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Bengaluru South Loksabha Seat Result: बेंगलुरु से दूसरी बार जीते तेजस्वी सूर्या

Tejasvi Surya Seat Results 2024: इंडिया टुडे के Axis My India एग्ज़िट पोल के अनुमान के हिसाब से भी तेजस्वी सूर्या ही इस सीट से मज़बूत दावेदार थे.

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तेजस्वी सूर्या पिछली बार से कम अंतर से जीते हैं.

कर्नाटक की बेंगलुरु दक्षिण (Bengaluru South) सीट से भारतीय जनता पार्टी के फ़ायर ब्रांड नेता और मौजूदा सांसद तेजस्वी सूर्या (Tejasvi Surya) 2,77,083 के अंतर से जीत गए हैं. उन्हें कुल साढ़े सात लाख के क़रीब वोट मिले हैं. उनके बरक्स कांग्रेस के टिकट से सौम्या रेड्डी (Sowmya Reddy) को 4,73,747 वोट मिले हैं.

इंडिया टुडे के Axis My India एग्ज़िट पोल के अनुमान के हिसाब से भी तेजस्वी सूर्या ही इस सीट से मज़बूत दावेदार थे.

सीट और समीकरण

बेंगलुरु दक्षिण. भूगोल के लिहाज़ से भारत की सिलिकॉन वैली (बेंगलुरू) की सबसे बड़ी सीट. ऊंची-ऊंची कांच की इमारतों, आईटी पार्क्स और आलीशान रिहायशी इलाक़ों के लिए जानी जाती है. मगर रहने वालों की एक बड़ी आबादी झुग्गी-झोपड़ियों में रहती है.

कुल आठ विधानसभा क्षेत्र हैं. बसवनगुडी, बीटीएम लेआउट, बोम्मनहल्ली, चिकपेट, गोविंदराज नगर, जयनगर, पद्मनाभनगर और विजयनगर इनमें से पांच सीटों पर भाजपा के विधायक हैं और तीन पर कांग्रेस के. बीते पांच-छह चुनावों के नतीजे देखेंगे, तो आपको भाजपा और कांग्रेस वोटरों की संख्या भी इसी अनुपात में दिखेगी. 60-40 के आसपास.

2014 - भाजपा 56.91% | कांग्रेस 36.39%

2019 - भाजपा 62.2% | कांग्रेस 34.33%

ये लोकसभा सीट भाजपा का 'गढ़' रही है, और 1991 के बाद से यहां एक भी चुनाव नहीं हारी है. भारतीय जनता पार्टी के हेगन्नाहल्ली नारायण शास्त्री 'अनंत कुमार'. बेंगलुरु दक्षिण से छह बार सांसद चुने गए. 1996 से 2014 तक. कैंसर की वजह से 2018 में गुज़र गए.

असामयिक मौत की वजह से भाजपा को 2019 में एक नया चेहरा उतारना पड़ा. मगर अपने भाषा और भाषण की वजह से तेजस्वी सूर्या तब तक पर्याप्त पॉपुलर हो चुके थे. 2019 में अपना पहला चुनाव लड़ा, और 3.3 लाख से ज़्यादा के अंतर से जीते. मात्र 29 साल की उम्र में 17वीं लोकसभा के सबसे कम-उम्र सांसद बन गए.

हालांकि, इस बार ख़बर थी कि प्रदेश के परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी की बेटी सौम्या रेड्डी से सूर्या को कड़ी चुनौती मिल रही है. सौम्या जयनगर से पूर्व-विधायक हैं. पिछले साल विधानसभा चुनाव में मात्र 16 वोटों से हार गई थीं. ये सीट कांग्रेस के प्रत्याशियों के पास 1989 थी.

रेड्डी और उनके पिता की पकड़ बीटीएम लेआउट, जयनगर और गोविंदराज नगर जैसे इलाक़े पर हैं. उन्हें यहीं से अधिकतम सपोर्ट की उम्मीद थी. वहीं, सूर्या को बसवनगुडी, बोम्मनहल्ली और पद्मनाभनगर समर्थन था. तेजस्वी सूर्या के चाचा रवि सुब्रमण्य बसवनगुडी से विधायक भी हैं. मगर उनका असर चला नहीं.

भाजपा के खिलाफ़ माहौल बनाने के लिए कांग्रेस अपनी पांच गारंटियों पर आश्रित थी. स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि अपने प्रचार अभियान के दौरान सौम्या रेड्डी अपनी हर रैली में लोगों को कांग्रेस की गारंटियां याद दिलाती थीं. जबकि तेजस्वी सूर्या बाक़ी और भाजपा उम्मीदवारों की तरह ही नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की तारीफ़ पर चुनाव अभियान बिल्ड किया.

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