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घोसी उपचुनाव: टक्कर BJP और सपा में, लेकिन नजर BSP और कांग्रेस पर क्यों?

घोसी विधानसभा का उपचुनाव ओम प्रकाश राजभर और दारा सिंह का भविष्य तय करेगा. ये चुनाव विपक्षी गठबंधन INDIA के लिए भी परीक्षा की तरह होगा.

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घोसी सीट पर नेताओं की परीक्षा.

यूपी में घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है. वजह है घोसी के विधायक दारा सिंह चौहान का इस्तीफ़ा देकर सपा छोड़ BJP में शामिल होना. इस बार वो BJP के चुनाव चिह्न पर इलेक्शन लड़ रहे हैं. सपा ने पूर्व विधायक सुधाकर सिंह को प्रत्याशी बनाया है. कहा जा रहा है कि दोनों प्रत्याशियों के बीच का ये चुनाव सिर्फ एक विधानसभा सीट की लड़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि राजनीतिक समीकरणों को तय करने वाला चुनाव बन गया है.

दारा और राजभर का भविष्य घोसी तय करेगा

पिछले महीने BJP ने सपा को दो झटके दिए. पहला, सपा की पूर्व सहयोगी सुभासपा को एनडीए में शामिल करा लिया. सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर अब BJP के साथ हैं. घोसी क्षेत्र राजभर के प्रभाव वाला इलाक़ा माना जाता है. ऐसे में अगर दारा सिंह बड़े मार्जिन से जीते तो इसमें श्रेय राजभर को भी जाएगा. लेकिन अगर दारा सिंह चौहान चुनाव हारे तो ओम प्रकाश राजभर के पूर्वांचल में प्रभाव पर सवालिया निशान लग जाएगा. 

बात करें दारा सिंह चौहान की तो 2017 से 2022 तक वो योगी सरकार में मंत्री रहे. लेकिन 2022 के चुनाव से पहले सपा में शामिल हो गए. घोसी सीट पर वो सपा के सिंबल पर चुनाव जीते थे. अब अगर वो जीत जाते हैं तो सम्भव है उनकी वापसी योगी मंत्रिमंडल में हो जाए. लेकिन अगर वो हारे तो उनकी स्थिति बेहद ख़राब हो सकती है. पाला बदलने के चक्कर में वो विधायक भी नहीं रह पाएंगे. यानी घोसी के नतीजे ओम प्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान का भविष्य तय कर सकते हैं. अगर जीते तो दोनों नेता योगी मंत्रिमंडल में होंगे. लेकिन हारे तो साख पर बट्टा लगना तय है.

सपा के PDA का इम्तेहान

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए PDA का फॉर्म्युला बनाया है. PDA यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक. घोसी सीट के समीकरण के मुताबिक़ यहां कुल मतदाता 4,30,452 हैं. इनमें लगभग 65 हज़ार दलित और 60 हज़ार मुसलमान मतदाता हैं. इसके अलावा 40 हज़ार यादव, 40 हज़ार राजभर, 36 हज़ार लोनिया चौहान, 16 हज़ार निषाद और बाक़ी पिछड़ी जातियां मौजूद हैं. यानी अखिलेश यादव का PDA अगर काम किया तो सपा की जीत पक्की मानी जा सकती है. 

लेकिन अगर BJP के दारा सिंह चौहान जीते तो PDA अपनी पहली परीक्षा में ही फेल हो सकता है. अखिलेश यादव को आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में पहले ही झटका लग चुका है. ऐसे में PDA का फॉर्म्युला बनाने और INDIA गठबंधन में जाने के बाद घोसी का उपचुनाव अखिलेश यादव के लिए एक बड़ी परीक्षा होने जा रहा है. जीते तो अपनी एक सीट बचाने के साथ अखिलेश अपने नए फॉर्म्युले और INDIA में अपनी स्थिति और मज़बूत कर सकते हैं. लेकिन हारे तो यूपी में सपा को एक और झटका लगना तय है.

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BSP और Congress पर सबकी निगाह

बहुजन समाज पार्टी घोसी उपचुनाव से दूरी बना सकती है. माना जा रहा है कि शायद मायावती घोसी में अपना प्रत्याशी न उतारें. बसपा वर्तमान में न NDA का हिस्सा हैं और न INDIA का. वो समय-समय पर BJP को घेरती हैं और सपा तो उनके निशाने पर रहती ही है. ऐसे में BSP इस चुनाव से दूरी बनाकर अखिलेश यादव की ताक़त को भी देखना चाहेगी. अखिलेश यादव की ताक़त यानी INDIA गठबंधन की ताक़त. अगर सपा चुनाव जीत जाती है तो मायावती विपक्षी गठबंधन में शामिल होने पर सम्भव है विचार कर लें. लेकिन अगर BJP जीत गई तो मायावती ‘एकला चलो’ वाली रणनीति पर 2024 में जा सकती हैं. 

बात करें कांग्रेस की तो यूपी में कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुज़र रही है. विधानसभा में कांग्रेस के कुल 2 विधायक हैं. वहीं लोकसभा में सिर्फ रायबरेली से सोनिया गांधी ही चुनाव जीत पाई थीं. अब कांग्रेस INDIA की वजह से सपा की सहयोगी है और सम्भव है घोसी में अपना प्रत्याशी न देकर कांग्रेस सपा की मदद करे. हालांकि ये देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस ख़ुद से सपा की मदद करती है या सपा कांग्रेस से मदद की गुहार लगाती है.

घोसी में कब है चुनाव?

मऊ ज़िले की घोसी सीट पर 5 सितंबर को उपचुनाव होगा. नतीजे 8 सितंबर को आएंगे. घोसी सीट के लिए 17 अगस्त तक नामांकन किया जा सकता है. घोसी सीट पर पिछले 5 सालों में दूसरी बार उपचुनाव हो रहा है.

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