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Haryana Elections: नायब सिंह सैनी की CM उम्मीदवारी को अपनों से ही खतरा? BJP का ही खेल तो नहीं?

BJP ने जब Nayab Singh Saini के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की घोषणा की है, तो फिर पार्टी के ही दूसरे नेता अपनी दावेदारी क्यों पेश कर रहे हैं? क्या ये पार्टी के कमजोर होने के कारण है या फिर ये पार्टी की रणनीति का ही हिस्सा है?

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CM नायब सिंह सैनी लाडवा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. (तस्वीर में बाएं से दाएं- राव इंद्रजीत सिंह, नायब सिंह सैनी और अनिल विज; क्रेडिट: PTI/इंडिया टुडे)

BJP ने हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections) में नायब सिंह सैनी (Nayab Singh Saini) को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया है. राज्य में पार्टी के लिए एंटी इंकम्बेंसी का माहौल है. ऐसे में यहां BJP को कांंग्रेस से कड़ी चुनौती मिल सकती है. वहीं BJP के ही कुछ नेता सैनी के खिलाफ माहौल बनाते नजर आ रहे हैं. केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज, मुख्यमंत्री पद की दावेदारी ठोक चुके हैं.

BJP की रणनीति या पार्टी की कमजोरी

इन दोनों नेताओं की दावेदारी के पीछे कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं. इसे पार्टी के लिए एंटी इंकम्बेंसी के माहौल का नतीजा भी बताया जा रहा है. साथ ही, इसे पार्टी की रणनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है. इंडिया टुडे से जुड़े पत्रकार राहुल यादव इस पर कहते हैं,

“ये पार्टी की रणनीति भी हो सकती है. कई नेता खुद को CM फेस के तौर पर पेश कर रहे हैं. ये पार्टी के कमजोर होने का नतीजा भी हो सकता है. पार्टी चाहती है कि जो बोलना है बोलो, जो मांगना है मांगो, बस वोट लेकर आओ. ज्यादा से ज्यादा विधायक जितवाओ. अनिल विज का मामला तो नया नहीं है. वो हमेशा से ही खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताते रहे हैं. राव इंद्रजीत 2014 में कांग्रेस से BJP में आए. तब BJP मजबूत थी, इसलिए राव चुप रहे. लेकिन अब उनके समर्थक भी उनके लिए माहौल बना रहे हैं.”

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नायब सिंह सैनी की राजनीति के बारे में राहुल यादव कहते हैं,

“सैनी का अपना कोई बहुत बड़ा बेस नहीं है. उनकी पहचान उनकी पार्टी से है.”

क्षेत्रीय पत्रकार और 'गुरुकुल ऑफ पॉलिटिक्स’ न्यूज पोर्टल के संपादक धर्मेंद्र कंवारी इस बारे में बताते हैं,

“BJP 10 साल की एंटी इंकम्बेंसी का सामना कर रही है. पार्टी कमजोर स्थिति में है, इसलिए ये नेता भी बारगेन (मोलभाव) करने की स्थिति में दिख रहे हैं.”

Rao Inderjit बनना चाहते हैं CM?

पिछले हफ्ते राव इंद्रजीत BJP उम्मीदवार लक्ष्मण यादव के साथ रेवाड़ी गए थे. वहां राव के समर्थकों ने उनको भावी मुख्यमंत्री बताते हुए नारा लगाया. बाद में राव ने पत्रकारों से कहा,

“ये (CM बनने का सपना) मेरा नहीं बल्कि जनता की इच्छा है. जनता की अब भी यही इच्छा है कि मैं CM बनूं. अगर दक्षिण हरियाणा ने 2014 और 2019 में भाजपा का समर्थन नहीं किया होता, तो मनोहर लाल खट्टर दो बार CM नहीं बन पाते.”

राव इंद्रजीत, लोकसभा चुनाव 2014 से पहले कांग्रेस से BJP में शामिल हो गए थे. उनके समर्थकों का मानना है कि BJP में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें कई बार नजरअंदाज किया. हालांकि, उनके पार्टी में आने के बाद कई और बड़े कांग्रेस नेताओं ने BJP का दामन थामा. इसमें चौधरी बीरेंद्र सिंह (जिनकी अप्रैल 2024 में कांग्रेस में वापसी हो चुकी है) और धर्मबीर सिंह जैसे नेता शामिल हैं. जानकार मानते हैं कि इस कारण से विधानसभा चुनावों में BJP की संभावनाएं मजबूत हुईं. लेकिन राव उस साल CM की दौड़ में मनोहर लाल खट्टर से पीछे रह गए.

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राव इंद्रजीत को साल 2019 में भी नजरअंदाज किया गया. इस साल मार्च में जब खट्टर की जगह नायब सिंंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया, तब भी राव के समर्थक निराश हुए. लोकसभा चुनाव 2024 में जीत के बाद BJP ने खट्टर को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी, जबकि राव केंद्रीय राज्य मंत्री बने रहे.

पिछले विधानसभा चुनाव में राव ने अपने 5-6 करीबियों को टिकट दिलवाया था. और इस बार भी अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए उन्होंने पूरी ताकत लगाई थी. BJP ने उनकी बेटी सहित उनके 6 समर्थकों को टिकट दिया है. पार्टी ने राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव को अटेली विधानसभा सीट से टिकट दिया है. अहीरवाल क्षेत्र में राव इंद्रजीत का दबदबा माना जाता है.

Anil Vij ने किस आधार पर दावा किया?

वैसे तो अनिल विज इस पद पर पहले से दावा करते रहते रहे हैं. लेकिन इस बार राव इंद्रजीत के बयान के बाद उन्होंने भी खुलकर अपनी बात रखी है. 15 सितंबर को उन्होंने कहा कि वो हरियाणा के सबसे वरिष्ठ विधायक हैं. उन्होंने छह बार विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की है. और सातवीं बार चुनावी मैदान में हैं. लेकिन इतने सालों में उन्होंने पार्टी से कोई मांंग नहीं की है. अंबाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे विज ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,

"इस बार मैं अपनी वरिष्ठता के आधार पर मुख्यमंत्री पद के लिए दावा पेश करूंगा. मुझे मुख्यमंत्री बनाना है या नहीं, ये हाईकमान को तय करना है. लेकिन अगर मुझे मुख्यमंत्री बनाया जाता है, तो मैं हरियाणा की तकदीर और सूरत बदल दूंगा."

इससे पहले केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि राज्य में BJP, सैनी के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी. विज को इसके बारे में बताया गया कि सैनी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार बताया जा रहा है. इस पर उन्होंने न्यूज एजेंसी PTI से कहा,

"दावा पेश करने पर कोई रोक नहीं है. मैं अपना दावा पेश करूंगा, पार्टी को फैसला लेने दीजिए."

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मार्च में जब सैनी मुख्यमंत्री बनें तो विज को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली. इससे नाराज होकर विज चंडीगढ़ में हो रही एक पार्टी बैठक से निकल गए थे. बाद में उन्होंने कहा था कि पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता होने के बावजूद उन्हें राज्य के नेतृत्व में बदलाव के बारे में जानकारी नहीं दी गई. ऐसी चर्चा होती है कि उनके मंत्रालय में कथित हस्तक्षेप को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ भी उनके मतभेद थे.

आगामी 5 अक्टूबर को हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है. वोटों की गिनती 8 अक्टूबर को की जाएगी. CM नायब सिंह सैनी लाडवा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

वीडियो: नायब सिंह सैनी के मुख्यमंत्री बनने की इनसाइड स्टोरी क्या है? कौन-सा फैक्टर काम आ गया?