20 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने SC-ST ऐक्ट पर फैसला सुनाया कि अब से FIR के तुरंत बाद गिरफ्तारी नहीं होगी. पहले जांच होगी, फिर आरोपी को अरेस्ट किया जाएगा. दलित इस फैसले से नाराज़ हो गए और 2 अप्रैल को उन्होंने भारत-बंद बुलाया, जिसमें काफी हिंसा हुई. दलितों की नाराज़गी खत्म करने के लिए मोदी सरकार ने 6 अगस्त को लोकसभा और 9 अगस्त को राज्यसभा में SC-ST संशोधन विधेयक पास करा लिया. इससे सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट गया और SC-ST ऐक्ट पहले जैसा हो गया. लेकिन, सरकार के इस कदम से अब सवर्ण नाराज़ हो गए, जिनका दावा है कि इस ऐक्ट की वजह से उन्हें बेवजह प्रताड़ित किया जाता है. फिर 6 सितंबर को सवर्णों ने भारत-बंद बुलाया, जिसमें कई जगह प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई और लाठीचार्ज हुआ.
SC-ST ऐक्ट के इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की गिरफ्तारी हो ही नहीं सकती
सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि अब 'माई के लाल' की गिरफ्तारी हो, तो वो मानेंगे कि कानून सबके लिए बराबर है.
2 अप्रैल 2018 को दलितों के भारत-बंद प्रदर्शन की एक तस्वीर. इस प्रदर्शन में कई जगह आगजनी और मारपीट की घटनाएं हुई थीं.
ये सब आपको पता है. नई बात ये है कि इस साल के आखिर में मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं और SC-ST ऐक्ट के इस विवाद की आंच इन राज्यों में दिखने लगी है. सबसे ज़्यादा लपेटे में हैं MP के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, जो इस समय अपने राज्य में जन-आशीर्वाद यात्रा पर निकले हुए हैं. यात्रा के दौरान 2 सितंबर को उनके काफिले पर पथराव हुआ और 5 सितंबर को एक सभा में उन पर जूता फेंका गया.
शिवराज की जन-आशीर्वाद यात्रा का वो रथ, जिस पर पथराव हुआ.
पथराव के बाद रथ का चिटका हुआ कांच
शिवराज की एक सभा में उन पर जूता उछाला गया.
इसके बाद 7 सितंबर से सोशल मीडिया पर एक ऐप्लिकेशन वायरल हो रही है, जिसमें कांग्रेस की एक महिला नेता ने शिवराज पर SC-ST ऐक्ट के तहत केस दर्ज कराने की बात कही है. सोशल मीडिया के अलावा न्यूज़ रिपोर्ट्स में भी शिवराज पर FIR की बात लिखी जा रही है.
बसंती कोल की वो ऐप्लिकेशन, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.
मध्य प्रदेश के सीधी जिले में महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष बसंती कोल ने आरोप लगाया है कि 2 सितंबर को शिवराज की जन-आशीर्वाद यात्रा के दौरान जब वो उनके काफिले के सामने काले झंडे दिखाकर विरोध प्रदर्शन कर रही थीं, तब CM के इशारे पर उनके साथ बदसलूकी की गई. बसंती के मुताबिक उनकी जाति के आधार पर उन्हें अपमानित किया गया और मां-बहन की गालियां दी गईं. बसंती का कहना है कि ये सब CM के इशारे पर हुआ, इसलिए वो उनके खिलाफ SC-ST ऐक्ट के तहत केस दर्ज कराएंगी. बसंती ने ये आरोप 7 सितंबर को लगाए, मीडिया के सामने कैमरे पर बयान दिया और उस ऐप्लिकेशन के साथ फोटो भी खिंचाई.
सोशल मीडिया पर तीन किस्म के लोग बसंती का बयान और उनकी ऐप्लिकेशन शेयर कर रहे हैं. पहले वो, जो पूछ रहे हैं कि शिकायत मिलने के बावजूद पुलिस ने अभी तक शिवराज के खिलाफ केस दर्ज क्यों नहीं किया. दूसरे वो, जो कह रहे हैं कि शिवराज के खिलाफ SC-ST ऐक्ट के तहत केस दर्ज हो गया, लेकिन कार्रवाई न होने से बवाल हो रहा है. तीसरे वो, जो पूछ रहे हैं कि जब शिवराज पर SC-ST ऐक्ट के तहत केस दर्ज हो गया है, तो पुलिस बाकी आम लोगों की तरह उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है. देखिए कुछ उदाहरण:
शिवराज निशाने पर इसलिए भी हैं, क्योंकि 5 सितंबर को एक सभा उन्होंने बयान दिया था, 'कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता'. ऐसे में लोग चुटकी ले रहे हैं, 'अब माई के लाल की गिरफ्तारी हो, तो हम भी समझेंगे कि कानून बराबर है.'
