दिन गिनें तो 'रंग दे बसंती' आज से दस साल पहले आई थी. छोटे थे हम, याद आता है, केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में ओबीसी को ताजा-ताजा रिजर्वेशन मिला था. अर्जुन सिंह के खिलाफ प्रदर्शन होते, पुतले फूंके जाते. उस दौर की रैलियों में एक नारा सुनाई देता. 'अभी-अभी, ये हुआ यकीं है कि आग है मुझमें कहीं' नारा नहीं था. फिल्म का गाना था. 'रंग दे बसंती' का. फिल्में जो ऐसी चलें कि आम जिंदगी में पैठ कर जाएं उन्हें 'कल्ट फिल्म' कहते हैं. रंग दे बसंती कल्ट थी. कुछ डायलॉग जो आम जिंदगी में पैठे वो ये थे.