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कांग्रेस ने 10 साल में हारे 47 विधानसभा चुनाव, महाराष्ट्र में शर्मनाक हार के बाद उठ रहे सवाल

Maharashtra and Jharkhand Election Result: चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही कांग्रेस पार्टी के अंदर खींचतान शुरू हो गई है. पार्टी के तमाम बड़े नेता भी इस चुनाव में अपनी साख गंवा बैठे. 2014 से 2024 के बीच हुए 62 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 47 चुनाव हारी है.

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महाराष्ट्र चुनावों में कांग्रेस को मिली करारी हार (Photo Credit: Aaj Tak)

महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के नतीजे (Maharashtra and Jharkhand Election Result) आने के बाद से ही कांग्रेस पार्टी (Congress Party) के अंदर खींचतान शुरू हो गई है. झारखंड में तो कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों की बदौलत जीत हासिल कर ली है, लेकिन महाराष्ट्र में वो अपनी साख नहीं बचा पाई. पार्टी के शीर्ष नेताओं का भी इस चुनाव में कुछ खास असर नहीं दिखा. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की चुनावी रैलियों में भीड़ तो खूब जुटी थी, लेकिन कांग्रेस इस भीड़ को वोट मे नहीं तब्दील कर पाई. साथ ही पार्टी के तमाम बड़े नेता भी इस चुनाव में अपनी साख गंवा बैठे. पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण (Prithviraj Chavan) और पूर्व अध्यक्ष बाला साहेब थोराट (Balasaheb Thorat) चुनाव हार गए. 

101 सीटों पर चुनाव लड़ी कांग्रेस सिर्फ 16 सीटों पर ही सिमटकर रह गई. जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 147 सीटों पर लड़कर 44 सीटें जीती थीं. मुंबई शहर, जहां कांग्रेस पार्टी की नींव पड़ी थी, उस मुंबई में भी पार्टी का प्रदर्शन सबसे खराब रहा. मुंबई की 36 सीटों में से कांग्रेस केवल 3 सीटें ही निकाल पाई. महाराष्ट्र में 75 सीटें ऐसी थी जहां कांग्रेस की सीधी लड़ाई बीजेपी से थी. वहां पर भी ज्यादातर सीटें बीजेपी के पाले में गईं.

‘हमारी तो लीडरशिप ही खराब है’

नतीजे आने के बाद से ही पार्टी के अन्दर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने अपनी हार के लिए अपने शीर्ष नेतृत्व पर ठीकरा फोड़ दिया. कहा- हमारी तो लीडरशिप ही खराब है. जिस आत्मविश्वास के साथ कांग्रेस महाराष्ट्र के चुनाव में उतरी थी उससे लग रहा था कि परिणाम उसी के पक्ष में हैं, लेकिन पार्टी का यही अतिआत्मविश्वास उसे ले डूबा. दूसरी तरफ बीजेपी के नेताओं ने जमीन तक अपनी पहुंच बनाई और उसके सहयोगियों ने चुनाव जीतने के लिए जी-जान लगा दी.

उपचुनावों में बुरा प्रदर्शन

उपचुनावों की बात करें तो कांग्रेस वायनाड और नांदेड़ लोकसभा उपचुनाव जरूर जीत गई, लेकिन विधानसभा उपचुनावों में अपनी कई सीटें गंवा बैठी. राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में पिछले साल ही जीती सीटों में से पार्टी तीन सीटें हार गई. इसी तरह से पंजाब उपचुनाव में भी जीती हुई तीन सीटें गंवा बैठी. हालांकि पंजाब, असम और मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने एक-एक सीटें जीतीं. वहीं उसे कर्नाटक की तीन और केरल की एक सीट पर भी बढ़त मिली. लेकिन कांग्रेस पार्टी के लिए इतना काफी नहीं है.

10 साल में 47 विधानसभा चुनाव 'हाथ' से फिसले 

लोकसभा चुनावों के अलावा इस साल हुए कई विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद अब पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं. 2014 से 2024 के बीच हुए 62 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस 47 चुनाव हारी है. जबकि सिर्फ 15 चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. राज्यों में सत्ता में रहते कांग्रेस ने 40 विधानसभा चुनावों का सामना किया, जिनमें से केवल 7 में ही वो जीत हासिल कर सकी. आखिरी बार 2011 के असम विधानसभा चुनाव में ही कांग्रेस जीतकर दोबारा सत्ता में लौटी थी.

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हम तो डूबेंगे ही सनम, तुम को भी ले डूबेंगे!

एक तरफ तो कांग्रेस ने झारखंड में अपने सहयोगी दल झामुमो (JMM) की बदौलत जीत दर्ज कर ली, तो वहीं महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ-साथ ‘इंडिया’ गठबंधन (India Alliance) के सहयोगी दलों को हार का मुंह देखना पड़ा. कांग्रेस की इस हार पर पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने भी आभार कार्यक्रम में चुटकी ले ली. बीजेपी मुख्यालय (Bjp Headquarters) पर जनता का आभार जताने पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा- 

“कांग्रेस अब परजीवी पार्टी बन चुकी है. वह कहीं भी अपने दम पर चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं है. वह अपने साथ दूसरों की नाव भी डुबो देती है.”

फिलहाल के लिए अब देखना ये होगा कि लोकसभा चुनाव के बाद संसद के पिछले दो सत्रों में, कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की जो आक्रामकता देखने को मिली थी, क्या वो इसी तरह बनी रहेगी या उसकी धार कुछ कम होगी?

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