सुप्रीम कोर्ट ने 2020 दिल्ली दंगों के एक मामले में आरोपी ताहिर हुसैन को कस्टडी परोल दे दी है (Tahir Hussain custody parole). ताहिर हुसैन आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद हैं. दिल्ली चुनाव 2025 में वो AIMIM के टिकट से चुनाव मैदान में हैं. ताहिर हुसैन चुनाव में प्रचार करने के लिए कोर्ट से राहत मांग रहे थे. 28 जनवरी को शीर्ष अदालत ने उनकी सुन ली. अब AIMIM प्रत्याशी 29 जनवरी से 3 फरवरी तक चुनाव प्रचार कर सकेंगे. हालांकि इस राहत के बदले उन पर कई शर्तें लगाई गई हैं.
ताहिर हुसैन रोज जेल से बाहर आएंगे, चुनाव प्रचार करेंगे, फिर जेल चले जाएंगे
Supreme Court ने Tahir Hussain को लगभग 4 लाख रुपये की जमानत राशि पर और कई शर्तों के साथ जमानत दी है. अब वे Delhi Election में चुनाव प्रचार कर सकेंगे. कोर्ट ने उन्हें जेल से चुनाव लड़ने की एडवाइज भी दी.
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इंडिया टुडे से जुड़ीं सृष्टि ओझा की रिपोर्ट के मुताबिक, ताहिर हुसैन को दो लाख रुपये प्रतिदिन के जुर्माने पर परोल मिली है. कस्टडी परोल के तहत पूर्व AAP काउंसलर रोज जेल से बाहर आएंगे. 12 घंटे तक चुनाव प्रचार कर सकेंगे. फिर वापस जेल जाएंगे. ये सिलसिला पूरे छह दिन चलेगा. इस दौरान अपनी सुरक्षा का खर्च उन्हें खुद उठाना होगा.
सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने इन शर्तों के साथ ताहिर हुसैन को कस्टडी परोल दी है. इस बेंच में जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता शामिल हैं. कोर्ट ने ताहिर को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक प्रचार करने की इजाजत दी है. इसके बाद उन्हें हर रात जेल लौटना होगा. वो अपने घर नहीं जा सकते. उन्हें अपने वकील द्वारा दिए गए पते पर या क्राउन प्लाजा गेस्ट हाउस में ठहरना होगा. ताहिर को अपनी सुरक्षा के साथ जेल वैन का खर्च भी उठाना होगा. रिपोर्ट के मुताबिक इस पर प्रतिदिन 2 लाख 7,429 रुपये का खर्च आएगा. उन्हें दो दिन का एडवांस देने का निर्देश दिया गया है.
परोल पर रहते हुए ताहिर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दे सकते. वो अदालत में लंबित मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. हालांकि वो पार्टी कार्यालय और मीटिंग्स में शामिल हो सकते हैं और केवल अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार कर सकते हैं.
ताहिर हुसैन पर क्या आरोप हैं?ताहिर हुसैन, साल 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों में आरोपी हैं. उन पर खुफिया ब्यूरो कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या में शामिल होने समेत कई गंभीर आरोप हैं. इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों घायल हुए थे. इससे पहले 14 जनवरी के दिन दिल्ली हाई कोर्ट ने उन्हें अंतरिम जमानत देने से इनकार किया था, लेकिन नामांकन दाखिल करने के लिए कस्टडी परोल दी थी. सुप्रीम कोर्ट में भी उनकी अंतरिम जमानत याचिका पर 22 जनवरी को विभाजित निर्णय दिया था.
आज की सुनवाई में क्या हुआ?एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) SV राजू ताहिर की जमानत का विरोध कर रहे थे. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उनसे पूछा कि आपने नामांकन के लिए कस्टडी परोल का विरोध क्यों नहीं किया? इस पर ASG ने बताया कि हुसैन, नामांकन दाखिल करने के बाद जेल वापस आ गए थे. इस पर कोर्ट ने तर्क दिए कि इस मामले में भी हुसैन वापस आ सकते हैं. ASG ने इस बात पर जोर दिया कि आखिरकार इसका फैसला तो करना ही होगा जो एक मिसाल कायम करेगा.
इसके बाद ASG ने कोर्ट को ताहिर की सुरक्षा और जेल वैन के खर्चों का विवरण दिया. साथ ही ये बात भी नत्थी की कि अगर हुसैन दिनभर बाहर रहने की बजाय जेल लौट आते हैं, तो खर्च आधा हो जाएगा.
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ताहिर हुसैन का पक्षहुसैन के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने इसका विरोध करते हुए उदाहरण दिए. उन्होंने कहा, “सह-आरोपी को UAPA मामले में परीक्षा देने के लिए दो हफ्ते की कस्टडी परोल दी गई थी, और तब केवल 50 हजार रुपये खर्च हुआ था. इस पर कोर्ट ने कहा कि परीक्षा देना और चुनाव प्रचार करना अलग है. चुनाव प्रचार के लिए ज्यादा सुरक्षा की जरूरत होती है.”
कोर्ट ने ताहिर को जेल से ही चुनाव लड़ने की सलाह दी. कहा कि इसके लिए बाहर आने की जरूरत नहीं है. जेल से चुनाव लड़ने पर आपको अधिक सहानुभूति मिलेगी. हालांकि ताहिर की तरफ से कस्टडी परोल की मांग की जाती रही.
सुनवाई के दौरान ASG ने जमानत राशि को 7 दिन पहले जमा करने पर जोर दिया. उन्होंने तर्क दिए कि कई मामलों में हमें अग्रिम भुगतान नहीं दिया गया. इस पर हुसैन के वकील ने दो दिनों का खर्च एडवांस में जमा करने की बात रखी जिसे कोर्ट ने मान लिया.
वीडियो: Supreme Court के सामने दिल्ली चुनावों को लेकर वकीलों ने क्या बताया?