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Nitish और Naidu विशेष राज्य का दर्जा तो मांग रहे हैं, लेकिन ये नियम उम्मीदों पर पानी ना फेर दे!

Special State Demands: स्पेशल कैटेगरी स्टेट्स (SCS) क्या है? SCS के फायदे क्या हैं? Nitish Kumar और Chandrababu Naidu की इस मांग को पूरा करना BJP के लिए क्यों मुश्किल है?

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नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ने SCS की मांग की है.

Nitish Kumar and Chandrababu Demands: NDA की नई बनने वाली सरकार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) ‘किंगमेकर’ की भूमिका में हैं. इन दोनों के सहयोग के बिना NDA का सरकार बना पाना मुश्किल है. ऐसे में दोनों नेताओं के मांगों की अहमियत काफी ज्यादा है. मंत्री पदों के अलावा बिहार के वर्तमान और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने-अपने राज्यों के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग की है. दोनों नेताओं की ये मांग नई नहीं है. कई सालों से इसकी मांग की जा रही है. इस आर्टिकल में समझेंगे कि आखिर विशेष राज्य के दर्जे का कॉन्सेप्ट क्या है? और फिलहाल किसी राज्य को स्पेशल स्टेट का दर्जा देने के लिए कौन-सी चुनौतियां हैं.

स्पेशल कैटेगरी स्टेट्स (SCS) क्या है?

साल 1969 में भारत के पांचवें वित्त आयोग की सिफारिश पर कुछ राज्यों के लिए स्पेशल कैटेगरी स्टेट्स की शुरुआत की. केंद्र सरकार ने उन राज्यों के विकास के लिए सहायत प्रदान की, जो सामाजिक, आर्थिक या भौगोलिक रूप से पिछड़े हुए हैं. SCS का दर्जा देने से पहले इन बिंदुओं पर विचार किया जाता है-

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  • राज्य का पहाड़ी और दुर्गम भूभाग
  • जनसंख्या घनत्व कम हो या जनजातीय आबादी ज्यादा हो
  • अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के साथ एक रणनीतिक स्थान हो
  • आर्थिक और इंफ्रास्ट्रक्चर के आधार पर पिछड़ा हो
  • राज्य का फाइनेंस सिस्टम अलाभकारी प्रकृति का हो (नुकसान की स्थिति में)

11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया. ये राज्य हैं- असम, नगालैंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, उत्तराखंड और तेलंगाना. भारत के सबसे नए राज्य तेलंगाना को ये दर्जा इसलिए दिया गया क्योंकि वो एक अन्य राज्य आंध्र प्रदेश से अलग होकर बना था.

SCS के फायदे क्या हैं?

स्पेशल कैटेगरी स्टेट्स वाले राज्यों को केद्र की योजनाओं के लिए 90 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में और 10 प्रतिशत राशि कर्जे के रूप में दिया जाता है. जबकि सामान्य राज्यों को 30 प्रतिशत राशि अनुदान और 70 प्रतिशत राशि लोन के रूप में दिया जाता है. इसके अलावा SCS वाले राज्यों के लिए जरूरी प्रोजेक्ट्स के लिए विशेष सहायता प्रदान की जाती है. वित्तीय वर्ष के अंत में विशेष राज्यों के बचे हुए पैसे भी लैप्स नहीं होते. टैक्स के मामले में इन राज्यों को राहत दी जाती है.

Bihar को क्यों नहीं मिल सकता Special Category Status?

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 14वें वित्त आयोग की सिफारिश के बाद इस सिस्टम को खत्म कर दिया गया. सुझाव दिया गया कि राज्यों के संसाधन के अंतर को खत्म करने के लिए टैक्स का हस्तांतरण मौजूदा 32% से बढ़ाकर 42% करना चाहिए.

इन राज्यों ने स्पेशल कैटेगरी की मांग की-

  • साल 2000 में खनिजों के मामले में धनी राज्य झारखंड बिहार से अलग हो गया. इसके बाद से ही बिहार के लिए स्पेशस कैटेगरी की मांग होने लगी. साल 2006 में नीतीश कुमार ने इस मांग को जोर दिया. और इसके बाद समय-समय पर इसकी मांग करते रहे. उन्होंने इसे अपने चुनावी मुद्दों में भी शामिल किया था.
  • 2014 में आंध्र प्रदेश से तेलंगाना अलग हुआ. हैदराबाद शहर तेलंगाना का हिस्सा बना. इससे राजस्व को होने वाले नुकसान को आधार बनाकर आंध्र प्रदेश के लिए स्पेशल कैटेगरी स्टेट्स की मांग की गई.
  • एक बड़ी आदिवासी आबादी और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं को आधार बनाकर ओडिशा ने भी इस मांग को दोहराया.

हालांकि, समय-समय पर केंद्र सरकार ने 14वें वित्त आयोग की सिफारिश का हवाला देकर इन राज्यों की इस मांग को किनारा करती रही है.

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Andhra Pradesh से किया गया था SCS का वादा?

तेलंगाना जब आंध्र प्रदेश से अलग हुआ, तब राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र की UPA सरकार ने आंध्र प्रदेश को SCS देने का वादा किया था. 2014 में सरकार बदल गई. नरेंद्र मोदी की NDA सरकार से चंद्रबाबू नायडू और वाई एस जगन मोहन रेड्डी ने SCS की अपील की. चंद्रबाबू नायडू 2014 से 2019 तक राज्य के CM रहें. वहीं 2019 से 2024 तक वाई एस जगन मोहन रेड्डी यहां के मुख्यमंत्री रहें. एक बार फिर से 2024 में चंद्रबाबू नायडू का मुख्यमंत्री बनना तय हो गया है.

आंध्र प्रदेश और बिहार को कैसे मिलेगा SCS?

जैसा कि ऊपर बताया इस सिस्टम को खत्म कर दिया गया है. लेकिन चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की मांग NDA सरकार बनने और अगले 5 सालों तक बने रहने के लिए अत्यंत आवश्यक है. ऐसे में नई सरकार के पास नए कानून या मौजूदा कानून में बदलावों का ही विकल्प बचता है.

Nitish Kumar, Narendra Modi, Chandrababu Naidu
NDA की बैठक में नरेंद्र मोदी के साथ नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू. (तस्वीर साभार: PTI)

सूत्रों के मुताबिक, SCS के अलावा नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के लिए केंद्र 3 मंत्री पद की मांग की है. वहीं चंद्रबाबू नायडू ने TDP के लोकसभा स्पीकर के पद की मांग की है. इसके अलावा पांच या उससे ज्यादा मंत्री पदों की भी मांग की गई है.

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कितने जरूरी हैं नीतीश और चंद्रबाबू?

लोकसभा चुनाव 2024 में NDA को 293 सीटों पर जीत मिली है. बहुमत के लिए 272 सीटों की जरूरत है. NDA के 293 में नीतीश के 12 सांसद और चंद्रबाबू नायडू की पार्टी TDP के 16 सांसद शामिल हैं. इन दोनों की गैर-मौजूदगी में NDA के पास 265 सीटें बचती हैं. यानी इन दोनों के बिना NDA के लिए सरकार बनाना फिलहाल तो मुश्किल है.

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