महाराष्ट्र की चर्चित नागपुर सीट के रूझानों ने इस बात को साफ कर दिया है कि नितिन गडकरी एक बार फिर सांसद बनकर लोकसभा पहुंच रहे हैं. गडकरी कांग्रेस के विकास ठाकरे से लगभग एक लाख 20 हजार वोट से आगे चल रहे हैं. खबर लिखे जाने तक गडकरी के खाते में 5 लाख 76 हजार वोट आए हैं. वहीं ठाकरे को साढ़े 4 लाख वोट मिले हैं. इस सीट पर तीसरे नंबर पर बसपा के योगिराज हैं. उनके खाते में 17 हजार से भी कम वोट आ रहे हैं.
Nagpur Loksabha Results: नागपुर से कभी नहीं हारे नितिन गडकरी का इस बार क्या हुआ?
पिछले दो बार से Nitin Gadkari इसी सीट से जीतकर केंद्र में सड़क एवं परिवहन मंत्रालय संभाल रहे हैं.
2019 में नितिन गडकरी ने इस सीट पर दूसरी बार जीत दर्ज की. गडकरी ने कांग्रेस के नाना पटोले को 2 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था. गडकरी को 6 लाख 60 हजार वोट मिले थे. जबकि पटोले को 4 लाख 44 हजार वोट मिले. तीसरे नंबर पर बसपा के मोहम्मद जमाल रहे. जिन्हें 32 हजार से भी कम वोट मिले थे.
2014 का चुनाव2014 में गडकरी पहली बार इस सीट से चुनाव लड़े. उन्हें 5 लाख 87 हजार वोट मिले. जबकि कांग्रेस के विलास मुत्तेमवार को करीब 3 लाख 3 हजार वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर बसपा के मोहन गायकवाड़ को करीब एक लाख वोट मिले थे.
इस सीट के इतिहास की बात करें तो नागपुर लोकसभा सीट बनने के बाद 2014 तक बीजेपी को केवल एक बार इस सीट पर जीत मिली थी. 1996 के चुनाव बनवारी लाल पुरोहित पहली बार बीजेपी से जीते थे. लेकिन 1998 में फिर से कांग्रेस से बीजेपी को साफ कर दिया. उसके बाद नितिन गडकरी ने आकर ही इस सीट पर बीजेपी का सूखा खत्म कराया.
नागपुर सीट के समीकरणसंतरों के अलावा देश में नागपुर इसलिए भी चर्चित है क्योंकि यहां राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का हेडक्वॉटर है. 99 साल पहले RSS की स्थापना हुई थी. तब केशव बलिराम हेडगेवार ने हेडक्वॉटर अपने शहर नागपुर को ही चुना. बावजूद इसके 2014 से पहले भापजा का इस सीट पर कभी दबदबा नहीं रहा. यहां तक कि 1999 तक खाता ही नहीं खुला था. लेकिन RSS के प्रिय माने जाने वाले गडकरी ने जब से इस सीट से ताल ठोकी, बीजेपी हारी नहीं है.
इस चुनाव की बात करें तो, मजबूत स्थिति में नजर आ रहे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के खिलाफ इस बार विपक्ष लामबंद नजर आया. INDIA गठबंधन की तरफ से कांग्रेस के विकास ठाकरे मैदान में थे. जिन्हें गठबंधन के दल, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की NCP का समर्थन तो मिला ही था. प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी ने भी उन्हें समर्थन देने का ऐलान कर दिया था. इसके अलावा AIMIM ने भी अपना कोई प्रत्याशी नागपुर से नहीं उतारा. जिसे कांग्रेस के कैंडिटेड के लिए अच्छा संकेत माना जा रहा था. इसके अलावा मायावती ने अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत नागपुर से ही की थी. हालांकि, उनके प्रत्याशी को पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार करीब आधे वोटों पर सिमट गए हैं.
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