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OMG 2 जैसी 10 फिल्में, जिन्होंने समाज में बनी भ्रांतियां तोड़ने की कोशिश की

इन फिल्मों में अक्षय कुमार, आयुष्मान खुराना, राजकुमार राव, भूमि पेडणेकर और राधिका आप्टे की फ़िल्में शामिल हैं.

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ये तीन फ़िल्में अपने आप में क्रांति हैं.

OMG 2 के बारे में कहा जा रहा है कि ये सेक्स एजुकेशन पर बात करेगी. साथ ही इसका प्लॉट मास्टरबेशन के इर्द-गिर्द घूमेगा. हालांकि इस पर सेंसर को आपत्ति भी थी. क्योंकि इसमें भगवान वाला ऐंगल भी है. खैर फिल्म में दो दर्जन से ज़्यादा बदलाव के बाद इसे A कैटगरी का सर्टिफिकेट मिल गया. फिल्म का ट्रेलर भी 3 अगस्त को रिलीज कर दिया गया. इसको जनता पसंद भी कर रही है. ट्रेलर देखकर लग रहा है कि ये समाज के एक बड़े टैबू को तोड़ेगी. इससे पहले ऐसी कई हिंदी फ़िल्में आईं, जो उन विषयों पर बनीं जिनको समाज में बड़ी ओछी नज़र से देखा जाता है. तो चलिए ऐसी ही कुछ फिल्मों के बारे में आपको बताते हैं, जिन्होंने सोशल टैबूज को तोड़ा.

1. शुभ मंगल सावधान 

कास्ट: भूमि पेडणेकर, आयुष्मान खुराना
डायरेक्टर:  आर.एस.प्रसन्ना

भूमि पेडणेकर और आयुष्मान की फ़िल्म 'शुभ मंगल सावधान' एक मज़ेदार फ़िल्म है. मज़े के साथ ही बहुत कुछ ज्ञान भी दे जाती है और मालूम भी नहीं पड़ता. इसमें एक सेंसिबल चुटिलता है. ये इरेक्टाइल डिसफंक्शन पर बात करती है और समाज में इस पर संवाद के दरवाजे भी खोलती है. इसे डायरेक्ट किया है आर.एस.प्रसन्ना ने और लिखा है हितेश केवल्य ने. इसी की एक उत्तराधिकारी फिल्म है, 'शुभ मंगल ज़्यादा सावधान'. ये भी सोशल टैबू समझे जाने वाले सेम सेक्स कपल पर बेस्ड फिल्म है.

2. बधाई दो 

कास्ट: राजकुमार राव, भूमि पेडणेकर, गुलशन देवैया
डायरेक्टर: हर्षवर्धन कुलकर्णी

'बधाई दो' होमोसेक्शुअल लोगों की उन दिक्कतों पर बात करती है, जो उन्हें अपनी रेगुलर लाइफ में फेस करनी पड़ती हैं. जैसे उनका अकेलापन. अपनी सेक्शुएलिटी के बारे में किसी से बात न कर पाना. फैमिली का सपोर्ट न होना. तमाम तरह की छोटी मगर मोटी बातें. इसमें राजकुमार राव और भूमि पेडणेकर लीड रोल में हैं. गुलशन देवैया ने भी के अहम किरदार निभाया है. इसे डायरेक्ट किया है हर्षवर्धन कुलकर्णी ने.

3. कोबाल्ट ब्लू 

कास्ट: प्रतीक बब्बर, निलय मेहंदले
डायरेक्टर:  सचिन कुंडलकर

इस फिल्म की कहानी 1996 में घटती है, जब भारत में गे या लेस्बियन होना क्राइम माना जाता था. हालांकि अब भी समाज के स्तर पर हम इतने सहज नहीं हुए हैं कि समलैंगिक संबंधों को सहजता से स्वीकार सकें. ये फ़िल्म सेम सेक्स लव और उससे उपजे दुख की कहानी है. सचिन कुंडलकर के डायरेक्शन बनी इस फ़िल्म में प्रतीक बब्बर और निलय मेहंदले लीड रोल्स में हैं. फ़िल्म दिखाती है कि गे होना किसी व्यक्ति की पहचान नहीं हो सकती, ये सिर्फ़ उसकी शारीरिक बनावट का एक हिस्सा भर है. जितना पुरुष को महिला से प्रेम करने का अधिकार है, उतना ही पुरुष को पुरुष से भी प्रेम करने का अधिकार है.

4. फायर

कास्ट:  नंदिता दास, शबाना आज़मी, कुलभूषण खरबंदा
डायरेक्टर: दीपा मेहता

ये फिल्म 1996 में आई थी. जब भारत की आबादी के एक बड़े हिस्से को पता भी नहीं था कि समलैंगिकता किस चिड़िया का नाम है. होमोसेक्शुएलिटी को लेकर इतने खुले ढंग से बात करने वाली ये पहली हिंदी फिल्म मानी जा सकती है. मगर इस फिल्म के साथ एक दिक्कत थी. वो ये कि इसने सेक्शुअल ओरिएंटेशन की बजाय सीता और राधा की मजबूरी को उनके लेस्बियन होने की वजह बताई. खैर, ये उस समय की पिक्चर है, जब इतनी अवेयरनेस नहीं थी. इसमें नंदिता दास, शबाना आज़मी और कुलभूषण खरबंदा लीड रोल में हैं. दीपा मेहता ने इसे डायरेक्ट किया है.

