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क्या कोलकाता में पुल आरक्षण वाले इंजीनियर के बनाने के कारण गिरा है?

सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है 'जब तक आरक्षण रहेगा, पुल ऐसे ही गिरते रहेंगे!'

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कोलकाता में माझेरहाट फ्लाईओवर गिरा. एक आदमी की मौत हो गई.  20 से ज़्यादा लोग घायल हो गए, कहीं-कहीं 25 भी लिखा है. सोशल मीडिया को मौक़ा मिल गया, मौक़ा झूठ और नफरत फैलाने का. Photossss फेसबुक-ट्विटर पर कई लोग फ्लाईओवर गिरने की वजह आरक्षण को बता रहे हैं. ये फैशन है, सकल ब्रह्माण्ड में तृण मात्र भी हिले तो रिजर्वेशन को दोष देना 'इन' है. लोग कह रहे हैं कि जब अधिकारी और इंजीनियर आरक्षण के जरिये चुनकर आएंगे तो पुल तो गिरेंगे ही. Kolkata Bridge 3 मजे की बात सुनिए, लिखने वाले लिख रहे हैं कि आरक्षण से आए इंजीनियर और अफसरों के कारण कोलकाता का पुल (पढ़ें फ्लाईओवर!) गिरा, लेकिन न कहीं उस इंजीनियर का नाम लिख रहे न अधिकारियों का. हो तो न बताएं.  मतलब हवा में पुल बनाए और गिराए जा रहे हैं. Twitter Kolkata4 हमने इस दावे की पड़ताल शुरू की. एक चीज हम सबको पता है कि फ्लाईओवर लगभग 50 साल पहले बनाया गया था. इसलिए जो ये दावा कर रहे थे कि आरक्षण से चुने नौसिखिये इंजीनियरों के बनाने के कारण फ्लाईओवर गिरा. उनका तर्क यहीं धड़ाम हो जाता है. 50 साल पहले हालात कुछ और थे, इंजीनियर बनना या इतने बड़े फ्लाईओवर बनाना आसान काम नहीं था. ये समझने की जरूरत है. इतने पुराने फ्लाईओवर के गिरने की वजह बनावट में लापरवाही नहीं, मेंटीनेंस का अभाव होता है. kolkata-bridge-collapse हमने इंडिया टुडे से जुड़े कोलकाता के पत्रकार ज्योतिर्मय दत्ता से बात की उन्होंने बताया कि कोलकाता के ही पोस्ता में जब दो साल पहले एक पुल गिरा था. उसके बाद तमाम पुलों की जांच हुई थी. छः महीने पहले ही PWD ने इस पुल की स्थिति पर रिपोर्ट भेजी थी और इसे फिट बताया था. KOLKATA PIC अब बात पुल के बनने की! हमने ये जानने की कोशिश की कि ये फ्लाईओवर बनाया किसने था? हमें नज़र आए तथागत रॉय. 25 अगस्त को ही मेघालय के राज्यपाल बने हैं. आरएसएस से जुड़े हैं. पेशे से सिविल इंजीनियर थे, 23 साल तक रेलवे में काम किया. कोलकाता की मेट्रो के लिए भी सालों काम किया. Tat pic उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि ये फ्लाईओवर कोलकाता के ‘चंदा इंजीनियर्स’ ने बनाया था. थोड़ी और पड़ताल करने पर पता चला कि इस फ्लाईओवर की डिजाइन बनाई थी, तब के बंगाल इंजीनियरिंग कॉलेज, शिबपुर के इंजीनियर क्षौनिष रॉय ने. इससे ये तो तय था कि पुल गिरने के आरक्षण से आए इंजीनियर को तो दोष नहीं ही दिया जा सकता. Tathagat तो कौन है दोषी? पुलिस ने स्वत: संज्ञान लिया है यानी सुओ मोटो से एक केस दर्ज़ किया है. अलीपुर पुलिस स्टेशन में अज्ञात लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304, 308, 427 और 34 के तहत केस दर्ज़ हुआ है. किसी का नाम नहीं है इसलिए मौतों और दोषियों में जो जाति खोज रहे हैं. वो इंतज़ार करें. किसी का नाम आ जाये तो जाति वाली छिछली राजनीति कर लीजिएगा. ये दरअसल में एक ट्रेंड बन गया है. जब भी कहीं कोई दुर्घटना हो तो दुर्घटना का कारण आरक्षण को बता दीजिए. इसके पहले कोलकाता के पोस्ता में पुल गिरने पर भी यही हुआ था. बनारस में जब पुल गिरा तब इस ट्रेंड का सबसे बुरा चेहरा नज़र आया था. Banaras bridge बनारस के मामले में जब जांच हुई तो पता लगा पुल सेतु निगम बनवा रहा था. जिन लोगों के नाम आए. वो चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर एचसी तिवारी, प्रोजेक्ट मैनेजर केआर सूदन, सहायक अभियंता राजेश सिंह और अवर अभियंता लालचंद शामिल हैं. इन नामों में हम जाति खोजकर नहीं दिखाएंगे. दावे करने वाले सुओ मोटो से देख लें कि कौन किस जाति का है. समझदार लोग क्या करें? चिंता करें. 2017 में एक सरकारी सर्वे आया था. देश के नेशनल हाइवेज पर बने 23 पुल सौ साल से पुराने हैं. 147 पुल खतरनाक स्थिति में हैं, जिन पर तत्काल ध्यान दिए जाने की जरुरत है. 6 हज़ार से ज्यादा पुल ऐसे हैं, जिनकी बनावट में खराबी आ गई है. इन पर कुछ किए जाने की जरूरत है. अपने नेताओं और अथॉरिटी का गला पकड़िए. उनसे सवाल कीजिए, जातियां खोजने में समय बर्बाद न कीजिए.
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