद इस लाइन के बाद ये बताने की ज़रूरत नहीं कि यहां किस चीज़ की चर्चा है. ये गाना बताता है कि एक दिन सब यहीं छूट जाना है. इसलिए खुले मन से जी लीजिए. ये गाना बताता है कि वक्त कभी रुकता नहीं. इसलिए हर लम्हें के साथ खुद को खोजना ज़रूरी है.

# सॉन्ग - ऐ ज़िंदगी गले लगा ले
फिल्म - सदमा (1983) 
लिरिक्स - गुलज़ार
आवाज़ - सुरेश वाडकर

हमने भी, तेरे हर इक गम को 
गले से लगाया है, है ना
ऐ ज़िंदगी, गले लगा ले

‘सदमा’ फिल्म का ये गीत ज़िंदगी से रूबरू करवाता है. इस फिल्म की जितनी तारीफ की जााए उतनी कम है और इस गाने की भी. ये सिखाता है कि लाइफ के हर पल का जश्न मनाते चलो. इसलिए जो जैसे मिलता चले उसे वैसे ही निभाते चलो.

# सॉन्ग - मैं अलबेली, घूमूं अकेली
फिल्म - ज़ुबैदा (2001) 
लिरिक्स - जावेद अख्तर
आवाज़ - कविता कृष्णमुर्ती

हिरनी हूं बन में, कलि गुलशन में,
शबनम कभी हूं मैं, कभी हूं शोला,
शाम और सवेरे, सौ रंग मेरे,
मैं भी नहीं जानूं, आखिर हूं मैं क्या…

एक महिला कई रूपों का मिश्रण होती है. ज़रूरत पड़े तो वो शबनम से शोला भी बन जाती है. कहने वाले कहते आएं हैं कि औरतों को समझना मुश्किल है. यहां नायिका खुद कह रही है कि वो एक पहेली है. एक ऐसी पहेली जिसे बंधन पसंद नहीं. किसी के अंडर रहना पसंद नहीं. वो आज़ाद है. आज़ाद ख्यालों वाली है. श्याम बेनेगल की फिल्म ‘ज़ुबैदा’ अपने समय से बहुत आगे की फिल्म रही. जिसे आज भी पसंद किया जाता है.

# सॉन्ग - ये जो देश है तेरा
फिल्म - स्वदेश (2004) 
लिरिक्स - जावेद अख्तर
आवाज़ - ए. आर. रहमान

मिट्टी की है जो खुशबू,
तू कैसे भुलाएगा,
तू चाहे कहीं जाए
तू लौट के आएगा…

रोज़ी-रोटी के लिए अपने घर और देश से दूर जाने वाले लोगों के लिए इस गाने को दिमाग से निकालना असंभव है. सिर्फ गाना ही नहीं ये पूरी फिल्म ही देशभक्ति को बड़े कोमल ढंग से दिखाती है. बिना चिखे-चिल्लाए देश से प्रेम करना सिखाती है. जावेद अख्तर के लिखे इस गाने को आवाज़ दी है ए. आर. रहमान ने.

# सॉन्ग - आशाएं
फिल्म - इकबाल (2005) 
लिरिक्स - इरफान सिद्दीकी
आवाज़ - केके, सलीम

गुज़रे ऐसी हर रात, 
हो ख्वाहिशों से बात,
ले कर सूरज से आग,
गाये जा अपना राग,
कुछ ऐसा करके दिखा,
खुद खुश हो जाए खुदा....

अब मुश्किल नहीं कुछ भी, नहीं कुछ भी… ये गाना आपके अंदर के डर को भगाएगा. आपके सपनों को अचीव करने के बीच जो अड़चने है, जो भय है, वो दूर कर जाएगा. इरफान के लिखे बोल इतने चुनिंदा और मज़बूत हैं कि अपने आप ही सारी बातें स्पष्ट हो जाती हैं.

# सॉन्ग - रूबरू रोशनी
फिल्म - रंग दे बसंती (2006) 
लिरिक्स - प्रसून जोशी
आवाज़ - नरेश अय्यर, ए. आर. रहमान

आंधियों से झगड़ रही है लौ मेरी
अब मशालों सी बढ़ रही है लौ मेरी,
नामो निशां, रहे ना रहे
ये कारवां, रहे ना रहे
उजाले मैं, पी गया
रौशन हुआ, जी गया
क्यों सहते रहें....

