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'अभी ना जाओ छोड़कर...', लेकिन कर्नाटक BJP के ये धाकड़ नेता चले गए!

17 मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जा चुके हैं.

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पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार (बाएं), एस शंकर और लक्ष्मण सावदी (फोटो- पीटीआई/ट्विटर/फेसबुक)

कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka election 2023) में अब एक महीने से भी कम समय बचा है. हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी दल-बदल का खेल शुरू है. नेता अपनी महत्वाकांक्षाओं पर सवार होकर दूसरे दलों में जा रहे हैं या जाने की तैयारी कर चुके हैं. वजहें अलग-अलग हैं. कोई टिकट कटने से नाराज हैं तो कोई पार्टी में "अहमियत" नहीं मिलने से. 20 अप्रैल को नामांकन की आखिरी तारीख है. इसलिए कहा जा सकता है कि अभी ये जारी रहेगा. राज्य में सत्ताधारी बीजेपी से कई बड़े नेता पार्टी छोड़ कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. इनमें पूर्व मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री तक शामिल हैं.

जगदीश शेट्टार

चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी छोड़ने में सबसे बड़ा नाम है पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार का. 17 अप्रैल को शेट्टार कांग्रेस में शामिल हो गए. उम्मीदवारों की लिस्ट में नाम नहीं होने के बाद उन्होंने बीजेपी छोड़ दी थी. शेट्टार 6 बार के विधायक हैं. हुबली-धारवाड़ सेंट्रल सीट से चुनाव लड़ते थे. 11 अप्रैल को बीजेपी ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी थी. लिस्ट में नाम नहीं होने से वे निराश थे. उसी दिन शेट्टार ने मीडिया से कहा था कि उन्होंने पार्टी के लिए 30 साल से ज्यादा काम किया है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही था तो उन्हें 2-3 महीने पहले सूचित किया जा सकता था.

जगदीश शेट्टार RSS बैकग्राउंड से आते हैं. उनके पिता एसएस शेट्टार हुबली-धारवाड़ नगर निगम से 5 बार पार्षद बने थे. साउथ इंडिया के किसी शहर में वे जनसंघ के पहले मेयर थे. वहीं, उनके चाचा सदाशिव शेट्टार कर्नाटक में जनसंघ के पहले विधायक थे. जगदीश शेट्टार ने अपनी राजनीति अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से शुरू की थी. बाद में RSS के सक्रिय सदस्य बने. पहली बार 1994 में बीजेपी के टिकट पर विधायक बने. साल 2012 में जब बीजेपी खनन विवाद में फंसी, तब वो डीवी सदानंद गौड़ा की जगह कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे. करीब एक साल तक. साल 2012 से 2018 के बीच जब कर्नाटक में सिद्दारमैया की सरकार थी, शेट्टार विधानसभा में विपक्ष के नेता थे. उन्हें येदियुरप्पा का भी करीबी माना जाता है.

शेट्टार पिछले कुछ दिनों में बीजेपी छोड़ने वाले लिंगायत समुदाय के दूसरे बड़े नेता हैं. इससे पहले पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी ने बीजेपी छोड़ दी थी.

लक्ष्मण सावदी

11 अप्रैल को बीजेपी ने लक्ष्मण सावदी का भी टिकट काट दिया. अगले ही दिन उन्होंने MLC पद से इस्तीफा दिया और पार्टी भी छोड़ दी. 14 अप्रैल को लक्ष्मण सावदी कांग्रेस में शामिल हो गए. सावदी अपनी पुरानी सीट अथनी से टिकट का इंतजार कर रहे थे. इस सीट से तीन बार विधायक रह चुके हैं. साल 2018 में चुनाव हार गए. उस कांग्रेस नेता कुमाथल्ली से हारे, जो उस बागी समूह में शामिल थे जिसने कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार को गिराने में मदद की थी.

बीएस येदियुरप्पा की सरकार में करीब दो साल (2019-21) डिप्टी सीएम रहे. इससे पहले येदियुरप्पा की पुरानी सरकार में भी वो मंत्री (2008-2012) रह चुके थे. साल 2012 में सावदी विवादों में रहे थे, जब कर्नाटक विधानसभा में पॉर्न देखते हुए उनका एक वीडियो वायरल हो गया था. इस पर खूब विवाद हुआ. आखिरकार उन्हें मंत्रीपद से इस्तीफा देना पड़ा.

