अमेठी की तिलोई विधानसभा सीट पर बीजेपी के मौजूदा विधायक मयंकेश्वर शरण सिंह जीत गए हैं. उन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मोहम्मद नईम को 27,829 वोटों के अंतर से हराया. मयंकेश्वर शरण सिंह को 99,472 वोट मिले, जबकि मोहम्मद नईम को 71,644 वोट मिले. तीसरे नंबर पर रहे कांग्रेस प्रत्याशी प्रदीप सिंघल को 21,978 वोट मिले.
मुसलमानों को सबक सिखाने की बात करने वाले BJP नेता मयंकेश्वर हारे या जीते?
मयंकेश्वर शरण सिंह अमेठी की तिलोई सीट से मैदान में थे


स्क्रीनशॉट: भारत निर्वाचन आयोग वेबसाइट
यूपी चुनाव में प्रचार के दौरान बीजेपी प्रत्याशी मयंकेश्वर शरण सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे सांप्रदायिक भाषा का इस्तेमाल करते हुए भड़काऊ भाषण देते नजर आए. इसमें उन्होंने मुस्लिम समुदाय पर हिंसा करने का आरोप लगाते हुए उन्हें सबक सिखाने की बात कही थी. इसके बाद मयंकेश्वर शरण सिंह के प्रचार पर चुनाव आयोग ने एक दिन के लिए रोक भी लगाई थी. वहीं मोहम्मद नईम कांग्रेस छोड़ सपा में शामिल हुए थे, जिसके बाद सपा ने उन्हें टिकट दिया था.
मयंकेश्वर शरण सपा में भी रह चुके हैं
तिलोई रियासत के राजा और बीजेपी प्रत्याशी मयंकेश्वर शरण सिंह का इस सीट पर इतिहास काफी पुराना है, वे एक बार सपा के टिकट पर भी विधायक रह चुके हैं. 1993 में भाजपा के टिकट पर मयंकेश्वर शरण सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी और कांग्रेस के विजय रथ को रोका था, क्योंकि इससे पहले 1994 से लेकर 1991 तक कांग्रेस का इस सीट पर कब्जा रहा था. वहीं 1996 के चुनाव में सपा के मो. मुस्लिम यहां से विधायक रहे. 2002 में एक बार फिर मयंकेश्वर शरण सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की. जिसके बाद उन्होंने पाला बदला और 2007 के विधानसभा चुनावों में सपा के टिकट पर जीते. फिर 2012 में सपा के टिकट पर उन्हें हार मिली तो, 2017 में उन्होंने वापस बीजेपी का दामन थामा.
तिलोई सीट का इतिहास
तिलोई, गांधी परिवार का गढ़ माने जाने वाले अमेठी जिले की 4 विधानसभाओं में से एक है. दरअसल तिलोई विधानसभा सीट पहले रायबरेली जिले में आती थी, बाद में अमेठी का गठन होने पर इसमें शामिल कर दिया गया. पिछले चुनाव में यहां बीजेपी के मयंकेश्वर शरण सिंह ने 49.1 प्रतिशत वोट शेयर के साथ बसपा के मोहम्मद सउद को 44047 वोट से हरा दिया था. इस चुनाव में कांग्रेस के विनोद मिश्रा तीसरे स्थान पर रहे थे. इससे पहले 2012 में कांग्रेस के डॉ. मोहम्मद मुस्लिम ने 33.12 प्रतिशत वोट शेयर लाकर सपा के मयंकेश्वर शरण सिंह को 2710 वोट से हराया था.
गांधी नेहरू परिवार का गढ़ होने के चलते अमेठी जिला हमेशा से ही राजनीति का केंद्र बिंदु रहा है. अमेठी की तिलोई सीट पर जातीय समीकरण देखे जाएं तो यहां ओबीसी और मुस्लिम मतदाताओं की काफी संख्या है. दोनों को मिलाकर करीब 40 प्रतिशत वोट हैं. यहां अनुसूचित जाति के लगभग 15 प्रतिशत वोट हैं. वहीं ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज के भी करीब 20 प्रतिशत वोट हैं. इसके अलावा राजा यहां जीत की गारंटी माने जाते रहे हैं. लेकिन इस बार तिलाई से सपा ने मुस्लिम प्रत्याशी नईम गुर्जर को टिकट दिया है, जो कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हुए हैं. इसी तिलाई सीट पर पूर्व विधायक डॉ. मुस्लिम के बेटे मो. सऊद ने भी टिकट की दावेदार कर रखी थी, जो बसपा छोड़कर सपा में आए हैं.
इस बार चुनाव में तिलोई की जनता के कई मुद्दे रहे. रोजगार के लिए बढ़ता पलायन, सिंचाई और पेयजल की यहां बड़ी समस्या है. गंदगी, सीवर जाम और जर्जर सड़कों को लेकर भी लोग यहां काफी परेशान हैं. जनता के मुद्दों के बीच इस चुनाव में तिलोई में ध्रुवीकरण की कोशिश भी हुई थी.