आमिर खान की फिल्म ‘रंग दे बसंती’, आज़ादी का नया रंग दिखाती है. नए मायने समझाती है. फिल्म के इस गाने की गहराई में जाएंगे तो मालूम पड़ेगा कि जाने-अनजाने इसने हमें बुराईयों के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित किया. ये सिखाया कि दुनिया में रोशनी फैलाने के लिए हर कोशिश करो. अपने साथ हो रहे गलत कामों को सहना छोड़ दो.

# सॉन्ग - ये हौसला
फिल्म - डोर (2006) 
लिरिक्स - मीर अली हुसैन
आवाज़  - शफाकत अमानत अली

शाम छुपाले सूरज मगर,
रात को एक दिन ढलना ही है,
रुत ये टल जाएगी,
हिम्मत रंग लाएगी,
सुबह फिर आएगी...

जब भी कभी बहुत लो फील कर रहे हों, लगे जैसे हाथों से सब छूटा जा रहा है, कोई बात जो मन की ना हो रही हो तो ये गाना बजा लीजिए. ये गाना किसी सोखते कुएं जैसा है. जो आपके अंदर की नेगेटिव ऊर्जा को सोख जाएगा. आपके अंदर नई उमंग नई एनर्जी जगाएगा. आपके मन के हर तरह के डर से छुटकारा दिलाएगा.

# सॉन्ग - बादल पे पांव 
फिल्म - चक दे इंडिया (2007) 
लिरिक्स - जयदीप साहनी
आवाज़  - हेमा सरदेसाई

चल पड़े है हमसफर, अजनबी तो है डगर,
लगता है हमको मगर, कुछ कर देंगे हम अगर,
ख्वाब में जो दिखा पर था छिपा बस जाएगा वो नगर...

कवि की कल्पना समझिए. वो आपको अपने सपनों को साकार करने का मोटिवेशन दे रहा है. कह रहा है कि राह में जितनी भी मुश्किलें आएं, डगर में जितनी चुनौतियां आएं सब से भिड़ो. जज़्बे का गुबार लिए खुले गगन में उड़ जाओ. अपने सपनों को आज़ाद करो और उनमें नए रंग भर लाओ.

# सॉन्ग - चक लेन दे
फिल्म - चांदनी चौक टू चाइना (2009) 
लिरिक्स - राज फतेहपुर
आवाज़ - कैलाश खेर

अब मौका है कुछ खास दिखा, जलवा दिखा,
मंज़िल खुद आई पास दिखा, जलवा दिखा,
सांसों को दहक लेन दे, जज़्बातों को महक लेन दे
आज फट्टे चक लेन दे...

ये गाना एनर्जी से लबरेज़ है. इसे सुनने के बाद अपने आप दिल में कुछ कर दिखाने का जज़्बा, जुनून जाग जाएगा. ये गाना किसी भी काम को छोटा या बड़ा मापने वालों की कुंठा को हटाता है. ये बताता है कि जब भी मौका मिले अपना बेस्ट दीजिए और फोड़ डालिए.

# सॉन्ग - उड़े खुले आसमां में ख्वाबों के परिंदे
फिल्म - ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा (2011) 
लिरिक्स - जावेद चौहान 
आवाज़ - मोहित चौहान

रौशनी मिली,
अब राह में है इक दिलकशी सी बरसी,
हर खुशी मिली,
अब ज़िन्दगी पे है ज़िन्दगी सी बरसी,
अब जीना हमने सीखा है...

तीन दोस्तों की इस कहानी ने दोस्तों के ग्रुप में तहलका मचा दिया था. सभी के बरसों पुराने रोड ट्रिप के प्लान्स पर फिर से काम होने लगा था. कितने सफल हुए कितने विफल, ये तो मालूम नहीं मगर फिल्म का ये गाना दिमाग में ज़हर की तरह फैल गया. जीने का असली मतलब, दिल की सुनने की फरियाद, सबकुछ इस एक गाने में मिल जाएगा.

