उत्तर प्रदेश की पीलीभीत लोकसभा सीट (Pilibhit Loksabha) भाजपा प्रत्याशी जितिन प्रसाद ने 1 लाख 64 हजार 935 वोटों से जीत ली है. जितिन को कुल 6 लाख 7 हजार 158 वोट मिले. समाजवादी पार्टी के भगवत शरण गंगवार चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे. उन्हें 4 लाख 42 हजार 223 वोट मिले. वहीं बसपा के अनीस अहमद खान उर्फ फूल बाबू 89 हजार 697 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे.
Pilibhit Loksabha Result: BJP ने वरुण गांधी को नहीं दिया था टिकट, अब कौन जीता?
पिछले लोकसभा चुनाव में पीलीभीत सीट भाजपा ने जीती थी. पार्टी के उम्मीदवार वरुण गांधी को 7 लाख 4 हजार 549 वोट मिले थे. लेकिन इस बार पार्टी ने उनका टिकट काट दिया.

पिछले लोकसभा चुनाव में पीलीभीत सीट भाजपा ने जीती थी. पार्टी के उम्मीदवार वरुण गांधी को 7 लाख 4 हजार 549 वोट मिले थे. समाजवादी पार्टी के हेमराज वर्मा को 4 लाख 48 हजार 922 वोट मिले थे. वो दूसरे नंबर पर रहे थे.
2014 का रिजल्ट2014 के आम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. मेनका को 5 लाख 46 हजार 934 वोट मिले थे. समाजवादी पार्टी के बुधेश वर्मा को 2 लाख 39 हजार 882 वोट मिले थे. वहीं बसपा के अनीस अहमद उर्फ फूल बाबू को 1 लाख 96 हजार 294 मत हासिल हुए थे.
पीलीभीत सीट मेनका गांधी, वरुण गांधी का गढ़ मानी जाती है. पिछले 3 दशक से संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी या उनके बेटे वरुण गांधी इस सीट पर जीतते रहे. मेनका गांधी ने इस सीट पर पहली बार साल 1989 में जीत दर्ज की थी. उनको जनता दल ने उम्मीदवार बनाया था. साल 1996 के बाद से लगातार इस सीट पर वो चुनाव जीतती आई हैं. मेनका गांधी अब तक कुल 6 बार सांसद चुनी गई हैं. जबकि वरुण गांधी 2 बार सांसद बने हैं. 2009 में मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी पहली बार पीलीभीत सीट से सांसद बने थे. फिर 2014 में वरुण सुल्तानपुर चले आए और मेनका ने फिर से यहां जीत हासिल की. 2019 में मां-बेटे की सीट में अदला-बदली हुई और वरुण वापस पीलीभीत से सांसद बने. जबकि मेनका गांधी सुल्तानपुर से चुनाव जीती थीं.
वरुण रहे थे सरकार पर हमलावरइस बार दोनों ही इस सीट से उम्मीदवार नहीं थे. मेनका सुल्तानपुर से चुनाव मैदान में हैं. जबकि वरुण का टिकट पार्टी ने काट दिया. वरुण गांधी पूरे 5 साल के कार्यकाल में मोदी सरकार की आलोचना करते रहे. विधानसभा चुनाव में अपनी ही पार्टी की योगी सरकार पर हमलावर रहे. पार्टी की ओर से मिलने वाली जिम्मेदारियों से बचते रहे. महंगाई, किसान आंदोलन, अग्निवीर, पेपर लीक जैसे मुद्दों पर सरकार का विरोध किया. कहा गया कि इसलिए उनका टिकट काट दिया गया.
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