बुंदेलखंड इलाके का कुख्यात डकैत गौरी यादव एनकाउंटर में मारा गया. उत्तर प्रदेश में उस पर पांच लाख का इनाम था. वहीं मध्य प्रदेश सरकार ने उस पर 50,000 का इनाम घोषित किया था. गौरी यादव पर लगभग 60 मुकदमे दर्ज थे. 20 साल से आपराधिक वारदातों को अंजाम देने वाला गौरी यादव पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गया था.
डकैत गौरी यादव की कहानी जिसे यूपी पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया |
साढ़े 5 लाख का इनाम था, दो राज्यों की पुलिस कर रही थी तलाश.
एक साल में यूपी एसटीएफ ने गौरी यादव को पकड़ने के लिए कई सर्च ऑपरेशन चलाए, लेकिन वह हाथ नहीं आया. यूपी एसटीएफ की टीमें लगातार गौरी यादव की तलाश में चित्रकूट में डेरा डाले हुए थीं. 3 दिन पहले यूपी एसटीएफ को सर्विलांस और मुखबिर से सूचना मिली कि गौरी यादव अपने गांव बहिलपुरवा आने वाला है. सूचना पर एक ऑपरेशन का प्लान तैयार किया गया. इस बार गौरी यादव भागने ना पाए, इसके लिए खुद एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश ने इस आपरेशन को लीड करने के लिए चित्रकूट में डेरा जमा दिया.
30 अक्टूबर की सुबह करीब साढ़े तीन बजे एसटीएफ टीम का गौरी यादव के गैंग के सामना हुआ. दोनों और से कई राउंड गोलियां चली. इस मुठभेड़ में पुलिस ने गौरी यादव को मार गिराया. यूपी पुलिस एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश ने बताया,
" गौरी यादव का बड़ा दस्यु गिरोह था. इसने इस क्षेत्र में काफी आतंक मचा रखा था. इसने PWD विभाग के अफसरों, जंगल विभाग के अफसरों को बहुत परेशान किया. उनसे वसूली भी की है. इस संबंध में हाल ही में कई FIR भी दर्ज हुई हैं. लंबे समय से गौरी यादव का इस क्षेत्र में आतंक रहा है. प्रशासन ने 5 लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा था. मध्य प्रदेश सरकार ने भी 50 हजार का इनाम रखा था. आज एसटीएफ के मुखबीरों से मिली सटीक सूचना पर कार्रवाई की गई. पहले भी इसके गैंग से मुठभेड़ हुई थी, उस समय इसके बाकी साथ मारे गए थे, लेकिन आज गैंग लीडर को मरने में सफलता मिली है. इसके अलावा इसके पास से भारी मात्रा में कारतूस, एक AK-47, कुछ ऑटोमैटिक और देसी हथियार भी बरामद किये गए हैं."
एडीजी अमिताभ यश ने आगे कहा-
" जब एसटीएफ ने इस गैंग पर हमला किया, उस समय 10 से 12 लोग थे. इस क्षेत्र में काफी ठंड पड़ रही है, इसलिए इस गैंग ने एक जगह आग जला रखी थी. उस आग के चारों तरफ गौरी यादव और उसके आदमी बैठे थे. आग के कारण एसटीएफ ने इनको दूर से ही स्पॉट कर लिया था. बाकी लोग जंगल की तरफ भाग गए, लेकिन हम गौरी यादव को मरने में कामयाब हुए हैं. "
इस गिरोह के बाकी सदस्यों को पकड़ने के लिए कई थानों की पुलिस जंगलों को छान रही है.
सटीक सूचना पर पहुंची यूपी एसटीएफ की टीम से यूपी के चित्रकूट के बाहिलपुरवा थाना क्षेत्र के माधा के पास हुई मुठभेड़ में 5 लाख से ज्यादा का इनामी गौरी यादव मारा गया | pic.twitter.com/ndNPc49XsL
— UPSTF (@uppstf) October 30, 2021
कौन था गौरी यादव?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कहा जाता है कि 1992 में चित्रकूट के बहिलपुरवा में तैनात एक इंस्पेक्टर ने उस समय के सबसे खूंखार डकैत ददुआ की टोह लेने के लिए गौरी यादव को अपना मुखबिर बनाया था. मुखबिर बनकर डकैतों के संपर्क में आए गौरी यादव को अपराध और बीहड़ ऐसे रास आए कि वह खुद ही डकैत बन गया. पुलिस ने मुखबिरी के लिए जो हथकंडे सिखाए थे, हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी थी, गौरी यादव उन्हीं का इस्तेमाल अपने बचाव में करने लगा. गौरी यादव ने 2001 में आपराध की दुनियां में कदम रखा था. हत्या अपहरण, फिरौती मांगने, सरकारी काम में बाधा डालने समेत कई धाराओं के तहत उसपर यूपी और एमपी में लगभग 60 मामले दर्ज थे. शुरुआत में गौरी यादव ददुआ और ठोकिया के गैंग में शामिल हुआ था. इन दोनों के पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद 2008 में इसे जेल भेज दिया गया, जहां से ये 2 साल बाद रिहा होकर वापस आ गया. वापस आने के बाद गौरी यादव ने अपना गैंग बनाया और डकैती फिर से शुरू कर दी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेल से छूटने के बाद से गौरी यादव बिलहरी गांव में रह रहा था. 2012 में एक चोरी के मामले की जांच के लिए दिल्ली पुलिस की एक टीम बिलहरी गांव दबिश देने पहुंची थी. इस दौरान पुलिस के साथ गोलीबारी में गौरी यादव ने दिल्ली पुलिस के दरोगा की हत्या कर दी थी. हत्या के बाद गौरी यादव ने सरकारी रिवॉल्वर भी लूट लिया था. आरोप है कि 2016 में बिलहरी गांव के ही तीन लोगों को गौरी यादव ने बिजली के खंबे से बांधकर गोली मार दी थी. ये भी आरोप था कि 2017 में कुलहुआ के जंगलों में गौरी यादव ने तीन लोगों को जींद जला कर मार दिया था. तीनों लोग एक ही गांव के थे. इस कांड के बाद उत्तरप्रदेश सरकार ने गौरी यादव पर इनाम घोषित कर दिया था. तभी से ही पुलिस इसके पीछे थी, लेकिन हर बार वह बच निकलता था.