बीजेपी छोड़ने की घोषणा के बाद सावदी ने कहा कि वे किसी के आगे-पीछे भीख नहीं मांगेंगे, किसी के प्रभाव में आकर काम नहीं करते.

आर शंकर

टिकट नहीं मिलने के कारण बीजेपी MLC आर शंकर ने भी इस्तीफा दे दिया. शंकर भी उन नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने 2019 में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार गिराने में मदद की थी. 2018 में शंकर कर्नाटक प्रणयवंता जनता पार्टी (KPJP) से विधायक चुने गए थे. बाद में कांग्रेस में चले गए. 2019 में बगावत के बाद कर्नाटक विधानसभा से अयोग्य साबित हो गए. फिर बीजेपी में चले गए. लेकिन दिसंबर 2019 के उपचुनाव में बीजेपी ने टिकट नहीं दिया था. बाद में MLC बनाए गए. चर्चा है कि निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं.

एमपी कुमारास्वामी

बीजेपी में जिन मौजूदा विधायकों के टिकट कटे, उनमें एमपी कुमारास्वामी का नाम भी शामिल है. नाराज कुमारास्वामी ने पार्टी छोड़ दी और जेडीएस में शामिल हो गए. कुमारास्वामी मुडिगेरे सीट से विधायक थे. हालांकि जेडीएस ने पूर्व विधायक निनगैया को पहले ही इस सीट से टिकट दे दिया था. उन्होंने टिकट नहीं देने के लिए बीजेपी महासचिव सीटी रवि पर आरोप लगाया.

नेहरू ओलेकर

पार्टी छोड़ने वाले विधायकों की सूची में नेहरू ओलेकर भी शामिल हैं. टिकट नहीं मिलने से नाराज ओलेकर ने पार्टी छोड़ दी. ओलेकर हावेरी (SC) सीट से विधायक हैं. पार्टी छोड़ने के बाद ओलेकर ने दावा किया कि उन्हें जेडी(एस) और दूसरे दलों से भी ऑफर मिले हैं. हालांकि जेडी(एस) इस सीट पर पहले ही तुकाराम मलागी को टिकट दे चुकी है. ओलेकर को इसी साल भ्रष्टाचार के एक मामले में 2 साल की सजा हुई थी. बाद में कर्नाटक हाई कोर्ट ने सजा पर रोक लगा दी थी.

इसी तरह पूर्व मंत्री गूलीहट्टी शेखर ने भी टिकट नहीं मिलने पर बीजेपी छोड़ दिया. उन्होंने कहा कि वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे. चित्तापुर से तीन बार के विधायक विश्वनाथ पाटिल ने भी पार्टी छोड़ दी. सुल्लिया से 6 बार के विधायक एस अंगारा ने टिकट नहीं मिलने पर राजनीति से ही संन्यास की घोषणा कर दी थी. हालांकि दो दिन बाद ही उन्होंने कहा कि वे बीजेपी उम्मीदवार के लिए चुनाव प्रचार करेंगे.

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 10 मई को वोटिंग होगी. 13 मई को चुनाव के नतीजे आएंगे. बीजेपी की दूसरी लिस्ट तक 17 मौजूदा विधायकों के टिकट काटे जा चुके थे. जिन नेताओं ने पार्टी नहीं छोड़ी, वे भी नाराज बताए जा रहे हैं.

यही हाल कांग्रेस और जेडीएस में भी है. पूर्व MLC नागराज चब्बी ने टिकट नहीं मिलने के बाद कांग्रेस छोड़ दिया था. 10 अप्रैल को नागराज बीजेपी में शामिल हो गए. इसी तरह, कांग्रेस के दिग्गज नेता कागोडू थिमप्पा की बेटी राजनंदिनी भी कुछ दिन पहले कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चली गईं. राजनंदिनी ने कहा था कि उन्हें टिकट की उम्मीद थी लेकिन पार्टी ने उन्हें सम्मान नहीं दिया.

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