और यहीं से हमारी यानी दी लल्लनटॉप की ज़िम्मेदारी शुरू होती है, जो आपको सोशल मीडिया की फेक-न्यूज़ और अफवाहों की सच्चाई बताता है.
बसंती कोल और शिवराज सिंह के इस मामले में दो सवाल बनते हैं:
1. क्या बसंती कोल ने शिवराज सिंह के खिलाफ SC-ST ऐक्ट के तहत FIR दर्ज कराई है? 2. क्या पुलिस ने शिवराज के खिलाफ FIR दर्ज करने के बावजूद उन्हें गिरफ्तार नहीं किया है?
पहले सवाल का जवाब है कि बसंती कोल ने शिवराज सिंह के खिलाफ कोई FIR दर्ज नहीं कराई है. न ही SC-ST ऐक्ट के तहत और न ही किसी दूसरी धारा के तहत. बसंती कोल ने अपनी ऐप्लिकेशन सीधी के अजाक थाने के लिए लिखी थी. हमने अजाक थाने के प्रभारी सरोज सिंह से बात की. उन्होंने बताया कि उन्हें बसंती कोल की ऐप्लिकेशन वायरल होने की जानकारी है, लेकिन न तो उनके थाने में वो ऐप्लिकेशन पहुंची है और न ही कोई शिवराज सिंह के खिलाफ FIR दर्ज कराने आया है.
सीधा का पुलिस थाना
इस मामले पर पार्टी का पक्ष जानने के लिए हमने सीधी के कांग्रेस जिलाध्यक्ष रुद्र प्रताप सिंह से बात की. उन्होंने पूरा मामला बताया, '2 सितंबर को सीधी जिले की चुरहट विधानसभा में शिवराज सिंह का काफिला निकलना था. वहां की सड़क कई महीनों से उखड़ी हुई थी, जिसे बनवाया नहीं जा रहा था. लेकिन CM के दौरे के ठीक पहले सड़क ठीक करवा दी गई. तो यूथ कांग्रेस और महिला कांग्रेस ने उस रास्ते पर CM के काफिले के सामने विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई. CM के काफिले की वजह से वहां काफी पुलिस तैनात थी. पुलिसवालों ने बसंती कोल के साथ बदसलूकी की, जिससे नाराज़ होकर बसंती ने मीडिया के सामने कहा कि वो CM के खिलाफ SC-ST ऐक्ट के तहत केस दर्ज कराएंगी. इसकी जानकारी मिलने पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उनसे कहा कि ऐसा कदम उठाने से पहले सलाह-मशविरा कर लेना चाहिए. बातचीत होने के बाद उन्होंने केस दर्ज न कराने का फैसला किया.'
सीधी कांग्रेस जिलाध्यक्ष रुद्र प्रताप सिंह
ऐप्लिकेशन के बारे में पूछने पर रुद्र प्रताप ने बताया, 'जो ऐप्लिकेशन सामने आई है, वो बसंती कोल ने नहीं लिखी है. बसंती ने पार्टी को बताया कि उन्होंने मीडिया के सामने केस दर्ज कराने की बात कही थी, लेकिन किसी ने उनकी बातों के आधार पर वो ऐप्लिकेशन लिख दी. उन्हें नहीं पता कि वो ऐप्लिकेशन किसने लिखी है और उस पर किसके साइन हैं.'
रुद्र प्रताप की ये बात तो मानी जा सकती है कि बसंती केस दर्ज कराना चाहती थीं, लेकिन पार्टी के समझाने पर वो मान गईं, लेकिन उनकी ये बात सही नहीं है कि वो ऐप्लिकेशन किसी और की लिखी हुई है. क्योंकि 7 सितंबर को जब बसंती ने मीडिया के सामने बयान दिया, तो ये ऐप्लिकेशन उनके पास थी और उन्होंने इसे हाथ में लेकर फोटो भी खिंचाई थी. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस महिला अध्यक्ष रंजना मिश्रा भी बसंती के साथ थीं.
ऐप्लिकेशन के साथ फोटो खिंचातीं बसंती कोल. बाईं तरफ हैं रंजना मिश्रा
इस मामले में बसंती का पक्ष जानने के लिए हमने उन्हें कई बार फोन किया, लेकिन उन्होंने हर बार फोन काट दिया.
तो पहले सवाल का जवाब आपके सामने है. शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ SC-ST ऐक्ट के तहत कोई केस दर्ज कराया ही नहीं गया है. ऐसे में दूसरे सवाल की गुंजाइश ही नहीं बचती है कि उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है.
तो हमारी इस पड़ताल से साफ होता है कि शिवराज सिंह चौहान SC-ST ऐक्ट पर विरोध तो खूब झेल रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ इस ऐक्ट के तहत कोई केस दर्ज नहीं कराया गया है. सोशल मीडिया पर जो लोग लिख रहे हैं कि पुलिस FIR नहीं लिख रही है या FIR के बावजूद CM को अरेस्ट नहीं कर रही है, वो गलत लिख रहे हैं.
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