संसद में अपने दमदार भाषणों के लिए मशहूर तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता महुआ मोइत्रा पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से एक बार फिर सांसद बन गई हैं. महुआ ने बीजेपी उम्मीदवार अमृता राय को 56705 वोटों से हरा दिया. महुआ मोइत्रा को कुल 6,28,789 वोट मिले. वहीं, बीजेपी की अमृता राय के हिस्से 5,72,084 वोट आए. तीसरे उम्मीदवार CPM के एसएम सादी थे. उन्हें 1,80,201 वोट मिले हैं. इस सीट पर चौथे चरण में 13 मई को वोटिंग हुई थी.
Krishnanagar Loksabha Result: महुआ मोइत्रा से ली गई थी सांसदी, चुनाव से वापस मिली या नहीं?
पिछले साल दिसंबर में 'पैसों के बदले सवाल' पूछने के मामले में महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित कर दिया गया था.
महुआ मोइत्रा पिछले लोकसभा चुनाव में पहली बार यहां से चुनी गई थीं. पिछले साल दिसंबर में 'पैसों के बदले सवाल' पूछने के मामले में महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित कर दिया गया था. ये मामला अभी कोर्ट में पेंडिंग है.
राजनीति में आने से पहले महुआ इनवेस्टमेंट बैंकर थीं. 2009 में उन्होंने नौकरी छोड़कर राजनीति में एंट्री ली थी. पहले यूथ कांग्रेस के साथ जुड़ीं. फिर 2010 में तृणमूल कांग्रेस के साथ आ गईं. पार्टी में महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर काम किया. फिर 2016 के विधानसभा चुनाव में नदिया जिले की करीमपुर से चुनी गईं. 2019 में सांसदी लड़ने के लिए विधायकी छोड़ी. पिछले चुनाव में महुआ मोइत्रा ने बीजेपी नेता कल्याण चौबे को 63 हजार वोटों से हराया था.
लेकिन, संसद की सदस्यता जाने के बाद महुआ मोइत्रा के लिए ये चुनाव नाक का सवाल बना हुआ था. कैश फॉर क्वेरी विवाद के बाद उन्हें भी खुद को जनता के बीच साबित करना था. महुआ संसद के मुखर वक्ताओं मे गिनी जाती हैं. अपने धारदार भाषणों के लिए अक्सर चर्चा में रहती हैं.
वहीं, बीजेपी ने इस बार यहां से अपने उम्मीदवार को बदल दिया. पार्टी ने अमृता राय को चुनाव में उतारा. राय 18वीं शताब्दी के राजा कृष्णचंद्र राय के खानदान से हैं. इलाके में उन्हें राजमाता कहा जाता है. टिकट मिलने से ठीक पहले 20 मार्च को राय बीजेपी में शामिल हुई थीं. राजपरिवार से किसी व्यक्ति की पहली एंट्री है. अमृता के पिता किशोर मुखोपाध्याय जज थे.
बीजेपी इस सीट से 25 साल पुराने इतिहास को दोहराने की कोशिश में लगी थी. साल 1999 में यहां से बीजेपी के सत्यब्रत मुखर्जी ने चुनाव जीता था. लेकिन इसके बाद यहां दोबारा पार्टी की वापसी नहीं हो पाई.
इस सीट पर पिछले 15 सालों से तृणमूल कांग्रेस जीत रही है. लेकिन सालों तक ये सीट मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) का गढ़ रही. 1971 से 1998 तक लगातार पार्टी यहां जीतती रही. 1999 के चुनाव में भाजपा की जीत हुई. फिर 2004 में CPM के ज्योतिर्मयी सिकदर यहां से सांसद बन गए. लेकिन अब यहां 15 सालों से टीएमसी का कब्जा रहा है.
2009 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी नेता तापस पाल यहां से सांसद बने. फिर, 2014 में भी तापस पाल ने वापसी की. लेकिन 2019 में ममता बनर्जी ने तापस की जगह विधायक महुआ मोइत्रा को टिकट दिया. महुआ भी पहली बार में सांसद बन गई.
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