उत्तर प्रदेश की मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट (Meerut Lok Sabha Election 2024 result) भाजपा के उम्मीदवार अरुण गोविल ने 10 हजार 585 वोटों के अंतर से जीत ली है. गोविल को कुल 5 लाख 46 हजार 469 वोट मिले. सीट पर समाजवादी पार्टी की सुनीता वर्मा दूसरे नंबर पर रहीं. उनको 5 लाख 35 हजार 884 वोट मिले. बसपा के देववृत्त कुमार त्यागी को 87 हजार 25 वोट हासिल हुए.
Meerut Loksabha Result: 'रामायण' वाले अरुण गोविल मामूली अंतर से जीते
अरुण गोविल को कुल 5 लाख 46 हजार 469 वोट मिले. सीट पर समाजवादी पार्टी की सुनीता वर्मा दूसरे नंबर पर रहीं. उनको 5 लाख 35 हजार 884 वोट मिले. बसपा के देववृत्त कुमार त्यागी को 87 हजार 25 वोट हासिल हुए.

2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी राजेंद्र अग्रवाल ने मेरठ से चुनाव जीता था. उन्हें 5 लाख 86 हजार 184 वोट मिले थे. रनर अप रहे थे बसपा के उम्मीदवार हाजी मोहम्मद याकूब. उनको 5 लाख 81 हजार 455 वोट मिले थे. बसपा महज 4 हजार 729 वोटों से हारी थी. वहीं कांग्रेस के हरेंद्र अग्रवाल को 34 हजार 479 वोट ही मिल पाए थे.
2014 का रिजल्ट2014 लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने ये सीट जीती थी. राजेंद्र अग्रवाल को 5 लाख 32 हजार 981 वोट मिले थे. बसपा के मोहम्मद शाहिद अखलाक को 3 लाख 655 वोट हासिल हुए थे. वहीं समाजवादी पार्टी के शाहिद मंसूर को 2 लाख 11 हजार 759 वोट मिले थे.
समाजवादी पार्टी ने मेरठ लोकसभा सीट पर दो बार उम्मीदवार बदले. पहले यहां से सपा ने भानु प्रताप सिंह को उतारा था. लेकिन एक अप्रैल को अचानक पार्टी ने मेरठ से अतुल प्रधान के नाम की घोषणा कर दी. प्रधान मेरठ की सरधना सीट से सपा के विधायक हैं. इसके बाद सपा ने सरधना से विधायक अतुल प्रधान का टिकट काटकर सुनीता वर्मा को दे दिया. सुनीता वर्मा पूर्व विधायक और सपा के सीनियर नेता योगेश वर्मा की पत्नी हैं.
समाजवादी पार्टी के नेताओं का मानना था कि अतुल की उम्मीदवारी से मेरठ का मुकाबला अब एकतरफा नहीं रहेगा. इससे पहले, पार्टी के भीतर कई लोग भानु प्रताप की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे थे. उन्हें 'बाहरी' माना जा रहा था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भानु प्रताप साहिबाबाद के रहने वाले हैं और सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं. साल 2017 में उन्होंने अपना राजनीतिक दल जनहित संघर्ष पार्टी लॉन्च कर सिकंदराबाद सीट से चुनाव लड़ा था. लेकिन उन्हें 1000 से कुछ ज्यादा वोट मिले थे.
कहा जा रहा था कि अखिलेश ने बीएसपी को टक्कर देने के लिए भानु प्रताप को टिकट दिया था. भानु दलित समुदाय से आते हैं. मेरठ सीट पर इस समुदाय के करीब 19 फीसदी वोटर हैं. लेकिन पहले ही उन पर बाहरी होने का टैग लग गया. इसके बाद, बीजेपी ने अरुण गोविल को उम्मीदवार बनाकर अखिलेश को दोबारा सोचने पर मजबूर कर दिया.
मेरठ पश्चिमी यूपी की राजनीति का एक महत्वपूर्ण एपिसेंटर माना जाता है. पिछले तीन चुनावों से बीजेपी लगातार यहां से जीत रही है. लेकिन इस बार पार्टी ने तीन बार के सांसद राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काट दिया. और अरुण गोविल को उम्मीदवार बनाकर रिस्क लिया जो काम कर गया.
पिछले चुनाव में सपा और बसपा ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था. लेकिन इस बार दोनों पार्टियां अलग लड़ रही थीं. अरुण गोविल मेरठ के ही रहने वाले हैं. वो साल 2021 में बीजेपी में शामिल हुए थे. रामानंद सागर के टीवी सीरियल 'रामायण' में राम के किरदार से चर्चित हुए गोविल पर बीजेपी ने बड़ा दांव चला. गोविल भी खुद इसे भुना रहे थे. अपने पहले चुनावी सभा में उन्होंने अपनी ‘घर वापसी’ का जिक्र किया, जिसे कुछ लोगों ने ‘राम के वनवास से लौटने’ कह कर प्रचारित किया.
मेरठ लोकसभा सीट पर इस बार मतदान 58.70 प्रतिशत हुआ. यहां कुल मतदाता 19 लाख 97 हजार 530 हैं. इनमें से 11 लाख 72 हजार 551 लोगों ने मतदान किया था. इस बार मतदान का प्रतिशत पिछले बार के मुकाबले 5.55 प्रतिशत कम रहा. 2019 में मेरठ सीट पर 64.25 प्रतिशत मतदान हुआ था.
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