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हरियाणा में AAP का साथ चाहती है कांग्रेस, पीछे का गेम-प्लान बहुत कुछ कहता है!

Haryana Assembly Election: 2024 लोकसभा चुनाव में हरियाणा में Congress और AAP गठबंधन के साथ उतरे थे. बातें एक बार फिर से गठबंधन की हो रही हैं. जहां कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व वृहद विपक्षी एकता का संदेश देना चाहता है, वहीं राज्य कांग्रेस के नेता इस गठबंधन को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं.

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Haryana Assembly Elections में एक साथ उतर सकती हैं AAP और Congress. (फाइल फोटो: PTI)

जैसे-जैसे हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Election) की तारीखें करीब आ रही हैं, वैसे-वैसे सूबे में राजनीतिक समीकरण बन और बिगड़ रहे हैं. इस बीच बातें कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के संभावित गठबंधन (Congress-AAP Alliance) की भी हो रही हैं. बीते लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के बीच दिल्ली और हरियाणा में गठबंधन हुआ था. हालांकि, पंजाब में दोनों पार्टियां आमने-सामने थीं.

मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि गठबंधन को लेकर दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच कुछ बैठकें हो चुकी हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि शीट शेयरिंग पर बात फंस सकती है. कहा ये भी जा रहा है कि जहां राहुल गांधी चाहते हैं कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन हो, वहीं राज्य कांग्रेस के नेता इस गठबंधन के समर्थन में नहीं हैं. इस बारे में हरियाणा की राजनीति पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार और गुरुकुल इन पॉलिटिक्स न्यूज पोर्टल के संपादक धर्मेंद्र कंवारी बताते हैं,

"राहुल गांधी इसलिए गठबंधन चाहते हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर इंडिया ब्लॉक की एकता का संदेश दिया जा सके. बताया जा सके कि विपक्ष अभी भी BJP के खिलाफ एकजुट है. वहीं राज्य कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि इस समय राज्य में पार्टी की स्थिति बहुत मजबूत है, ऐसे में पार्टी को गठबंधन की जरूरत नहीं है. इसके अलावा, पार्टी के पास ऐसे कई नेता हैं जो टिकट मांग रहे हैं."

इस संभावित गठबंधन के लिए कांग्रेस ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है. इसमें केसी वेणुगोपाल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अजय माकन शामिल हैं. वहीं AAP की तरफ से बातचीत की जिम्मेदारी संदीप पाठक, सुशील गुप्ता और राघव चड्ढा को मिली हुई है. कहा जा रहा है कि जहां कांग्रेस 5 से 7 सीटें देने के लिए तैयार है, वहीं आम आदमी पार्टी 9 सीटों की मांग कर रही है.

क्या चाहती हैं दोनों पार्टियां?

आम आदमी पार्टी की दिल्ली और पंजाब में सरकार है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पार्टी चाहती है कि उसे पंजाब और दिल्ली से लगी हरियाणा की सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिले. पार्टी के लिए हरियाणा एक खास राज्य है क्योंकि यह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का गृह राज्य है. हालांकि, पार्टी को अभी तक यहां कोई उल्लेखनीय सफलता नहीं मिल पाई है. लेकिन इसका कुछ-कुछ आधार बन गया है. इस बारे में धर्मेंद्र कंवारी बताते हैं,

"कुछ शहरी सीटों पर आम आदमी पार्टी मजबूत स्थिति में है. ऐसे में कांग्रेस चाहती है कि AAP के इस समर्थन आधार को कांग्रेस के साथ जोड़ा जाए और BJP को किसी भी तरह का मौका ना दिया जाए. वहीं आम आदमी पार्टी चाहती है कि वो हरियाणा में अपना आधार मजबूत करे."

पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 10 में से 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. वहीं एक सीट AAP को दी थी. कुरुक्षेत्र से AAP के सुशील गुप्ता करीबी अंतर से हारे थे. इस लोकसभा चुनाव में BJP और कांग्रेस ने 5-5 सीटें जीती थीं. विधानसभाओं के आधार पर बात करें तो कांग्रेस 90 में से 42 सीटों पर आगे रही थी. वहीं आम आदमी पार्टी 4 सीटों पर आगे रही थी. BJP के लिए ये आंकड़ा 44 सीटों का था.

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ऐसे में पिछले लोकसभा चुनाव के परिणाम ही कांग्रेस और AAP गठबंधन के लिए सुखद थे. दोनों पार्टियां मिलकर 46 सीटों पर आगे थीं, जो कि हरियाणा विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा है. इसी आधार पर आम आदमी पार्टी 9 सीटों की मांग कर रही है. क्योंकि आम आदमी पार्टी ने कुरुक्षेत्र से अपना उम्मीदवार उतारा था और इस लोकसभा क्षेत्र में 9 विधानसभा सीटें आती हैं.

धर्मेंद्र कंवारी कहते हैं कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन लगभग तय है और इसका एलान जल्द से जल्द होगा. सीटों पर भी सहमति बनती दिख रही है. इधर, मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि एक वृहद विपक्षी एकता का संदेश देने के लिए कांग्रेस पार्टी राज्य में समाजवादी पार्टी और CPM को भी कुछ एक सीटें दे सकती है. 

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