# सॉन्ग - फिर से उड़ चला
फिल्म - रॉकस्टार (2011) 
लिरिक्स - इर्शाद कामिल
आवाज़ - मोहित चौहान

मिट्टी जैसे सपने ये कित्ता भी ,
पलकों से झाड़ो फिर आ जाते हैं,
इत्ते सारे सपने क्या कहूं
किस तरह से मैंने तोड़े हैं छोड़े हैं क्यूं…

आज़ादी का एक मतलब प्यार भी होता है. प्यार अपने आप से, प्यार अपने सपनों से. यहां भी अपने आप से, अपने सपनों से प्यार करना सिखाया गया है.

# सॉन्ग - एकला चलो रे
फिल्म - कहानी (2012) 
लिरिक्स - रवीन्द्र नाथ टैगोर
आवाज़  - अमिताभ बच्चन

जोदी तोर डाक सुने केउ ना आसे,
तोबे एकला चलो रे,
मतलब - तेरी आवाज़ पर कोई ना आए तो अकेला चल, कोई भी ना बोले, सब मुंह मोड़े तो बिना डरे मुक्तकंठ अपनी बात बोल...

रवीन्द्र नाथ टैगोर की लिखी इस कविता को आवाज़ दी है अमिताभ बच्चन ने. आज़ादी मतलब ये भी है कि आप खुद पर विश्वास करें. अगर आप सही हैं तो किसी का साथ हो ना हो, अपनी राह पर सफर करना शुरू कर दीजिए. आज़ादी भेड़चाल बनने में नहीं बल्कि सही बातों पर खुलकर बोलने में होती है.

# सॉन्ग - सपनों का मांझा
फिल्म - काई पो चे(2013) 
लिरिक्स - स्वानंद किरकिरे
आवाज़  - अमित त्रिवेदी

रिश्ते पंखों को हवा देंगे,
रिश्ते दर्द को दवा देंगे,
जीत कभी, हार कभी
गम तो यारों होंगे दो पल के मेहमान...

आज के मॉर्डन समय में जितना करियर ज़रूरी है, उतने ही ज़रूरी रिश्ते भी हैं. रिश्ता, प्रेमी से प्रेमिका का. रिश्ता मां-बाप से बच्चों का. रिश्ता भाई से बहन और बहन से भाई का. रिश्ता दोस्ती का. अक्सर ज़िंदगी की दौड़ में रिश्ते की डोर उलझ जाती है. और इसे सुलझाना बेहद ज़रूरी हो जाता है. ताकि रिश्तों की अहमियत बनी रहे. इस गाने में नायक आपको समझाएगा कि रिश्ते कितने ज़रूरी हैं और आपको उसे कैसे बनाए रखना चाहिए. 

# सॉन्ग - जीते हैं चल
फिल्म - नीरजा (2016)
लिरिक्स - प्रसून जोशी 
आवाज़ - कविता सेठ, अर्चना गोरे

कहता है ये पल,
खुद से निकल
जीते हैं चल, 
जीते हैं चल…

प्रसून जोशी का लिखा ये गाना आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देगा. बीती बातों को भुलाकर वर्तमान में जीना सिखाएगा. ये सिखाएगा कि दुनिया की झंझटों से निकलकर मुस्कुराना सीखिए. थोड़ा जीना सीखिए. कविता सेठ और अर्चना गोरे की आवाज़ को सुरों में पिरोया है विशाल खुराना ने.

# सॉन्ग - बेसब्रियां 
फिल्म - एम. एस. धोनी (2016) 
लिरिक्स - अमाल मलिक
आवाज़  - अरमान मलिक

क्यों सोचना है जाना कहां,
जाए जिधर ले जाएं जहां,
बेसब्रियां...

आज़ाद होने का एक मतलब ये भी है कि आप अपने विचारों को आज़ाद करें. दकियानूसी सोच से इतर वो करें जो आपके लिए सही है. पढ़ाई से लेकर करियर तक वो चुनें जिसमें आपको रुचि हो. एम. एस. धोनी फिल्म का ये गीत उस कदम को तय करने में आपकी मदद करेगा. ताकि आप अपने हौसलों की उड़ान भर सकें.

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