प्रधानमंत्री मोदी का स्टैचू ऑफ़ यूनिटी वाला पूरा इवेंट सुपरहिट रहा था. वैसे मोदी किसी इवेंट का हिस्सा बनें और वो इवेंट सबसे ज़्यादा टीआरपी न बटोर के ले जाए ऐसा तो किसी भी न्यूज़ चैनल ने पिछले चार पांच सालों में नहीं देखा है.
इस पूरे इवेंट को भी कई दिन हो जाने के बावज़ूद भी ये सुर्ख़ियों में लगातार बना हुआ है. ज़्यादातर अच्छे कारणों से और कुछ विवादों के चलते भी. कल ही इंग्लैंड के साथ इस स्टैचू के कनेक्शन की बातें चल रही थीं. खैर अब इस इवेंट के साथ एक और विवाद वायरल होता हुआ लग रहा है. मोदी पर आरोप लग रहा है कि वो इवेंट की एक वीडियो में किसी '
विकलांग बुजुर्ग' का अपमान करते हुए दिख रहे हैं.
आइए पहले वो वीडियो देख लें - ये वीडियो कई जगहों से कई बार शेयर हो चुका है. ट्विटर और फेसबुक दोनों ही प्लेटफॉर्म्स से.
ये देखिए इसकी वायरलता का आलम ये है कि केवल एक जगह से 2,700 से ज़्यादा रीट्वीट हो चुके हैं. 6,000 से ज़्यादा लाइक्स -
तो क्या ये सच है कि वाकई प्रधानमंत्री मोदी 'विकलांग बुजुर्ग' का अपमान कर रहे हैं? अब देखिए किसी का अपमान हुआ है या नहीं ये केवल वो व्यक्ति बता सकता है जो अपमान का कथित पीड़ित है. लेकिन फिर भी कई कारण हैं जिनके चलते ये साफ़ पता चल जाता है कि मोदी का उद्देश्य 'विकलांग बुजुर्ग' को इग्नोर करना या उनका अपमान करना कतई नहीं था -
# जिस बुजुर्ग के अपमान की बात यहां पर की जा रही है वो कोई अंजान शख्स नहीं है. वो गुजरात के राज्यपाल
ओमप्रकाश कोहली हैं. और ये रही मोदी की उन बुज़ुर्ग के साथ 2014 की एक ऐसी फोटो जो दोनों के बीच के अच्छे रिश्ते को अच्छे से प्रदर्शित करती है.
# लेकिन कहने वाले कहेंगे कि ऐसी कई फोटो तो मोदी-आडवानी की भी हैं. और बात भी सही है. क्यूंकि हमने जो ऊपर फोटो दिखाई है मोदी- ओमप्रकाश वाली वो भी कोई आज की तो है नहीं. तो हमारे पास एक दूसरा तथ्य है. वो है ये (निम्न) वीडियो जो ठीक उसी दिन की है और जिसे मोदी समर्थक इस कैप्शन के साथ इस्तेमाल कर रहे हैं कि मोदी उन ओमप्रकाश का अपमान कैसे कर सकते हैं जिनके न बैठने तक वो खुद नहीं बैठ रहे.
यूं वीडियो देखने के बाद ये बात पूरी तरह कन्विंसिंग लगती है कि मोदी ओमप्रकाश का अपमान नहीं कर सकते.
# इस पड़ताल के दौरान हमें इस बात को भी समझना होगा कि वीडियो में ‘अपमान’ कहा किस बात को जा रहा है? गौर से देखने पर हमें उत्तर मिलता है कि ओमप्रकाश के आते ही मोदी का वहां से चल पड़ना ही ओमप्रकाश के अपमान की कैटगरी में आ रहा है. लेकिन ऐसा भी तो हो सकता है कि मोदी के ऐसे व्यवहार का कारण राज्यपाल को इग्नोर करना नहीं बल्कि कुछ और रहा हो. और दरअसल ऐसा ही है. दूरदर्शन ने इस दो घंटे के कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया था. वो पूरी दो घंटे की वीडियो यू ट्यूब में उपलब्ध है. लेकिन आपको ये वीडियो पूरा देखने की ज़रूरत नहीं. सिर्फ़
01:19:00 (एक घंटे उन्नीस मिनट) से शुरू कीजिए और 5 मिनट तक, यानी
01:24:00 (एक घंटे चौबीस मिनट) तक देखिए -
वीडियो देखने के बाद आपको पता चल गया होगा कि हमारे प्रधानमंत्री को अपने फोटो सेशन से फुर्सत मिले तब न जाकर वो किसी को इग्नोर या किसी का अपमान करें. इन पांच मिनटों में दिख जाता है कि मोदी तो दरअसल अपनी फ़ोटोज़ खिंचवाने में इतने निर्लिप्त भाव से मशगूल हैं कि उन्हें किसी इज्ज़त बेईज्ज़ती की पड़ी ही कहां है.
तो यूं इस पड़ताल से निष्कर्ष निकलता है कि मोदी का विकलांग बुज़ुर्ग के आते ही पतली गली से निकल जाना, किसी का अपमान करना कम और मोदी का फोटो सेशन को लेकर ओबसेशन ज़्यादा दर्शाता है. लेकिन फिर भी ये गुजरात के राज्यपाल ही डिसाइड कर सकते हैं कि उनका अपमान हुआ या नहीं.