पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के दिग्गज नेता और प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी बहरमपुर से लोकसभा चुनाव हार गए हैं. तृणमूल कांग्रेस (TMC) के उम्मीदवार और पूर्व क्रिकेटर कैंडिडेट युसूफ पठान ने उन्हें 85,022 वोटों से हरा दिया. युसूफ पठान गुजरात के रहने वाले हैं लेकिन ममता बनर्जी ने राज्य में अपने सबसे धुरविरोधी नेता अधीर के खिलाफ उन पर भरोसा जताया था. पठान को कुल 5,24,516 वोट मिले. वहीं अधीर रंजन चौधरी के हिस्से 4,39,494 वोट आए. मुर्शिदाबाद जिले की इस सीट से अधीर रंजन चौधरी साल 1999 से लगातार चुनते आ रहे थे. इस सीट पर चौथे चरण में 13 मई को वोटिंग हुई थी.
TMC के यूसुफ पठान का कांग्रेस के अधीर रंजन के खिलाफ जीत का छक्का
मुर्शिदाबाद जिले की बहरमपुर सीट से अधीर रंजन चौधरी साल 1999 से लगातार चुनते आ रहे थे.

बहरमपुर पर मुकाबला दो धुरंधरों के बीच था. एक राजनीति का तो दूसरा क्रिकेट के मैदान का. अधीर रंजन चौधरी पश्चिम बंगाल कांग्रेस का बड़ा नाम हैं. चौधरी लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं. इसके अलावा वे पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं. 68 वर्षीय अधीर साल 2012 से 2014 तक रेलवे राज्य मंत्री भी रह चुके हैं. अधीर रंजन को पहली राजनीतिक सफलता साल 1996 में मिली. तब वे नबग्राम विधानसभा सीट लगभग 20 हज़ार वोटों से जीतकर विधायक बने थे.
वहीं, युसूफ पठान तीन साल पहले क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं. लेकिन इससे पहले वे टी20 और 2011 में वनडे वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रह चुके हैं. इसके अलावा वे तीन IPL विजेता टीम के सदस्य रह चुके हैं. साल 2008 में राजस्थान रॉयल्स और 2012 और 2014 में कोलकाता नाइट राइडर्स को जीत दिलाने में युसूफ ने अहम भूमिका निभाई थी. गुजरात के वडोदरा से आने वाले युसूफ के नाम का एलान TMC ने अंतिम समय में किया था. नाम की घोषणा होने पर पठान ने कहा था कि गुजरात उनकी जन्मभूमि है और पश्चिम बंगाल कर्मभूमि.
मुर्शिदाबाद जिले की इस सीट पर 1952 से लेकर 1998 तक लगातार Revolutionary Socialist Party (RSP) का दबदबा रहा है. बीच में केवल 1984 में इंदिरा गांधी के निधन के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस के आतिश चंद्र सिन्हा को जीत मिली थी. लेकिन पिछले 25 साल से ये सीट अधीर रंजन के खाते में जा रही थी. हालांकि, पिछले चुनाव से अधीर रंजन का दबदबा थोड़ा कम हुआ था.
बहरमपुर संसदीय क्षेत्र में 7 विधानसभा क्षेत्र हैं, लेकिन यहां कांग्रेस का कोई विधायक नहीं है. 6 विधानसभा क्षेत्रों पर TMC का कब्जा है, जबकि बहरमपुर विधानसभा क्षेत्र BJP के खाते में है.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अधीर की जीत का अंतर एक झटके में 3.56 लाख से घटकर करीब 81 हज़ार ही रह गया था. इससे पहले अधीर रंजन ने 2014 में TMC के इंद्रनील सेन को डेढ़ लाख से भी ज्यादा वोटों से हराया था. इसके अलावा 2023 में हुए पंचायत चुनावों में भी बहरमपुर क्षेत्र की अधिकतर सीटों पर TMC की जीत हुई थी.
बहरमपुर लोकसभा सीट पर लगभग 52 परसेंट मुस्लिम मतदाता हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां 13.2 फीसदी एससी और 0.9 फीसदी एसटी वोटर हैं.
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