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Kannauj Loksabha Result: BJP की मजबूत चुनौती को अखिलेश यादव ने कितने वोटों से हराया?

कन्नौज सीट लंबे समय से सैफई परिवार की सीट रही है. पहले मुलायम सिंह यादव सांसद रहे. फिर उन्होंने ये सीट अखिलेश के लिए ख़ाली की. अखिलेश लंबे समय सांसद रहे फिर सीट डिंपल को ट्रांसफर की. अब सीट फिर से अखिलेश के कब्जे में आ गई है.

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इस सीट से 1967 में राम मनोहर लोहिया और 1984 में शीला दीक्षित जैसे बड़े नेताओं को जीत मिल चुकी है. (फोटो- X)

उत्तर प्रदेश की कन्नौज लोकसभा सीट (Kannauj Loksabha) समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने 1 लाख 70 हजार 922 वोटों के अंतर से जीत ली है. अखिलेश को कुल 6 लाख 42 हजार 292 मत हासिल हुए. भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक को 4 लाख 71 हजार 370 वोट मिले. बसपा के इमरान बिन जफर को 81 हजार 639 वोट मिले.

2019 का रिजल्ट

कन्नौज सीट 2019 के आम चुनाव में भाजपा के सुब्रत पाठक के खाते में गई थी. पाठक को 5 लाख 63 हजार 87 वोट हासिल हुए थे. ये कुल वोट का 49.37 फीसदी था. दूसरे नंबर पर डिंपल यादव थीं. उन्हें 5 लाख 50 हजार 734 वोट मिले थे. कुल वोट का 48.29 फीसदी.    

2014 का रिजल्ट

2014 के लोकसभा चुनाव में कन्नौज सीट सपा के खाते में गई थी. डिंपल यादव को 4 लाख 89 हजार 164 वोट मिले थे. भाजपा के सुब्रत पाठक दूसरे नंबर पर रहे थे. पाठक को कुल 4 लाख 69 257 वोट मिले थे. बसपा के निर्मल तिवारी 1 लाख 27 हजार 785 वोट के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे.

कन्नौज सीट रहा है सैफई परिवार का गढ़

उत्तर प्रदेश की कन्नौज (Kannauj) लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी (सपा) ने पहले लालू यादव के दामाद और अखिलेश यादव के भतीजे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) को अपना उम्मीदवार बनाया था. उनके नाम की घोषणा के बाद से ही कन्नौज सीट पर चर्चा शुरू हो गई थी. पर सपाई अखिलेश से मिले और कहा कि इस सीट से कोई भी लड़ेगा हार जाएगा. इसके बाद अखिलेश खुद इस सीट पर खड़े हुए. चुनाव के बीच सपा के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने एलान किया था कि अखिलेश यादव ही कन्नौज से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. उन्होंने कहा था,

"पार्टी में कोई कंफ्यूजन नहीं है. अब साफ है कि अखिलेश यादव चुनाव लड़ने जा रहे हैं."

कन्नौज से समाजवादी पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने लखनऊ में अखिलेश यादव से मुलाकात की थी. सपा नेताओं का कहना था कि कन्नौज सीट के लिए तेज प्रताप मजबूत उम्मीदवार नहीं हैं. BJP उम्मीदवार सुब्रत पाठक को हराने के लिए खुद अखिलेश यादव को यहां से चुनाव लड़ना चाहिए. सुब्रत पाठक ने भी अपने एक बयान में कह दिया कि वो भी चाहते हैं कि यहां से अखिलेश ही चुनाव लड़ेंगे, तभी चुनाव दमदार होगा.

कन्नौज सीट लंबे समय से सैफई परिवार की सीट रही. पहले सपा संस्थापक और पूर्व सीएण मुलायम सिंह यादव सांसद रहे. फिर उन्होंने ये सीट अखिलेश के लिए ख़ाली की. अखिलेश लंबे समय सांसद रहे. फिर सीट डिंपल को ट्रांसफर की. पहला चुनाव 2012 में डिंपल निर्विरोध जीतीं. 2014 की मोदी लहर में भी डिंपल ही जीतीं.

पाठक ने पिछली बार कड़ी टक्कर दी थी

सपा के ऐसे तगड़े गढ़ में सेंध लगाना अपने आप में बिग डील थी. सुब्रत पाठक साल 2009 में कन्नौज की लोकसभा सीट से ही अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव लड़े थे. हार गए और तीसरे नंबर पर रहे. तब उन्हें BSP उम्मीदवार महेश चंद्र वर्मा से भी कम वोट मिले थे. साल 2014 में डिंपल यादव के खिलाफ चुनाव लड़े. फिर हार गए. लेकिन कड़ी टक्कर दी थी. दूसरे नंबर पर रहे. 2019 में भी डिंपल यादव के खिलाफ चुनाव लड़े. जीते भी. इस बार डिंपल यादव ने कड़ी टक्कर दी थी.

इस सीट से 1967 में राम मनोहर लोहिया और 1984 में शीला दीक्षित जैसे बड़े नेताओं को जीत मिल चुकी है. 1996 में यहां से BJP को पहली बार जीत मिली थी. तब भाजपा के चंद्र भूषण सिंह को जीत मिली थी. इसके बाद 1998 में ये सीट सपा के खाते में चली गई. 1999 में मुलायम सिंह यादव को जीत मिली, लेकिन उन्होंने ये सीट छोड़ दी.

कन्नौज लोकसभा क्षेत्र अपने में में पांच विधानसभा समाए हुए है. इन पांच विधानसभा क्षेत्रों में छिबरामऊ, तिर्वा, कन्नौज (SC), बिधूना और रसूलाबाद (SC) शामिल हैं.

वीडियो: कन्नौज में डिंपल यादव को हराते-हराते रह गए बीजेपी प्रत्याशी सुब्रत पाठक का इस बार क्या प्लान?