5. पैडमैन 

कास्ट: अक्षय कुमार, राधिका आप्टे
डायरेक्टर: आर. बाल्की

'पैडमैन' मेंस्ट्रूअल हाइजीन पर खुलकर बात करती है. ये एक ऐसे आदमी की कहानी है, जो अपनी पत्नी और बहन के कष्टों को देखते हुए उनके लिए पीरियड्स के दौरान यूज़ होने वाले पैड बनाने की ठान लेता है. ये कहानी जाने-माने तमिल सोशल एक्टिविस्ट अरुणाचलम मुरुगनंदम की असल स्टोरी पर आधारित है. उन्होंने बहुत ही कम कीमत के सैनिटरी नैपकिन्स बनाने वाली मशीन बनाई थी. आर. बाल्की ने इस फिल्म को डायरेक्ट किया है. अक्षय कुमार और राधिका आप्टे ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं.

6. विकी डोनर

कास्ट: आयुष्मान खुराना, यामी गौतम, अन्नू कपूर
डायरेक्टर: सुजित सरकार

'विकी डोनर' स्पर्म का मर्म समझाती है. ये बात करती है, स्पर्म डोनेशन, इनफर्टिलिटी और IVF के मुद्दे पर. ये सभी मुद्दे सोशल टैबू समझे जाते हैं. इन पर बात नहीं होती, काना-फूसी होती है. ये फिल्म हंसते-हंसाते हुए ज्ञान देती है. ये आयुष्मान खुराना और यामी गौतम की डेब्यू हिंदी फिल्म थी. इसमें अन्नू कपूर भी लीड रोल में हैं. इसे सुजित सरकार ने डायरेक्ट किया है.

7. टॉयलेट एक प्रेम कथा 

कास्ट: अक्षय कुमार, भूमि पेडणेकर, अनुपम खेर
डायरेक्टर: श्री नारायण सिंह

हमारी लिस्ट में ये तीसरी फिल्म है, जिसमें भूमि पेडणेकर लीड रोल में हैं. उनके अपोजिट हैं, अक्षय कुमार. इसे श्री नारायण सिंह ने डायरेक्ट किया है. ये केशव और जया की कहानी है. केशव और जया में प्यार हो जाता है. शादी भी हो जाती है. लेकिन ससुराल में पहली ही सुबह जब जया को पता चलता है कि घर में टॉयलट नहीं है और उसे गांव की बाकी सब औरतों के साथ खुले में शौच जाना होगा, तो वो बिफर जाती है. बेसिकली ये सोशल अवेयरनेस की फिल्म है. शहरी लोगों को ये टैबू नहीं लगेगा. लेकिन कई पिछड़े भारतीय गांवों में घर में टॉयलेट बनवाना अच्छा नहीं समझा जाता.

8. लिपस्टिक अंडर माय बुर्का

कास्ट: रत्ना पाठक शाह, कोंकणा सेन शर्मा, अहाना कुमरा
डायरेक्टर: अलंकृता श्रीवास्तव

‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ महिलाओं की इच्छाओं और उनकी स्वतंत्रताओं पर बात करती है. ये चार औरतों की कहानी है, जो अपनी-अपनी आज़ादी की तलाश में हैं. एक कॉलेज में पढ़ने वाली लड़की है, उसे बुर्का पहनकर कॉलेज जाना पड़ता है लेकिन उसकी हसरत एक पॉप सिंगर बनने की है. एक लड़की, जो ब्यूटीशियन है, वो अपने छोटे शहर की दम घोंटू जिंदगी से दूर जाना चाहती है. तीसरी कैरेक्टर एक पीड़ित हाउसवाइफ है, जिसके तीन बच्चे हैं. वो सेल्सवुमन होने की एक दूसरी ही दुनिया में जीती है. चौथी है एक 50-55 साल की विडो, जो फोन सेक्स के जरिए अपनी यौनिकता को फिर से जिंदा करती है. इस फिल्म को अलंकृता श्रीवास्तव ने बनाया है. इसमें रत्ना पाठक शाह, कोंकणा सेन शर्मा, अहाना कुमरा और प्लबिता लीड रोल में हैं.

9.पार्च्ड

कास्ट: तनिष्ठा चैटर्जी, राधिका आप्टे, सुरवीन चावला, लहर खान 
डायरेक्टर: लीना यादव

कुछ लोग चाहते हैं कि पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं का स्थान वही रहे, जो हमेशा रहा है. लेकिन 'पार्च्ड' में कुछ ऐसा होता है कि महिलाएं आज़ाद होने और अपनी शर्तों पर जीने का फैसला लेती हैं. इस दौरान वे हर उस विषय पर बात करती हैं, अनुभव लेती हैं जो सिर्फ उनके लिए वर्जित रहा है. तनिष्ठा चैटर्जी, राधिका आप्टे, सुरवीन चावला और लहर खान ने इसमें मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं. आदिल हुसैन भी फिल्म में हैं. इसका निर्देशन किया है लीना यादव ने.

10. बधाई हो

कास्ट: आयुष्मान खुराना, सान्या मल्होत्रा, गजराज राव, नीना गुप्ता
डायरेक्टर: अमित शर्मा

एक उम्र के बाद बच्चे पैसा करना भारत में सोशल टैबू की तरह देखा जाता है. क्या गुज़रेगी उन जवान बच्चों पर जब अपना बच्चा पैदा करने की उम्र में मम्मी-पापा छोटा भाई-बहन पकड़ा दें! दोस्त क्या कहेंगे? रिश्तेदारों को क्या मुंह दिखाएंगे? समाज किन नज़रों से देखेगा? ऐसे तमाम तंजियां सवालों को मज़ेदार ढंग से हैंडल करती है फिल्म, ‘बधाई हो’. इसमें आयुष्मान खुराना, सान्या मल्होत्रा, गजराज राव और नीना गुप्ता लीड रोल में हैं. फिल्म डायरेक्ट की है, अमित शर्मा ने.

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