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Loksabha Election Results: जेल से चुनाव जीतने वाले ये उम्मीदवार सांसदी की शपथ कैसे लेंगे?

इस लोकसभा चुनाव में कम से कम ऐसे दो उम्मीदवारों के नाम याद पड़ते हैं जिन्होंने बीजेपी, कांग्रेस या अमीर निर्दलीय कैंडिडेट की तरह बड़ी-बड़ी रैलियां या रोड शो करके नहीं, बल्कि जेल में रहते हुए ही चुनाव जीत लिया है.

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जेल से चुनाव जीते अमृतपाल सिंह और इंजीनियर रशीद. (Image: India Today)

लोकसभा चुनाव के नतीजों (Loksabha Elections Results 2024) ने सबको चौंकाया है. एग्जिट पोल के बाद बीजेपी और उसके समर्थकों ने बिल्कुल नहीं सोचा होगा कि पार्टी बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर पाएगी. लेकिन ऐसा हुआ. साथ ही चौंकाया कुछ 'खास' उम्मीदवारों ने. इस लोकसभा चुनाव में कम से कम ऐसे दो उम्मीदवारों के नाम याद पड़ते हैं जिन्होंने बीजेपी, कांग्रेस या अमीर निर्दलीय कैंडिडेट की तरह बड़ी-बड़ी रैलियां या रोड शो करके नहीं, बल्कि जेल में रहते हुए ही चुनाव जीत लिया है. ये दो नाम हैं इंजीनियर रशीद और अमृतपाल सिंह.

अब्दुल रशीद शेख इंजीनियर

अब्दुल रशीद पहले कंस्ट्रक्शन इंजीनियर थे. उन्होंने 2008 में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया. वो मात्र 17 दिनों के कैम्पेन के बाद कश्मीर के कुपवाड़ा ज़िले की लंगेट सीट से विधायक चुन लिए गए थे. 2008 के बाद 2014 में भी बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीते थे.

साल 2005 में SOG ने आतंकवादियों का समर्थन करने के आरोप में इंजीनियर रशीद को गिरफ़्तार किया था. राष्ट्रविरोधी गतिविधियों के आरोप में उन्हें तीन महीने 17 दिन जेल में बिताने पड़े थे. बाद में श्रीनगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मानवीय आधार पर उनके ख़िलाफ़ सभी आरोप हटा दिए.

अक्टूबर 2015 में एक और विवाद हुआ था. जम्मू-कश्मीर विधानसभा के अंदर भाजपा विधायकों ने उन पर हमला किया था, स्याही फेंकी थी. क्योंकि उन्होंने सरकारी सर्किट लॉन में एक पार्टी आयोजित की थी, जिसमें कथित तौर पर बीफ़ सर्व हुआ था.

2019 में NIA ने उन्हें UAPA के एक केस में गिरफ़्तार किया था. इस केस में प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख और नामित आतंकवादी हाफ़िज़ सईद का भी नाम आरोपी के तौर पर दर्ज है. इसी केस में इंजीनियर जेल में कैद हैं.

रशीद ने लोकसभा चुनाव कश्मीर की बारामूला सीट से लड़ा. सामने थे पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर उब्दुल्ला. रशीद ने उमर को 2 लाख से भी ज्यादा मतों के अंतर से हराया है. उन्हें 4 लाख 72 हजार 481 लोगों ने वोट किया. वहीं उमर को 2 लाख 68 हजार 339 वोट मिले.

अमृतपाल सिंह

पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट की चर्चा अमृतपाल सिंह की वजह से ही शुरू हुई थी. वो राष्ट्रीय सुरक्षा कानून यानी NSA के तहत असम की जेल में बंद हैं. अमृतपाल सिंह ‘वारिस पंजाब दे’ नाम के संगठन के लीडर हैं जो खालिस्तान का समर्थन करता है. इस संगठन से जुड़े लोगों ने 23 फरवरी, 2023 को पंजाब के अजनाना में एक पुलिस स्टेशन में धावा बोल दिया था. वे संगठन से जुड़े लोगों पर पुलिस की कार्रवाई से बेहद गुस्से में थे. पुलिस स्टेशन में जबरन घुसने वालों में खुद अमृतपाल शामिल थे.

इस घटना के बाद उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया. लेकिन अमृतपाल फरार हो गए. कई दिनों तक पुलिस को नहीं मिले. बीच-बीच में उनकी तस्वीरें आईं, लेकिन पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पाई. बाद में एक गुरुद्वारे में उन्होंने सरेंडर कर दिया. उन पर NSA लगाया गया. तब से ही वो असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं.

जेल में रहते हुए ही अमृतपाल ने सांसद बनने की इरादा किया और खडूर साहिब से पर्चा भर दिया. नतीजा बता रहा है कि लोगों ने उन्हें संसद में उनके प्रतिनिधि के तौर पर समर्थन दिया है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक अमृतपाल को कुल 4 लाख 4430 वोट मिले. वहीं उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार कुल्बीर सिंह को 2 लाख 7,310 लोगों ने वोट किया. अमृतपाल ने उन्हें 1 लाख 97 हजार 120 वोटों से हराया है. 

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कैसे लड़ पाए जेल से चुनाव?

अमृतपाल सिंह और इंजीनियर रशीद अपने-अपने मामलों के आरोपी हैं, जो साबित नहीं हुए हैं. नियम कहते हैं कि आरोप सिद्ध ना हों तो किसी को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के मुताबिक हालांकि जेल में बंद नागरिक वोट नहीं दे सकते.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि आपराधिक दोष सिद्ध होने पर सांसदों और विधायकों को डिसक्वालिफाई किया जाए. अगर अमृतपाल और रशीद को दो साल तक की सजा हो जाती है, तो उन्हें अपनी संसद सदस्यता तत्काल प्रभाव से छोड़नी पड़ेगी.

शपथ कैसे लेंगे?

अमृतपाल और रशीद चुनाव तो जीत गए, लेकिन बतौर सांसद वो शपथ कैसे लेंगे, ये एक सवाल बनता है. समाचार एजेंसी पीटीआई ने यही सवाल संविधान एक्सपर्ट और लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी अचारी से किया. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक उन्होंने बताया कि सांसदी की शपथ लेना विजेताओं का संवैधानिक अधिकार है. लेकिन इसके लिए उन्हें विशेष प्रकिया से गुजरना होगा. पहले उन्हें संबंधित अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी कि उन्हें संसद में शपथ लेने वास्ते दिल्ली जाना है. अधिकारी उन्हें इसकी इजाजत देंगे जिसके बाद ही उन्हें जेल से निकाला जाएगा, दिल्ली लाया जाएगा, संसद पहुंचाया जाएगा, जहां वो शपथ लेंगे. अचारी के मुताबिक इसके बाद उन्हें वापस जेल जाना होगा.

पूर्व लोकसभा महासचिव ने आगे संविधान के अनुच्छेद 101 (4) का जिक्र किया जो संसद सदस्यों की अनुपस्थिति को एड्रेस करता है. अचारी ने बताया कि सांसदों को स्पीकर को बताना होगा कि वो क्यों सदन की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकते. इसके बाद स्पीकर उनकी रिक्वेस्ट को हाउस कमिटी ऑन ऐब्सेंस ऑफ मेंबर्स को फॉरवर्ड करेंगे. कमिटी फैसला लेगी कि उन्हें सदन से अनुपस्थित रहने की अनुमति होगी या नहीं. उसकी सिफारिश पर स्पीकर सदन में वोटिंग कराएंगे जिसके पारित होने के बाद कैदी सांसदों को संसद ना आने की अनुमति मिल जाएगी.

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